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‘बुल्ली बाई’: महिलाओं ने ‘ट्रोल’ करने के ख़िलाफ़ खोला मोर्चा

मुस्लिम महिलाओं को ‘ट्रोल’ करने की कोशिश के बीच विपक्ष के साथ-साथ महिला संगठनों और आम लोगों ने सोशल मीडिया पर इस मामले में सरकार और पुलिस की सक्रियता और कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
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Image courtesy : Feminism in India

नए साल के साथ ही महिलाओं का डिजिटल स्पेस में नया संघर्ष भी शुरू हो गया है। 'सुल्ली डील्स' के लगभग 6 महीने बाद एक बार फिर अब ‘बुली’ या 'बुल्ली  बाई' पर मुस्लिम महिलाओं को टारगेट करने की कोशिश की जा रही है। इंटरनेट पर शनिवार, 1 जनवरी को करीब सौ से ज्यादा मुस्लिम महिलाओं की फोटो बिना सहमति के अपलोड कर दी गईं। और ये सब ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म गिटहब के जरिए बुल्ली बाई ऐप पर हुआ। फिलहाल मामले में जांच जारी है, लेकिन कार्रवाई कब और कैसे होगी ये किसी को नहीं पता।

बता दें कि इससे पहले पिछले साल 'सुल्ली डील्स' नाम से एक ऐप पर कुछ मुस्लिम महिलाओं की फोटो नीलामी के लिए डाल दी गई थी। इन दोनों ऐप्स में ऐसी मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा है जो डिजिल दुनिया या सोशल मीडिया पर अपनी बातों को मजबूती से रखती हैं। महिला को ट्रोल करना सोशल मीडिया पर लोगों के लिए सबसे आसान काम बन गया है और ये ट्रोलिंग ज़्यादातर पर्सनल हो रही है।

‘सुल्ली डील्स’ क्या है?

4 जुलाई 2021 को कई ट्विटर यूजर्स ने 'सुल्ली डील्स' नाम के एक ऐप के स्क्रीनशॉट शेयर किए। इस ऐप को ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म गिटहब पर एक अज्ञात समूह द्वारा बनाया गया था। ऐप में एक टैगलाइन थी जिस पर लिखा था "सुल्ली डील ऑफ द डे" और इसे मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों के साथ लगाया गया था।

तब जेएनयू की छात्रा आफ़रीन फ़ातिमा ख़ान, जिनका नाम ‘सुल्ली डील्स’ ऐप पर ‘डील ऑफ द डे’ में शामिल था, उन्होंने कहा था कि यह सिर्फ साइबर क्राइम का मामला नहीं है बल्कि यह मुस्लिम आइडेंटिटी पर हमला है क्योंकि जिन महिलाओं का नाम इस ऐप पर शामिल था वे सभी मुस्लिम हैं और उन्हे उनकी पहचान की वजह से ही निशाना बनाया गया। देश में जिस तरह से इस्लामोफिबिया बढ़ा है उसकी वजह से ही इस तरह की घटनाओं को बिना किसी डर के अंजाम दिया जा रहा है।

आफ़रीन फ़ातिमा ख़ान ने मीडिया को बताया था, “मैंने ट्रोलिंग या गालियां बर्दाश्त करना सीख लिया था क्योंकि मैं जान गई थी कि अगर सोशल मीडिया पर अपनी बातों को रखना है तो ये सब झेलना होगा लेकिन जब इस ऐप पर अपना नाम देखा तो काफ़ी ग़ुस्सा आया। अब हमारे ट्रॉमा में एक और सदमा शामिल हो गया है।”

मालूम हो कि 'सुल्ली' या 'सुल्ला' मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला अपमानजनक शब्द है, ‘बुल्ली’ इसी का पर्यायवाची है। ज़ाहिर ही यह मुस्लिम महिलाओं का मानसिक सामाजिक शोषण करने के लिए किया गया था। एक लोकतांत्रिक देश में धर्म विशेष की औरतों के लिए कोई डिजिटल सुरक्षा न होना गंभीर समस्या है। ऐप बनाने वाले सोशल मीडिया अकाउंट्स से अवैध रूप से मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें एकत्र करते थें, उन्हें ‘सुल्ली डील्स' ऐप पर अपलोड करते थें और यूजर्स को ‘नीलामी’ में भाग लेने को कहते थे।

इस पर क्या कार्रवाई हुई?

बीते साल जुलाई में 'सुल्ली डील्स' विवाद में दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की थीं। दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा 'सुली डील्स' विवाद में दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज करने के पांच महीने बाद भी गिरफ्तारी या जांच में कोई प्रगति नहीं होने के कारण मामला लगभग ठप पड़ा हुआ है।

छात्र संगठन एनएसयूआई की पूर्व अध्यक्ष हसीबा ने ट्वीटर पर दिल्ली पुलिस को टैग करते हुए लिखा, "पिछले बार मई में जब मैंने शिकायत दर्ज करवाई थी तब से अब तक आपके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। महिलाओं को कार्रवाई का झूठा आश्वासन देना बंद करें।"

सुल्ली डील्स में अपनी फोटो का इस्तेमाल होने और ऑनलाइन नीलामी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वालीं नाबिया खान ने भी दिल्ली पुलिस को टैग करते हुए ट्वीट किया, “सब झूठ है दिल्ली पुलिस! आपने मुझे मेरी शिकायत पर दर्ज एफआईआर की कॉपी कभी नहीं दी। 5 महीने हो चुके हैं। मैं अभी भी इंतज़ार कर रही हूं। इस बार आप क्या कार्रवाई करेंगे?”

बता दें कि संसद में मानसून सत्र के दौरान 29 जुलाई को राज्यसभा में सांसद अब्दुल वहाब के सवाल के जवाब में महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय ने बताया कि ''गृह मंत्रालय की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक़ दिल्ली पुलिस ने सुल्ली डील्स मामले में एक एफ़आईआर दर्ज की है।''

हालांकि इस मामले पुलिस के हाथ कोई ठोस जानकारी लगी या नहीं, अभी तक किसी की गिरफ्तारी हुई या नहीं ये सब सार्वजनिक तौर पर किसी को नहीं पता। पता है तो सिर्फ इतना की साइबर स्पेस में महिलाओं को बदनाम करने वालों के हौसले बुलंद हैं।

'बुल्ली बाई' ऐप क्या है?

‘सुल्ली डील्स' की तरह 'बुल्ली बाई' ऐप भी एक होस्टिंग प्लेटफॉर्म पर बनाया और इस्तेमाल किया गया है। ये प्लेटफॉर्म ओपन-सोर्स कोड का भंडार है। सोशल मीडिया यूज़र्स के मुताबिक ऐप 'बुल्ली बाई' भी सुल्ली डील्स की तरह ही काम करता है। एक बार जब आप इसे ओपन करेंगे तो मुस्लिम महिलाओं के चेहरे रैंडम तरीके से “बुल्ली बाई” के रूप में दिखने लगते हैं। यह पोर्टल कथित तौर पर शनिवार, 1 जनवरी को लॉन्च किया गया था और इसमें अपमानजनक कंटेंट के साथ पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और प्रसिद्ध हस्तियों सहित मुस्लिम महिलाओं की कई तस्वीरें थीं।

ट्विटर पर अपनी अच्छी ख़ासी मौजूदगी रखने वाली मुस्लिम महिलाओं ने बुल्ली बाई पर अपनी फ़ोटो अपलोड किए जाने का स्क्रीनशॉट ट्वीट किया है। द वायर की पत्रकार इस्मत आरा ने इस प्लेटफॉम पर बनाई गई ख़ुद की प्रोफ़ाइल का स्क्रीनशॉट शेयर करने के साथ ही इस मामले में दिल्ली साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। दिल्ली पुलिस ने ट्वीट कर कहा है कि वह इस मामले की जांच कर रही है।

इस्मत आरा ने ट्वीट करते हुए लिखा, ''ये बहुत दुख की बात है कि एक मुस्लिम महिला के रूप में मुझे नए साल की शुरुआत इस डर और घृणा के साथ करनी पड़ रही है. बेशक #sullideals के इस नए संस्करण में मुझे अकेले निशाना नहीं बनाया गया है, आज सुबह एक दोस्त ने ये स्क्रीनशॉट भेजा। नववर्ष की शुभकामनाएं।''

सोशल मीडिया पर काफ़ी लोकप्रिय आरजे सायमा ने भी ट्वीट कर इस मामले की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, ''सुल्ली डील्स की तर्ज पर बनाए गए बुल्ली डील्स ऐप पर कई मुस्लिम लड़कियों की तरह मेरा प्रोफ़ाइल भी बनाया गया है। यहाँ तक कि नजीब की माँ को भी नहीं बख्शा गया है। यह भारत की टूटी-फूटी न्याय व्यवस्था, एक जर्जर क़ानून-व्यवस्था व्यवस्था का प्रतिबिंब है। क्या हम महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बनते जा रहे हैं? ''

इसी तरह पत्रकार हिबा बेग ने ट्विटर पर लिखा, ''कोरोना के कारण अपनी दादी को खोने के बाद आज मैं पहली बार उनकी क़ब्र पर गई। जैसे ही मैं घर जाने के लिए कार में बैठी, मुझे दोस्तों ने बताया कि एक बार फिर मेरी तस्वीरों की नीलामी की जा रही है। बुली डील्स पर। पिछली बार इसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया गया, और यह फिर से हो रहा है।''

उन्होंने आगे लिखा, ''मैंने ख़ुद को सेंसर कर लिया है, मैं अब शायद ही यहां (ट्विटर पर) बोलती हूं, लेकिन फिर भी, मुझे ऑनलाइन बेचा जा रहा है, मेरा सौदा किया जा रहा है। मैं इस देश में सुरक्षित नहीं हूं, मेरे जैसी मुस्लिम महिलाएं इस देश में सुरक्षित नहीं हैं। कार्रवाई के लिए हमें कितने ऑनलाइन सौदे देखने होंगे? हमारी मदद करिए!''

इस पर क्या कार्रवाई हुई?

बुल्ली बाई पर भारी विवाद के बाद सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अपराधी के अकाउंट को गिटहब ने ब्लॉक कर दिया है और पुलिस तथा कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) मामले की जांच कर रही है। इसके बाद एक अन्य ट्वीट में उन्होंने जानकारी दी कि भारत सरकार इस मामले पर दिल्ली और मुंबई पुलिस के साथ काम कर रही है।

मालूम हो कि शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस मामले को मुंबई पुलिस के समक्ष एक जनवरी को उठाते हुए कहा था कि सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें गिटहब प्लेटफॉर्म के ज़रिए एक ऐप पर अपलोड की गई हैं। चतुर्वेदी ने इसके दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ़्तार करने की मांग भी की थी।

प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर कहा था, ''मैंने सीपी मुंबई पुलिस और डीसीपी क्राइम रश्मि कारंदिकर से बात की है. वे इस मामले की जांच करेंगे। इसे लेकर महाराष्ट्र के डीजीपी से भी बात की है कि वे मामले में हस्तक्षेप करें। उम्मीद है कि इसमें शामिल महिला विरोधी और लैंगिक भेदभाव करने वाले गिरफ़्तार होंगे।''

इसके बाद इस पूरे मामले पर मुंबई पुलिस ने संज्ञान लेते हुए कहा कि संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के लिए कहा गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि मुंबई साइबर पुलिस ने जाँच शुरू कर दी है।

बता दें कि गिटहब ने ही सुल्ली डील्स को भी होस्ट किया था, लेकिन बाद में इसे हटा दिया था। गिटहब जिसका मुख्यालय अमेरिका के सैन डिएगो में है। उसकी तरफ से अभी तक इस मामले पर कोई बयान जारी नहीं किया है।

पक्ष-विपक्ष ने क्या कहा?

सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मुस्लिम महिलाओं की तस्वीर अपलोड किए जाने पर उठे सवाल के बाद रविवार, 2 जनवरी को बताया कि साइबर टीम और कानून एजेंसियों को शिकायत की जांच करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि होस्ट प्लेटफॉर्म ‘गिटहब’ ने यूजर को ब्लॉक करने की पुष्टि की है और भारतीय कम्प्यूटर आपदा प्रतिक्रिया दल (CERT) और पुलिस अधिकारी आगे की कार्रवाई के लिए समन्वय कर रहे हैं।

वैष्णव ने अपने ट्वीट में लिखा, “भारत सरकार दिल्ली और मुंबई में पुलिस के साथ इस विषय पर काम कर रही है।”

इससे पहले वैष्णव ने शनिवार, 1 जनवरी को देर रात ट्वीट किया था कि गिटहब ने आज सुबह यूजर को ब्लॉक करने की पुष्टि की। सीईआरटी और पुलिस अधिकारी आगे की कार्रवाई के लिए समन्वय कर रहे हैं।”

हालांकि आईटी मंत्री द्वारा इस बात की जानकारी नहीं दी गई कि क्या कार्रवाई की जा रही है। विपक्षी दलों ने सोशल मीडिया पर महिलाओं के खिलाफ अपराध पर एक्शन को लेकर केंद्र सरकार और बीजेपी पर निशाना साधा है। शिवसेना, कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन) समेत कई राजनीतिक दलों ने अपराधियों के खिलाफ सरकार से जल्द सख्त कार्रवाई की मांग की है।

इस मामले की निंदा करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने रविवार, 2 जनवरी को अपने एक ट्वीट में केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "सांप्रदायिक ताकतें यौन हिंसा को अपना हथियार समझती हैं। नफरत की फसल बोने वाले जो लोग आज पहचान के आधार पर महिलाओं को टारगेट कर यौन हिंसा कर रहे हैं वे समाज, संविधान व देश विरोधी हैं। पीएम नरेंद्र मोदी इस तरह के लोगों पर एक्शन न लेना आपकी सरकार की महिला विरोधी विचारधारा को दर्शाता है।"

इसी तरह टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी महिलाओं पर हो रहे इस हमले के खिलाफ एक एकजुटता दिखाते हुए ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, “हर वो महिला जिसे इस तरीके से निशाना बनाया जा रहा है, मैं उनके साथ हूं, हमें इससे साथ मिलकर लड़ना है।"

इस मामले पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर महिलाओं के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए ट्विटर पर लिखा, “महिलाओं का अपमान और सांप्रदायिक नफरत तभी बंद होंगे जब हम सब एक आवाज में इसके खिलाफ खड़े होंगे। साल बदला है, हाल भी बदलो- अब बोलना होगा!”

शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा, " मैंने बार-बार माननीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव जी से सुल्ली डील जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से महिलाओं के इस तरह के बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक तौर पर निशाना बनाए जाने के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा है। लेकिन ये शर्म की बात है कि इसे लगातार नज़रअंदाज़ किया गया, जिसके चलते ये अभी भी जारी है।"

प्रियंका ने आगे कहा कि इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, हालांकि आपत्तिजनक ऐप और साइटों को ब्लॉक कर दिया गया है। 'सुल्ली डील्स' के बाद 'बुल्ली डील्स' के फिर से शुरू होने से पहले मेरे द्वारा 30 जुलाई और 6 सितंबर, 2021 को आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखा गया था, जिसका जवाब मुझे 2 नवंबर को मिला, जो निराशाजनक है।

वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने अपने एक ट्वीट में लिखा, "अब समय आ गया है कि हमारी दिल्ली पुलिस पर शिकंजा कसा जाए। यह शर्मनाक है कि ऐसी मानसिकता के लोग मौजूद हैं लेकिन अगर उन्हें आज सबक नहीं सिखाया गया तो वे अपराध का अगला मौका तलाश लेंगे।"

उधर, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी महिलाओं का समर्थन करते हुए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से भी मामले का संज्ञान लेने को कहा। ओवैसी ने ट्वीट में कहा, "शर्मनाक! अधिकारियों की निष्क्रियता ने इन अपराधियों को बेशर्म बना दिया है। अश्विनी वैष्णव और दिल्ली पुलिस से आग्रह है कि वह इस मामले की जांच करें और सख्त कार्रवाई करें।”

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि मुस्लिम महिलाओं को ऑनलाइन परेशान करने वालों को सरकारी प्रश्रय मिला हुआ है। उन्होंने कहा, जो अपराधी बुल्ली-बाई जैसे एप बना रहे हैं, उन्हें खुली छूट मिली हुई है।

सीपीआई (एमएल) की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन ने सोशल मीडिया पर टारगेट की गई मुस्लिम महिलाओं के साथ एकजुटता दिखाते हुए इस पूरे मामले पर अपना रोष व्यक्त किया। उन्होंने आरोप लगाया कि हिंदू अतिवादियों, संघियों द्वारा मुस्लिम महिलाओं को ऑनलाइन "नीलामी" का शिकार बनाया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सुल्ली डील्स पर पुलिस की सोची-समझी निष्क्रियता ने ही बुली बाई को बढ़ावा दिया है। 

राष्ट्रीय महिला आयोग ने की जल्द कार्रवाई की मांग

इस गंभीर मामले पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी दिल्ली पुलिस को पत्र लिखकर तेजी से कार्रवाई करने को कहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह के अपराध दोबारा ना हों। इसके अलावा आयोग ने अपने ट्वीट में दोनों मामलों में की गई कार्रवाई के बारे में जल्द से जल्द आयोग को सूचित करने की बात भी कही है।

आयोग ने ट्वीट किया, ” राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस घटना का संज्ञान लिया है। आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इस मामले में तत्काल एफआईआर दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त को पत्र लिखा है। कार्रवाई में तेजी लाई जानी चाहिए ताकि इस तरह के अपराध दोबारा ना हों।”

इस मामले को लेकर सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं और महिला संगठनों के साथ ही कई आम लोगों ने रोष व्यक्त करते हुए सरकार और पुलिस पर निशाना साधा है।

अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संगठन यानी एपवा ने पीड़िताओं के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए आरोप लगाया कि इस घटना के पीछे हिंदू अतिवादियों’ का हाथ है। संगठन की ओर जारी एक बयान में कहा गया कि सुल्ली डील्स मामले में पुलिस की उदासीनता और विफलता ने ही "बुली डील्स" को उभरने के लिए प्रेरित किया है। देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की चुप्पी मुस्लिम महिलाओं को टारगेट कर इस्लामोफोबिक यौन हिंसा को बढ़ावा दे रही है।

ऐपवा अध्यक्ष रति राव, सचिव कविता कृष्णन व जनरल सेक्रेटरी मीना तिवारी द्वारा जारी इस बयान में कहा गया है कि हम यानी ऐपवा पूरे देश से इन बेशर्म हिंदू वर्चस्ववादियों के ख़िलाफ़ बोलने का आह्वान करते हैं, जिनकी असुरक्षित मर्दानगी उन्हें मुस्लिम महिलाओं की “नीलामी” करने के लिए प्रेरित करती है।

नारीवादी कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने सवाल किया कि बहुसंख्यक कब तक मूकदर्शक बने रहेंगे या सभी धर्मनिरपेक्ष लोग मानसिक और शारीरिक रूप से मृत हो चुके हैं। उन्होंने कहा, कि आक्रोश कहां है?

ये मुद्दा मानसिकता का है!

गौरतलब है कि इस मामले को सिर्फ एक समुदाय विशेष तक ही सिमित करने देखना सही नहीं होगा, अपितु इस पितृसत्तात्मक सोच के दूरगामी प्रभाव पूरी महिला बिरादरी को भुगतने पड़ सकते हैं। सुल्ली डील्स का मामला सामने आने के कुछ दिन बाद सोशल मीडिया पर यह भी कहा गया कि हिंदू महिलाओं को भी इस तरह के यौन उत्पीड़न का निशाना बनाया जाता है। बताया गया कि टेलीग्राम, डिसकॉर्ड, रेडिट और दूसरे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर ऐसे ग्रुप और पेज हैं, जहां हिंदू महिलाओं की फोटो को मॉर्फ करके उन्हें सेक्स वर्कर के तौर पर पेश किया जाता है। इसके साथ ही ये भी बताया गया कि इन पेज और ग्रुप्स के जरिए पॉर्नोग्राफिक कंटेट परोसा जाता है, जिसमें हिंदू महिलाओं और मुस्लिम पुरुषों को आपत्तिजनक अवस्था में दिखाया जाता है। मुस्लिम बहुल देशों के नाम इसमें सामने आए।

हालांकि महिलाएं चाहें किसी भी धर्म की हों ये मुद्दा मानसिकता का है, यह एक लिंग आधारित मामला है, जिसे समझना बेहद जरूरी है। डिजिटल एरा में जीते हुए यह सरकारी ज़िम्मेदारी है कि वह डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाए, जिससे डिजिटल स्पेस में महिलाओं को अपने विचारों की अभिव्यक्ति को लेकर संघर्ष न करना पड़े।

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