Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

बनारस : नाबालिग़ बच्चियों से जबरन वेश्यावृत्ति करवाने वाले पूर्व प्रधान को 15 साल की जेल

17 साल पहले के इस मामले में अदालत ने जबरन देह व्यापार कराने और उनके साथ बलात्कार करने के मामले में दो अभियुक्तों को दोषी पाया है। इनमें रेड लाइट एरिया इलाका शिवदासपुर की ग्राम पंचायत का एक पूर्व प्रधा  पप्पू उर्फ प्रेम प्रकाश भी शामिल है।
banaras

उत्तर प्रदेश का बनारस एक ऐसा शहर है जो हर साल हजारों औरतों के खिलाफ होने वाले अपराध का कलंक अपने माथे पर पोत लेता है। इन्हीं में एक है शिवदासपुर स्थित रेड लाइट एरिया की वह सनसनीखेज वारदात जिसमें मानव तस्करों ने 17 साल पहले सात नाबालिग लड़कियों को वेश्यावृत्ति के दलदल में धकेल दिया था। स्पेशल जज (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) राकेश पांडेय की अदालत ने इस मामले में जबरन देह व्यापार कराने और उनके साथ बलात्कार करने के मामले में दो अभियुक्तों को दोषी पाया है, जिनमें रेड लाइट एरिया इलाका शिवदासपुर की ग्राम पंचायत का एक पूर्व पप्पू उर्फ प्रेम प्रकाश भी शामिल है।

बनारस के स्पेशल जज ने तारकेश्वर नगर कॉलोनी निवासी प्रेमप्रकाश को 15 साल का कठोर कारावास और 25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा से दंडित किया है। इस मामले में कोर्ट ने कानपुर के बेकनगंज थाना के रजवी रोड (नई सड़क) निवासी राजेश उर्फ लंगड़ा को 15 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस अपराधी पर 17 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही यह भी आदेश दिया है कि दोनों अभियुक्तों से जमा कराए जाने वाले जुर्माने में से आधा धन गवाही देने वाली पीड़िता सोनम (बदला हुआ नाम) को दिया जाएगा।

वेश्यावृत्ति की दलदल में धकेली गई औरतों को न्याय दिलाने के लिए लड़ रही संस्था ‘गुड़िया’ के प्रयास से इस हाईप्रोफाइल मामले में दो शातिर अभियुक्तों को सजा हो सकी है। डिस्ट्रिक कोर्ट ने मानव तस्करों के लिए जो सजा मुकर्रर की है, उससे उन सभी पीड़िताओं में उम्मीद की लौ जलनी शुरू हुई है जो देश के तमाम वेश्यालयों में बंधक हैं। गुड़िया के चीफ लीगल एडवाइजर गोपाल कृष्ण ने पीड़िता सोनम की ओर से पक्ष रखा। साथ में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) रोहित मौर्य ने खासी दिलचस्पी लेकर पैरवी की।  

ख़रीद-फ़रोख़्त और बलात्कार

एडवोकेट गोपाल कृष्ण कहते हैं, "रेस्क्यू के दौरान बरामद लड़कियों में एक सोनम ने बयान दिया था कि शिवदासपुर के पूर्व प्रधान पप्पू उर्फ प्रेम प्रकाश ने उसे जिस्म के सौदागरों की मदद से खरीदा और उसे अफजल व तुलसी के कोठों पर बेचा था। पूर्व प्रधान ने कई मर्तबा उसके साथ रेप भी किया। उस वक्त लड़की की उम्र सिर्फ 13 साल थी। सोनम ने कोर्ट को बताया कि पूर्व प्रधान प्रेमप्रकाश और उसके साथी वेश्यावृत्ति से मिले पैसे ब्याज पर उठाते थे। दूसरा अभियुक्त राजेश उर्फ लंगड़ा कोठे की संचालक तुलसी का देवर था, जो सोनम को टार्चर किया करता था। सोनम ने स्पेशल जज को यह भी बताया कि जिस्म के जिस्म के सौदागर कोठे की लड़कियों को जबरिया शराब पिलाया करते थे। साथ ही नशे का इंजेक्शन भी लगाया करते थे। वेश्यावृत्ति से मिलने वाला पैसा पूर्व प्रधान प्रेमप्रकाश अपने पास रखता था।"

एडवोकेट गोपाल कृष्ण कहते हैं, "कोर्ट ने पीड़िता सोनम के अलावा दस गवाहों के बयान और पुख्ता साक्ष्य के आधार पर दोनों अभियुक्तों को अनैतिक देह व्यापार अधिनियम और बलात्कार के मामले में दोषी पाया। नवंबर 2005 में शिवदासपुर रेडलाइट एरिया में मारे गए छापे में मेहताब, अफजल और काली के खिलाफ एक अलग ट्रायल चल रहा था। इसी दौरान मेहताब की मौत हो गई। बाद में साल 2016 में अफजल और काली को 12-12 साल की सजा हुई।"

"पूर्व प्रधान प्रेमप्रकाश और लंगड़ा रसूख वाले थे, जिससे वो बच रहे थे। एक अन्य मामले में दोनों को साल 2018 में गिरफ्तार किया गया।  इसी बीच इनके दो अन्य साथी अफजल और काली को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। फिर गुड़िया के प्रयास से ही दोनों की जमानतें सुप्रीम कोर्ट से खारिज हुईं। यह हाईप्रोफाइल मामला अभी सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा है। छापे के दौरान अभियुक्त अफजल के पास से दस करोड़ की संपत्ति के कागजात बरामद किए गए थे।"

एडवोकेट गोपाल कृष्ण कहते हैं, "काफी जद्दोजहद के बाद साल 2020 में इस मामले ओमप्रकाश उर्फ जानी व तुलसी उर्फ मैना बानो पकड़े गए और दोनों अभी जेल में हैं। लखनऊ की महिला सम्मान प्रकोष्ठ की डीएसपी अमिता सिंह ने गुड़िया के साथ रेड डाला डालकर दोनों अभियुक्त को गिरफ्तार किया था। पुराने केस में भी उनका रिमांड बना। मौजूदा समय में जैकी, राजा, शैरू और मंटर व काली की बहन मुखिया अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। यह स्थिति तब है जब इलाहाबाद हाईकोर्ट बनारस पुलिस को साल 2008 में इन्हें पकड़कर कोर्ट में पेश करने हुक्म दे चुकी है। ये पांच अभियुक्त अभी फरार हैं।"

न्याय पाने में गुज़र गए 17 साल

गुड़िया के संस्थापक अजित सिंह ‘न्यूजक्लिक’ से कहते हैं, "बनारस में सबसे पहला रेस्क्यू आररेशन 25 अक्टूबर 2005 हुआ था, जिसमें बड़ी संख्या में नाबालिग लड़कियां बरामद की गई थीं। इस छापेमारी के लिए गुड़िया ने बीएचयू के स्टूडेंट्स की मदद ली थी। पहले छापे के बाद सूचना मिली कि कुछ ट्रैफिकर और भी लड़कियों को अपने यहां छिपाए हुए हैं। नाबालिग लड़कियों को दूसरे वेश्यागृहों में भेजने की तैयारी थी। गुड़िया और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की पहल पर पुलिस ने छापेमारी कर सात नाबालिग लड़कियों को बरामद किया। इस मामले में कुल नौ लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई। कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ तो पुलिस ने सिर्फ तीन लोगों के खिलाफ चार्जशीट भेजी और बाकी लोगों के बारे में कह दिया कि वो लापता हैं।"

अजित कहते हैं, "मंडुआडीह थाना पुलिस जिस्म के सौदागरों को सालों से बचाने में जुटी थी। हमें और उन बरामद लड़कियों को जानबूझकर गवाह नहीं बनाया गया। बाद में हम खुद कोर्ट में हाजिर हुए और अर्जी हमने अपना बयान दर्ज कराया। साथ ही उन लड़कियों को भी बयान देने के लिए तैयार किया, जिन्हें जिस्म के सौदागरों ने काफी कम उम्र में ही जबरिया वेश्यावृत्ति के दलदल में धकेल दिया था। बयान देने की बारी आई तो सिर्फ सोनम ही कोर्ट में पहुंच पाई। बाकी लड़कियों को कोर्ट में पहुंचने ही नहीं दिया गया। कोर्ट में बयान देने के लिए सोनम पश्चिम बंगाल से बार-बार बनारस आ रही थी, लेकिन उसकी गवाही नहीं हो पा रही थी। गुड़िया फिर सुप्रीम कोर्ट गई तब यहां उसकी गवाही हो सकी। ऊपर की अदालतें सख्ती नहीं बरततीं तो दोनों अभियुक्त बच जाते।"

गुड़िया लड़ रही तीन हज़ार केस

अजित बताते हैं, "वेश्यावृत्ति के दलदल में फंसी औरतों को बचाने में हमने अपनी पूरी जिंदगी होम कर दी। अगर हम कफन बांधकर नहीं उतरते, तो वेश्यालयों में बंधक बनाई गई तामाम लड़कियों को न्याय नहीं मिल पाता। अभी भी हम तीन हजार से अधिक मामले लड़ रहे हैं। सवा सौ से अधिक मानव तस्करों को सजा दिलाने में हम कामयाब हुए हैं। इस दौरान 350 नाबालिग लड़कियों को प्रोटेक्शन दिलाया और कई वेश्यालयों को बंद कराया है। 2300 से अधिक पीड़िताओं को रोजगार के लिए गुड़िया ने अनुदान मुहैया कराया है।"

औरतों की आजादी के लिए काम करने वाली एक्टिविस्ट संत्वना मंजू कहती हैं, "मानव तस्करी के मामलों में अधिकांश बच्चे भारत के पूर्वी इलाकों के बेहद गरीब व पिछड़े क्षेत्रों से होते हैं। गरीब परिवारों के पुरुष, महिलाएं या बच्चे काम की तलाश में मानव तस्करों के हत्थे आसानी से चढ़ जाते हैं। कई बार कुछ कर्ज या अग्रिम मेहनताने का लालच देकर ऐसे लोगों को बंधक बनाकर रखा जाता है। औरतों पर जुल्म और ज्यादती के बहुत सारे मामले सिस्टम फाइलों में दफन हैं, जिन्हें बाहर आने में सालों-साल लग जाते हैं।"

"औसतन हर 14वें मिनट में होते एक रेप वाले देश में ये धारा 375 बलात्कार की परिभाषा बताती है, लेकिन सज़ा जानने के लिए क़ानून का पन्ना पलटकर 376 तक आना पड़ता है। औरतों के भोगे हुए सच का दर्द और उसे साबित करने की लड़ाई आसान नहीं है, क्योंकि पुलिस अफसरों के अंदर बैठी पितृसत्ता संस्कारों में घुली हुई है। जब तक 'सच' को सिर उठाने का मौक़ा नहीं मिलेगा, तब तक ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ के नारे का कोई मतलब नहीं है।"

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest