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बिहार: फिर सामने आया कोरोना टीकाकरण फ़र्ज़ीवाड़ा, वैक्सीन लगने से पहले ही आ गया सर्टिफिकेट

राजधानी पटना में टीकाकरण के फर्जीवाड़े का एक बार फिर मामला सामने आया है जहां टीका लगने से पहले ही सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया। जब पीड़ित पीएचसी गया तो अस्पताल के कर्मचारी उसे ही ग़लत ठहराने लगे।
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'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

कोरोना की तीसरी लहर में देश भर में संक्रमितों की संख्या में तेजी से वृद्धि दर्ज की जा रही है। स्थिति भयावह होती जा रही है। बिहार में भी संक्रमितों के आंकड़े तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। तेजी से बढ़ते संक्रमितों के इन आंकड़ों के साथ बिहार में टीकाकरण के फर्जीवाड़े का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। इस तरह अगर टीकाकरण के मामले में लापरवाही और अनियमितता होती रही तो स्थिति खतरनाक हो सकती है। 

बिहार की राजधानी पटना में टीकाकरण के फर्जीवाड़ा का एक बार फिर मामला सामने आया है जहां टीका लगने से पहले ही सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार पटना में तुषार राज नाम के एक छात्र को कोरोना वैक्सीन लगने के दो घंटे पहले ही सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक छात्र ने टीका लेने के लिए सुबह 8:04 बजे ऑनलाइन स्लॉट बुक थी। बुकिंग करने के बाद मिडिल स्कूल सबलपुर में 1:00 बजे दोपहर से लेकर 3:00 बजे तक टीका लेने का मैसेज आया।

उसी समय छात्र के मोबाइल पर टीका लेने का सर्टिफिकेट जारी होने का मैसेज भी आ गया। इस मामले में मिडिल स्कूल में सबलपुर के प्रभारी प्रधानाचार्य विभूति कुमार ने हिंदुस्तान को बताया कि 14 जनवरी को वैक्सीन नहीं दिया गया है। इसके बाद जब तुषार राज अपने पिता के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पटना सदर सबलपुर गए तो अस्पताल के कर्मचारी उन्हें ही गलत ठहराने लगे। हालांकि अंत में छात्र को टीका दे दिया गया।

ज्ञात हो कि बिहार में अब तक कुल 10 करोड़ से अधिक टीकाकरण हो चुका है। इनमें पहली खुराक लेने वालों की संख्या 6,19,27,710 जबकि दूसरी खुराक लेने वालों की संख्या 4,44,55,543 है वही प्रीकॉशनरी डोज लेने वालों की संख्या 2,01,712 हो गई है।

पीएम, यूपी के सीएम को बिहार में लगे टीके

बता दें कि पिछले साल दिसंबर महीने में पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेने और अन्य बड़े लोगों को बिहार में टीका लगाए जाने का मामला सामने आया था। 

दूसरी डोज लिए बिना सर्टिफिकेट जारी

पिछले साल दिसंबर महीने की शुरूआत में राजधानी पटना में कई लोगों ने यह शिकायत की थी कि उन्होंने दूसरी डोज ली नहीं जबकि पोर्टल पर दूसरी डोज का सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया था। इस तरह का मामला बिहार के अन्य इलाकों के टीका केंद्रों पर भी सामने आया था। पटना का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने तीन केंद्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। 

मृतक को भी लगा दिया टीका

बिहार में टीकाकरण फर्जीवाड़े की हद यह हो गई राज्य के विभिन्न जिलों में सैकड़ों मृत लोगों को कोरोना का टीका लगाए जाने का मामला भी सुर्खियों में रहा। मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, शेखपुरा सहित अन्य जिलों से इस तरह की खबरें आई थीं जहां मृत लोगों टीकाकरण कर दिया गया और इसका सर्टिफिकेट अपलोड कर दिया गया है।

टीकाकरण की संख्या बढ़ाने के लिए ऑपरेटरों पर दबाव

बता दें कि पीएम मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत अन्य बड़े लोगों का नाम कोविन पोर्टल पर दर्ज करने को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग ने दो डेटा ऑपरेटरों को नौकरी से निकाल दिया था। नौकरी से निकाले गए इन डेटा ऑपरेटरों का आरोप था कि टीकाकरण की संख्या बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य प्रबंधक द्वारा उन्हें पोर्टल पर गलत नाम दर्ज करने के लिए मजबूर किया गया था। एक ऑपरेटर ने न्यूज़क्लिक को बताया था कि “स्वास्थ्य प्रबंधक टीका लगा चुके लोगों का वास्तविक डेटा मुहैया कराए बगैर मुझ पर नामों को दर्ज करते जाने के लिए दबाव डाल रहे थे।”

कोरोना जांच में भी हो चुका घोटाला

कोरोना की दूसरी लहर की शुरूआत यानी पिछले साल फरवरी महीने में ऐसे कई नाम और फ़ोन नंबर फ़र्ज़ी पाए गए। सूची में सैकड़ों ऐसे नाम दर्ज हैं जिनके मोबाइन नंबर की जगह 0000000000 लिखा था। किसी का नाम सही है तो फ़ोन नंबर ग़लत है और किसी का फ़ोन नंबर सही है तो नाम ग़लत पाया गया था।

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