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कोविड-19 पुनर्संक्रमण: नए अध्ययन के मुताबिक यह वायरस खुद को इंसानी क्रोमोसोम में छुपाकर जिन्दा रख सकता है!

अध्ययन से पता चला है कि नवीनतम कोरोनावायरस अपने आनुवांशिक तत्वों या आरएनए को इंसानी क्रोमोसोम से एकीकृत कर सकने की क्षमता रखता है और इसके जरिये खुद का पुनरुत्पादन कर पाने में सक्षम है।
कोरोना वायरस
चित्र साभार: डेक्कन हेराल्ड 

एसएआरएस-सीओवी-2 वायरस जिसके चलते सारे विश्व में कोरोनावायरस महामारी का कहर बरपा हुआ है, से पुनः संक्रमण के मामले सारी दुनिया भर में उभर रहे हैं इसको लेकर जिन दो संभावनाओं पर प्रमुखता से विचार किया जा रहा है, उनमें एक तो दूसरी बार के हमले को रोक पाने में इम्यून सिस्टम (प्रतिरोधक क्षमता) की अक्षमता और दूसरा इस वायरस के लंबे समय तक प्रभाव में बने रहने को माना जा रहा है इस समस्या को हाथ में लेते हुए एमआईटी और हार्वर्ड विश्वविद्यालय, अमेरिका की शोध टीम को एक अलग ही पहलू हाथ लगा है उनका यह शोध 13 दिसंबर के प्री-प्रिंट सर्वर बायोरक्सीव में प्रकाशित हुआ 

यह अध्ययन एक अलग ही संभावना का संकेत देता है इसका कहना है कि कोरोनावायरस खुद को एक आश्चर्यजनक स्थान पर छिपाकर रख सकता है, और वह स्थान है इंसान का क्रोमोसोम ऐसा करते हुए यह वायरस अपने आनुवांशिक उत्पाद आरएनए को इंसानी क्रोमोसोम से एकीकृत कर लेता है यह खोज यदि सच है तो कोविड-19 से निपटने के तौर-तरीकों पर इसका गहरा असर पड़ने जा रहा है, जिसमें सक्रिय संक्रमण के बारे में झूठे संकेतों से लेकर प्राप्त हो रहे परिणाम भ्रामक हो सकते हैं

जो वायरस इस तकनीक को इस्तेमाल में लाते हैं, उन्हें रेट्रोवायरस वायरस के नाम से जाना जाता है इसका एक प्रसिद्द उदाहरण एचआईवी वायरस हमारे सामने मौजूद है

एचआईवी वायरस अपनी आनुवांशिक सामग्री को इंसानी क्रोमोसोम से एकताबद्ध कर सकता है और खुद का पुनरुत्पादन कर सकता है हालाँकि इस अध्ययन के अनुसार कोरोनावायरस अपने आनुवांशिक तत्व के सिर्फ कुछ हिस्से को ही इंसानी क्रोमोसोम से एकताबद्ध कर पाने में सफल हो सका है इसके लेखकों ने इस बात पर भी जोर दिया है कि उनकी खोज कहीं से भी इस बात को स्थापित नहीं करता है कि कोरोनावायरस स्थायी तौर पर इंसान के क्रोमोसोम में बना रह सकता है और एचआईवी वायरस की तरह ही अपनी नई प्रतिलिपियों के पुनरुत्पादन के काम में लगा रह सकता है

क्या कोरोनावायरस अपने आरएनए को इंसानी डीएनए के गुणसूत्र में एकताबद्ध करने में सक्षम है, इसकी जाँच के लिए शोधकर्ताओं ने इंसानी कोशिका में एंजाइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज (आरटी) को शामिल किया है और प्रयोगशाला में मौजूद द्रव्यों के साथ एसएआरएस-सीओवी-2 से तैयार की गई कोशिका को बढाया है रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज (आरटी) एंजाइम ने आरएनए को डीएनए में तब्दील कर दिया था

शोधकर्ताओं ने एक ऐसे जीन को लिया जो एचआईवी-आरटी के लिए कोड और इंसान के डीएनए अनुक्रम भी है, जिसे लाइन 1 के तौर पर जाना जाता है मानव डीएनए में लाइन 1, आरटी के लिए कोडिंग का काम करता है और ये डीएनए अनुक्रम इंसान के जीनोम में प्राचीन रेट्रोवायरस मुठभेड़ के अवशेष के तौर पर मौजूद रहते आये हैं ये लाइन 1 अनुक्रम मानव जीनोम के 17% हिस्से को बनाते हैं

सभी वायरस अपनी आनुवांशिक सामग्री को मानव कोशिकाओं में प्रविष्ठ कराते हैं हालाँकि ये आम तौर पर कोशिका के खुद के डीएनए से अलगाव में रहते हैं

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के रुडोल्फ जैनेस्च, जिन्होंने इस अध्ययन का नेतृत्व किया था एवं उनके टीम के सदस्यों की उत्सुकता यह जानने को लेकर थी कि क्या ये दोबारा से संक्रमण के मामले और अबूझ पहेली, आरटी पीसीआर (एक तकनीक जिसके जरिये वायरल आनुवांशिक तत्वों की स्वैब जैसे नमूनों से पता लगाया जाता है) की जाँच में इस्तेमाल की जानी वाली वस्तुओं से तो नहीं है। आरटी पीसीआर मशीन असल में जैविक नमूनों में विशिष्ट वायरस अनुक्रमों का पता लगाने का काम करती है, इस बात की परवाह किये बिना कि वायरल अनुक्रमों में से कुछ भाग टुकड़े के तौर पर मौजूद रह सकते हैं और वे अब नए वायरस का निर्माण नहीं कर सकते हैं।

हालाँकि इस अध्ययन के निष्कर्षों को लेकर विषाणुविज्ञानियों के बीच में मतभेद बना हुआ है नोबेल पुरस्कार विजेता डेविड बाल्टिमोर, जिन्होंने रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज एंजाइम की खोज की थी, का कहना है कि हालाँकि ये खोज अपने आप में प्रभावशाली हैं लेकिन साथ में उनका यह भी कहना था: “जेनीस्च और उनके सहयोगियों ने सिर्फ यही प्रदर्शित किया है कि एसएआरएस-सीओवी-2 के जीनोम के टुकड़े एकीकृत हो सकते हैं क्योंकि ये सभी टुकड़े कोरोनावायरल के जीनोम हैं, इससे यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि इससे आरएनए या डीएनए संक्रमित हो सकता है और इसलिए यह संभवतया जैविक रूप से एक अंतिम मुकाम तक पहुँच जाता है यह भी अस्पष्ट बना हुआ है कि यदि लोगों में जो कोशिकाएं मौजूद होती हैं, वे रिवर्स ट्रांसक्रिप्ट को लम्बे समय तक बनाए रखती हैं या नष्ट हो जाती हैं इस काम ने बेहद रोचक प्रश्नों को खड़ा कर दिया है

इस अध्ययन से निकले निष्कर्षों को लेकर कई अन्य चिंताएं भी हैं एसएआरएस-सीओवी-2 के प्रतिकृति का काम किसी कोशिका के भीतर एक विशिष्ट खाँचे में संपन्न होता है ऐसे में एचआईवी वायरस रोग विशेषज्ञ एवं रोगाणुविज्ञानी मेलाइन ओट के अनुसार, क्या रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन कुछ इस प्रकार से संभव हो पाता है जो केंद्र में मानव डीएनए के साथ महत्वपूर्ण एकीकरण को संभव बनाता है, यह एक खुला प्रश्न बना हुआ है

इस अध्ययन के निष्कर्षों को लेकर निश्चित तौर पर कई किन्तु, परन्तु जैसे सवाल बने हुए हैं हालाँकि यह नवीनतम कोरोनावायरस को लेकर देखे जाने और शोध कार्य के बारे में एक समूचे नए प्रतिमान को खोलने का काम करता है

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

COVID-19 Reinfection: Virus Could Hide Itself in Human Chromosome, Finds New Study

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