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बिहार: तेजस्वी की यात्रा के दौरान उमड़ती भारी भीड़ क्या सत्तारूढ़ एनडीए के ख़िलाफ़ ग़ुस्से का इज़हार है?

राजद नेता के रोड शो और आम सभाओं में उमड़ रही भारी भीड़, विशेषकर युवा, भाजपा-जद-यू नेताओं की रातों की नींद उड़ा रहे हैं।
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पटना: बिहार में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने भले ही लगभग एक महीने पहले उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया हो, लेकिन तेजस्वी यादव की लोकप्रियता और अपील दिन-ब-दिन बढ़ती दिख रही है, यह उनकी जन विश्वास यात्रा और जन सभाओं में उनके स्वागत में उमड़ती भारी भीड़ इसका संकेत हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उमड़ती भारी भीड़ ने जनता दल-यूनाइटेड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा नेताओं की रातों की नींद उड़ा दी है।

युवा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता, जो पूर्व उप-मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं, ने महागठबंधन के 17 महीने के शासन के दौरान लोगों को उनके योगदान की याद दिलाने के लिए सड़कों पर उतरे हैं।

उनके स्वागत के लिए उमड़ती भारी भीड़, सड़कों और छतों से उनका अभिनंदन और एक के बाद एक सार्वजनिक सभाओं में लोगों की उत्साहपूर्ण भागेदारी राज्य में चर्चा का विषय बन गई है। इस यात्रा के माध्यम से, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता पूरे बिहार में लोगों तक पहुंचने और उन्हें अपने रोजगार, विकास और सामाजिक न्याय एजेंडे के बारे में बताने की कोशिश कर रहे हैं।

तेजस्वी का मुख्य फोकस युवाओं पर है। वे अपनी सार्वजनिक सभाओं में बार-बार एक ही बात दोहरा रहे हैं कि “हमने अपने वादे पूरे किए हैं। अब देश के हर नेता और किसी भी सरकार को 'रोज़गार' और 'नौकरी' के बारे में बात करनी होगी।'' 
राजद नेता लोगों को यह याद दिलाना चाहते हैं कि पिछली महागठबंधन सरकार 2025 तक 10 लाख सरकारी नौकरियां प्रदान करने के अपने वादे को पूरा करने के लिए अधिक नौकरियां पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध थी। इसके अलावा, पिछली सरकार बुनियादी ढांचे, निर्माण और अन्य क्षेत्रों में, मुख्य रूप से निजी क्षेत्र में नौकरियां पैदा करने के लिए काम कर रही थी। 

याद करें कि 17 महीने पुरानी महागठबंधन सरकार ने दिसंबर 2023 में 3.5 लाख से अधिक संविदा स्कूल शिक्षकों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया था – जो उनकी वर्षों की मांग और आंदोलन का परिणाम था। 

एक राजनीतिक पर्यवेक्षक सत्य नारायण मदान ने न्यूज़क्लिक से कहा, "उनकी यात्रा के दौरान उन्हें सुनने के लिए आने वाली भारी भीड़ में मुख्य रूप से युवा शामिल हैं, जो उन्हें सरकारी नौकरियां प्रदान करने वाले नेता के रूप में देखते हैं। उन्हें उम्मीद है कि वह उनके लिए और अधिक करेंगे।" 

पिछले सप्ताह उनकी यात्रा के दौरान मुजफ्फरपुर, सीतामढी, गया, औरंगाबाद और नालंदा जिलों में रोड शो के साथ-साथ सार्वजनिक सभाओं में भारी भीड़ उमड़ी थी।

तेजस्वी की यात्रा को मिली प्रतिक्रिया को व्यापक रूप से राजद नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों के लिए एक बड़े प्रोत्साहन के रूप में देखा जा रहा है, जो 28 जनवरी को नीतीश कुमार द्वारा राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को छोड़कर नई सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ हाथ मिलाने के बाद नाराज हो गए थे।

यात्रा से उत्साहित राजद के वरिष्ठ नेता मनोज झा ने सोमवार को कहा कि भारी भीड़ और लोगों की प्रतिक्रिया बदलाव का संकेत देती नज़र आती है। राजद के राज्यसभा सांसद झा ने कहा, ''तेजस्वी जी, बिहार में नौकरी और भरोसा के प्रतीक बन गए हैं।” 

रविवार को पटना से वैशाली, समस्तीपुर होते हुए मधुबनी जिलों तक तेजस्वी के रोड शो में भारी भीड़ ने उनका स्वागत किया। 

आरजेडी नेता एज़ाज़ अहमद ने कहा कि, "सड़कों पर भारी भीड़ ने हर जगह उनका स्वागत किया। यह हमारी अपेक्षा से कहीं अधिक था। यह लोगों, मुख्य रूप से युवाओं के बीच उनकी बढ़ती लोकप्रियता का एक स्पष्ट संकेत है, जो उनकी एक झलक पाने और उन्हें सुनने के लिए सड़कों पर उमड़ पड़े।"

तेजस्वी की यात्रा सोमवार को बिहार के मुस्लिम बहुल पिछड़े इलाके सीमांचल में प्रवेश कर गई। उनका किशनगंज और अररिया जिलों में रोड शो करने का कार्यक्रम है। 

अब तक तेजस्वी ने अपनी यात्रा के दौरान दो दर्जन जिलों का दौरा किया है, जहां वे लोगों को बार-बार याद दिला रहे हैं कि उन्होंने युवाओं को रोजगार देने और सरकारी नौकरियों के लिए पत्र-वितरित करने के अलावा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने और समावेशी विकास के लिए सामाजिक न्याय लागू करके अपना वादा पूरा किया है। 

तेजस्वी की नौ दिवसीय लंबी यात्रा इस साल राज्य में किसी भी राजनीतिक दल द्वारा पहली यात्रा है जो 28 फरवरी को समाप्त होगी। वे आम जनता को 3 मार्च को पटना में राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन की रैली में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित कर रहे हैं। सभा को राजद प्रमुख लालू प्रसाद, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी राजा और सीपीआई (एमएल) नेता दीपांकर भट्टाचार्य रैली को संबोधित करेंगे।

भाजपा के नेतृत्व वाले राजग और उसके सहयोगी नीतीश कुमार की जद-यू का मुकाबला करने के लिए, तेजस्वी आक्रामक रूप से दोनों पर हमला कर रहे हैं और मुख्यमंत्री को बिहार के विकास के मामले में "दृष्टिहीन और अप्रचलित" करार दे रहे हैं। उन्होंने कुमार पर लोगों के जनादेश को "फुटवियर" की तरह इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया है।

राजद नेता ने लोगों को यह भी आगाह किया कि नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव के साथ बिहार विधानसभा चुनाव भी करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि, "हम इसके लिए तैयार हैं और आपसे अनुरोध करते हैं कि बाकी वादों को पूरा करने के लिए हमारा समर्थन जारी रखें।"

राजनीतिक चुनौती को भांपते हुए बीजेपी नेता तेजस्वी की यात्रा को निशाना बना रहे हैं और पुराने मुद्दों को उठाकर उन पर हमला कर रहे हैं। 

हालांकि, अभी तक न तो सत्तारूढ़ एनडीए और न ही विपक्षी महागठबंधन ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सीट-बंटवारे की किसी व्यवस्था की औपचारिक घोषणा की है। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि बीजेपी अपने सहयोगी दल जेडी-यू से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।

इसी तरह, राजद बिहार की 40 सीटों में से अधिकांश सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है और उसके सहयोगी, कांग्रेस और वामपंथी दल एक दर्जन सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। इस फॉर्मूले के अनुसार, मुख्य फोकस बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को बिहार में 2019 की सफलता को दोहराने से रोकने के लिए सीट दर सीट चुनाव जीतने पर है।

पिछले लोकसभा चुनावों में, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए (तब बीजेजे, जेडी-यू और लोक जनशक्ति पार्टी) ने 40 में से 39 संसदीय सीटें हासिल की थीं, जबकि कांग्रेस ने केवल एक सीट जीती थी और राजद कोई भी सीट जीतने में असफल रही थी जो पार्टी के लिए बड़ा झटका था। 

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