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बनारस : गंदगी और प्रदूषण को लेकर टेंट सिटी के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में याचिका, कोर्ट ने योगी सरकार से मांगी रिपोर्ट

"इस शहर के निर्माण से पहले वहां गंदगी के निस्तारण के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है। इससे गंगा और प्रदूषित होगी। बनारस की टेंट सिटी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के निर्देशों का उल्लंघन कर रही है।"
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दुनिया की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले बनारस में गंगा तट पर बसाई गई टेंट सिटी (तंबुओं का शहर) को लेकर नया बवाल खड़ा हो गया है। आपको बता दें कि प्रदेश में टूरिज़्म को बढ़ाने के उद्देश से वाराणसी डेवलपमेंट अथॉरिटी (VDA) ने इस टेंट सिटी को तैयार किया है। लेकिन अब प्रदूषण और गंदगी को लेकर इसकी आलोचना हो रही है, इसके अलावा टेंट सिटी के ख़िलाफ़ इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है।

प्रयागराज स्थित शनिधाम पीठाधीश्वर प्रवीण मिश्र और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र पांडेय ने 27 फरवरी 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाराणसी की हाईटेक 'टेंट सिटी' के ख़िलाफ़ जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है। याचिका में कहा गया है कि, "इस शहर के निर्माण से पहले वहां गंदगी के निस्तारण के लिए कोई योजना नहीं बनाई गई है। इससे गंगा और प्रदूषित होगी। बनारस की टेंट सिटी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के निर्देशों का उल्लंघन कर रही है।" इसी के मद्देनज़र इस परियोजना पर रोक लगाने की मांग की गई है।

पीआईएल में कहा गया है, "टेंट सिटी का एक रात का किराया 8 से 51 हज़ार रुपये है। इस सिटी का निर्माण करने से पहले वहां होने वाली गंदगी के निस्तारण की कोई योजना नहीं की गई है, जिससे गंगा और प्रदूषित होगी। यह योजना राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का उल्लघंन है। गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने के बाबत हाईकोर्ट पहले भी आदेश दे चुका है, जिसकी अनदेखी की जा रही है। काशी के साधु-संतों ने भी टेंट सिटी का विरोध किया है।"

जनहित याचिका के बाबत इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 मार्च 2023 को उत्तर प्रदेश सरकार से विस्तृत जानकारी मांगी है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार इस मामले में पूरी रिपोर्ट पेश करे। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने दिया है। याचिकाकर्ता प्रवीण मिश्रा और योगेंद्र कुमार पांडेय के अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव व अधिवक्ता सुनीता शर्मा की ओर से कहा गया कि वाराणसी में गंगा किनारे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एनएमसीजी व पर्यावरण बोर्ड से अनुमति लिए बगैर ही टेंट सिटी स्थापित की गई है। भारत सरकार के 7 अक्टूबर 2016 के आदेश के अनुसार गंगा के किनारे किसी भी प्रकार का स्थायी अथवा अस्थायी आवासीय, व्यवसायिक और औद्योगिक उद्देश्य के लिए किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं कराया जा सकता है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं का यह भी कहना है की, "टेंट सिटी बसाकर एक रात का किराया 8 हज़ार से लेकर 51 हज़ार रुपये तक वसूला जा रहा है। यहां आम लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित है। टेंट सिटी से निकलने वाली गंदगी को गंगा में जाने से रोकने के लिए यहां कोई माकूल व्यवस्था नहीं है। गंगा प्रदूषण से शिवभक्तों और संतों को न सिर्फ मानसिक आघात पहुंच रहा है, बल्कि उनकी धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंच रही है। कुछ साल पहले श्री श्री रविशंकर प्रसाद ने दिल्ली में यमुना के किनारे टेंट लगाया था। उस समय एनजीटी ने रविशंकर प्रसाद पर करीब पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।"

टेंट सिटी के ख़िलाफ़ दायर जनहित याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से महाधिवक्ता मनीष खन्ना ने कहा कि वहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना है। तब याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कहा कि इस तरह के प्लांट लगाने के बावजूद गंगा प्रदूषित हो रही है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने सरकार को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीती 13 जनवरी को टेंट सिटी का उद्घाटन किया था और दो दिन बाद 15 जनवरी से यहां पर्यटकों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उद्घाटन के समय दावा किया गया था कि वाराणसी में गंगा के किनारे सजी टेंट सिटी में पर्यटक यहां सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने तक बनारसी स्वाद का लुत्फ उठा सकेंगे। यहां कोई ऐसा कार्य नहीं किया जाएगा जो लोगों की आस्था के लिहाज़ से आपत्तिजनक होगा। इसे योग और ध्यान का केंद्र बनाया जाएगा।

आस्था से खिलवाड़ का आरोप

वहीं प्रदूषण और गंदगी के अलावा एक और विवाद ने तूल पकड़ा है। आरोप है कि यहां लोगों की आस्था और विश्वास को ठेस पहुंचाने का काम किया गया और गंगा प्रदूषण के मानकों का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन किया जा रहा है। आरोप के मुताबिक पुलिस प्रशासन की अनुमति के बगैर 6 मार्च 2023 को यहां एक मनोरंजन कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें विदेशी डांसर्स ने परफॉर्म किया। इस दौरान कथित तौर पर शराब भी परोसी गई। इसके बाद से ही सवालों का सिलसिला शुरू हो गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 जनवरी 2023 को बनारस में गंगा विलास क्रूज के साथ हाईटेक टेंट सिटी का उद्घाटन किया था। उस समय दावा किया गया था कि यहां मांस-मदिरा के सेवन की अनुमति नहीं दी जाएगी। पर्यटक शराब अथवा नॉन वेज लेकर टेंट सिटी में प्रवेश नहीं कर सकेंगे।

इस विवाद पर पूर्व विधायक एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय राय ने एक ट्वीट में कहा है, "अध्यात्म की नगरी काशी का ‘नया विकास माडल टेंट सिटी’ ने क्या हाल किया है? अभी देखते रहिए और क्या-क्या रंग होगा। हमने पहले ही बताया था कि भाजपा सरकार काशी की संस्कृति को ध्वस्त कर रही है और आज फिर एक बार यह बात साबित हो गई। समूचे मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।"

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का ट्वीट तेज़ी से वायरल हो रहा है। साथ ही कार्यक्रम की वीडियो भी। हालांकि 'न्यूज़क्लिक' इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।

काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत राजेंद्र तिवारी भी टेंट सिटी पर सनसनीखेज सवाल सवाल खड़ा करते हैं। वह ऐलानिया तौर पर कहते हैं, "हाईटेक टेंट सिटी को आखिर गोवा क्यों बनाया जा रहा है? टेंट सिटी में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शराब परोसे जाने के इलज़ाम तो पहले से ही लगते रहे हैं। गंगा की पवित्रता के साथ खिलवाड़ चल रहा है।"

महंत राजेंद्र यह भी कहते हैं, "कुछ ही बरस पहले टैक्सपेयर के धन से बनारस की गंगा की रेत पर नहर बनवाई गई थी, जिसमें करोड़ों रुपये डूब गए थे। बालू की लूट हुई सो अलग। गंगा ने जब रेत की नहर को मटियामेट कर दिया तो वो बनारस में गोवा कल्चर को बढ़ावा देने के लिए टेंट सिटी लेकर आ गए। काशी की तपोभूमि को रजोभूमि में परिवर्तित किया जा रहा है। शर्मनाक बात यह है कि जीवनदायनी गंगा नदी को जुहू-चौपाटी की तरह डेवलप किया जा रहा है।"

क्या हैं मौजूदा हालात?

बनारस में गंगा की रेत में गुजरात की दो कंपनियों ने तंबुओं का शहर बसाया है। एक कंपनी है-नीरान तो दूसरी परवेज। हमने टेंट सिटी का दौरा किया। इससे पहले गंगा के हालात को भी देखा। टेंट सिटी के ठीक सामने गंगा नदी में दूर तक काई जमी हुई मिली। जगह-जगह फैले कूड़े के ढेर को हटाने के बजाय उसे जलाया जा रहा है। दशाश्वमेध घाट के सामने तमाम दुकानें सजी हैं। दूर तक फैली रेत पर लोग पानी की बोतलें, पूजा-पाठ और खान-पकवान आदि सामान बेचते नज़र आ रहे हैं। ऊंट और घोड़े वाले राइडिंग के लिए सैलानियों के पीछे लगे रहते हैं। यहां हर चीज़ के लिए मोल-भाव करने की संस्कृति विकसित हो रही है। चाहे वो नौकायन हो या फिर ऊंट-घोड़ें की सवारी। वहां मौजूद कुछ नाविकों ने बताया कि, "गंगा की इतनी दुर्गति पहले कभी नहीं दिखती थी। अब तो भैंसों का जखेड़ा भी गंगा स्नान करने पहुंच जाता है। बनारस की गंगा में जिस तरह से 'काई' जम रही है, उससे लगता है कि आने वाले दिनों में गंगा के लिए बड़ा ख़तरा पैदा होने वाला है। दुर्गा माझी कहते हैं, "गंगा की अविरलता को नज़रंदाज़ किए जाने से रेत पर गंदगी और नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है। जब से गंगा की रेत को गोवा की शक्ल में तब्दील किया जा रहा है, तब से स्थिति भयावह हो गई है।"

निरान टेंट सिटी के महाप्रबंधक अभिषेक बनर्जी ने पर्यटकों को दी जाने वाली सुविधाओं के बाबत विस्तार से जानकारी दी। हमसे से बातचीत में उन्होंने दावा किया, "टेंट सिटी इको फ्रेंडली है, जिसमें पर्यटकों की सुविधा, सुरक्षा और उनके स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा गया है। टेंट से बाहर निकलते ही सूर्य उदय, मां गंगा, अर्धचंद्र घाट और गंगा आरती का नज़ारा दिखता है। मई 2023 तक ये टेंट सिटी बसी रहेगी। जून के आखिर में इसे हटा दिया जाएगा और इसी साल नवंबर में दोबारा तंबुओं का शहर आबाद हो जाएगा।"

कैसा है तंबुओं का शहर?

दावों के मुताबिक़ टेंट सिटी पर्यटकों के लिए न सिर्फ रोमांचकारी साबित हो रही है, बल्कि यहां ठहरने वाले सैलानियों को खास अनुभूति का एहसास भी करा रही है। हर कॉटेज को गंगा फेसिंग से जोड़ा गया है। साइलेंट जोन परिसर विकसित किया गया है। गंगा किनारे लगे बेंच पर सुबह से सनबाथ की सुविधा के साथ ही शाम को डूबते सूरज को निहारने का इंतज़ाम है। बायो टायलेट लगाए गए हैं और टेंट सिटी को नो प्लास्टिक जोन घोषित किया गया है। टेंट सिटी में पर्यटकों के लिए योग सेंटर के अलावा सेंट्रल हॉल, आर्ट गैलरी जैसी कई सुविधाएं हैं। इसे अस्पताल, फायर स्टेशन, पुलिस चौकी आदि संसाधनों से लैस किया गया है।

टेंट सिटी में रोज़ाना गंगा आरती और बनारसी गीत-संगीत की व्यवस्था की गई है। खासतौर पर शहनाई, सारंगी, सितार, संतूर की धुन और तबले की थाप के साथ पर्यटकों को मलइयो, ठंडई, चाट, बनारसी पान और बनारसी मीठा परोसा जा रहा है। यहां हरियाली के लिए गमलों में सजावटी फूलों को लगाया गया है। एक कॉटेज में दमकल, जल पुलिस और एनडीआरएफ के जवान 24 घंटे मौजूद रहते हैं। पर्यटकों के लिए गंगा के रेट पर मेटल के बेस पर सड़क मार्ग बनाया गया है। बनारस की धार्मिक आस्था के अनुसार, सीवेज सिस्टम से लेकर खान-पान तक में विशेष एहतियात बरतने की कोशिश की जा रही है। बनारस की धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को दुनिया से रूबरू कराने का यह एक नया प्रयोग है।"

ऑफिस मैनेजर तपेश चक्रवर्ती ने 'न्यूज़क्लिक' को बताया, "टेंट सिटी में ज़्यादातर सैलानी गुजरात और मुंबई से आ रहे हैं और इसके अलावा इटली व नीदरलैंड के पर्यटक भी अधिक संख्या में आ रहे हैं। पर्यटकों को नमो घाट से पिकअप किया जा रहा है। हमारे यहां डिलक्स कमरे का किराया 15 हज़ार, प्रीमियम टेंट का किराया 20 हज़ार और रॉयल विला का किराया 29 हज़ार रुपये है। किराये के साथ नाश्ता फ्री है। भोजन के लिए अलग से चार्ज है। जीएसटी अलग से देनी होगी।"

तपेश ने यह भी बताया, "टेंट सिटी में ठहरने वाले पर्यटकों के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर में वीआईपी सुगम दर्शन की सुविधा निःशुल्क है। गंगा आरती का शुल्क भी टेंट सिटी के किराये में शामिल है। यहां जो भी आ रहा है वह अध्यात्म का अनुभव करने आ रहा है। टेंट सिटी में सिर्फ शाकाहारी भोजन दिया जा रहा है। गंगा दर्शन विला, काशी सुईट, और रॉयल विला में ठहरने वाले पर्यटकों के लिए मांस, मंदिरा एवं धूम्रपान पूरी तरह प्रतिबंधित है। हमारे 60 फीसदी आशियानों में पर्यटक रोज़ाना ठहर रहे हैं। आमदनी के लिहाज़ से बुकिंग पर्याप्त है।"

वे आगे कहते हैं, "वाराणसी जिला प्रशासन ने हमें गंगा की लहरों के किनारे मंगल कार्यक्रम करने के लिए अनुमति दी है। टेंट सिटी में ठहरने के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन बुकिंग कराई जा सकती है। शादियों के लिए मई महीने के लिए काफी बुकिंग आ रही है। ऑफलाइन टिकट बुकिंग के लिए रविदास घाट और नमो घाट पर काउंटर बनाए गए हैं। टेंट सिटी के अंदर योग सेंटर, कॉन्फ्रेंस हॉल, जिम, स्पा, आर्ट गैलरी, कॉन्फ्रेंस हॉल आदि हैं। गंगा स्नान के लिए फ्लोटिंग बाथ जेटी बनाई गई है।"

"सिर्फ हवा-हवाई है टेंट सिटी"

तंबुओं के शहर में कुछ पल ठहरने के बाद बनारस के पूर्व पार्षद शंकर विशनानी ने 'न्यूज़क्लिक' से कहा, "टेंट सिटी सिर्फ भौकाल है। तंबुओं का यह शहर बनारसियों का नहीं, गुजरातियों का है। टेंट सिटी अच्छी बनाई गई है, लेकिन है सिर्फ हवा-हवाई। यहां सुईट में ठहरने का किराया और भोजन इतना महंगा है कि मध्यम वर्ग का आदमी सोच भी नहीं सकता है। निरान में पर्यटक ज़्यादा जा रहे हैं, लेकिन परवेज में सन्नाटा है। शादी के लिए यहां बनाए गए हॉल का किराया पांच लाख रुपये है। समूची टेंट सिटी गुजराती चला रहे हैं। सिर्फ मज़दूर ही लोकल हैं। बनाया अच्छा है, लेकिन ‘फ्लाप शो’ है। हम चार घंटे तक टेंट सिटी में रहे, लेकिन मुश्किल से पांच-सात लोग ही दिखे। टेट सिटी को देखकर हमें लगता है कि तंबुओं का शहर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नहीं, काले धन को सफेद बनाने के लिए है। सुरक्षाकर्मियों की रोक-टोक के चलते वहां कोई बनारसी जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।"

वाराणसी के छोटी गैबी में गंगा महासभा की हाल में हुई बैठक में टेंट सिटी और गंगा में चल रहे क्रूज और घाटों को धंसने से बचाने के मुद्दे पर चर्चा हुई। महासभा के प्रतिनिधियों ने चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा कि नदी के तीरे फोर लेन रोड बनाने की बात हो रही है। अगर ऐसा हुआ तो काशी के घाट नष्ट हो जाएंगे, जिसे कोई नहीं बचा पाएगा। टेंट सिटी और गंगा में चलने वाले क्रूज पर भी आपत्ति दर्ज कराई गई और पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखने का निर्णय लिया गया।

गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद ने हमसे बात करते हुए कहा, "टेंट सिटी और क्रूज का संचालन काशी के लिए उपयुक्त नहीं है। गंगोत्री से गंगा सागर तक 2200 से अधिक संगठनों के हज़ारों लोग गंगा की अविरलता को बचाने के लिए काम कर रहें हैं। पिछले एक दशक से मैं भी सैद्धांतिक रूप से गंगा के लिए लड़ाई लड़ रहा हूं। मेरा कहना है कि तीर्थाटन और पर्यटन दोनों एक नहीं हो सकते। दोनों का मोड अलग है। तीर्थाटन और मौजमस्ती का घालमेल नहीं किया जाना चाहिए। विश्व विख्यात तीर्थ काशी की मर्यादा और परंपरा भंग, होगी तो संत-महात्मा आवाज़ ज़रूर उठाएंगे।

(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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