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संविधान, लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्षता बचाने के लिए राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन का आह्वान

''मोदी सरकार पूरी तरह से जनविरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त है। जिसके द्वारा हर दिन संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और ईडी-सीबीआई इत्यादि एजेंसियों के जरिये विपक्ष को लगातार टारगेट किया जा रहा है।'’
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पटना: आगामी 2024 के चुनाव में केंद्र की मौजूदा सांप्रदायिक-फासिस्ट सरकार को परास्त करने के आह्वान के साथ भारतीय खेत मज़दूर यूनियन (बीकेएमयू) का 15वां राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन पटना में संपन्न हुआ। सम्‍मेलन से केंद्र में सत्ताशीन भाजपा सरकार द्वारा किये जा रहे हमलों से देश के संविधान, लोकतंत्र एवं धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए ग्रामीण स्तर पर गोलबंदी बढ़ाने पर जोर दिया गया। साथ ही देश के खेत मज़दूरों के लिए व्यापक केंद्रीय कानून बनाने, निजीकरण पर रोक लगाए जाने व देश के सार्वजनिक संस्थानों को बेचे जाने, खेत मज़दूरों की सामाजिक सुरक्षा, पेंशन योजना की राशि पांच हज़ार रूपये प्रतिमाह करने इत्यादि मांगों पर भी आंदोलन तेज़ करने के प्रस्ताव लिए गए।

सम्मलेन के उद्घाटन सत्र में सीपीआई महासचिव डी राजा ने अपने उद्घाटन वक्तव्य में कहा कि - ''केंद्र की सत्ता में काबिज़ भाजपा नेतृत्ववाली सरकार के हाथों में देश सुरक्षित नहीं है। मोदी सरकार पूरी तरह से जनविरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त है। जिसके द्वारा हर दिन संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है और ईडी-सीबीआई इत्यादि एजेंसियों के जरिये विपक्ष को लगातार टारगेट किया जा रहा है। साथ ही एक सुनियोजित साज़िश के तहत पूरे देश के अंदर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पैदाकर देश को बांटने का प्रयास किया जा रहा है। इस फ़ासीवादी सरकार के ख़िलाफ़ INDIA गठबंधन को व्यापक सोच के साथ काम करना होगा।

सत्र को संबोधित करते हुए बिहार INDIA गठबंधन सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि बिहार में किसी को नहीं उजाड़ा जाएगा। किसी भी योजना के तहत घर उजाड़ने से पहले वैकल्पिक वास-भूमि उपलब्ध कराई जायेगी। बिहार की सरकार द्वारा प्रदेश के सभी वासरहित भूमिहीनों को 2025 तक तीन से पांच डिसमिल आवासीय भूमि उपलब्ध करा दी जाएगी। सम्‍मेलन को बिहार विधान सभा के पूर्व सभापति एवं वरिष्ठ राजद नेता उदय नारायण चौधरी तथा भोला पासवान ने भी अपने संबोधन में केंद्र की जन विरोधी भाजपा सरकार की मजदूर किसान विरोधी नीतियों व सांप्रदायिक विभाजनकारी नीतियों के विरुद्ध व्यापक एकजुटता पर जोर दिया। राजद नेता व पूर्व मंत्री श्याम रजक ने कहा कि बिहार की आंदोलन परम्परा की चर्चा करते हुए कहा कि - सन 1857 से लेकर देश की आजादी व उसके के बाद से होने वाले सभी राष्‍ट्रीय महत्व के आंदोलनों में बिहार की प्रभावाकरी भूमिका रही है। कई बार तो बिहार के आंदोलनों ने पूरे देश को रास्ता भी दिखाया है। आज जो पूरा देश अनिश्चितता के जिस चौराहे पर खड़ा है इस संकट से भी निज़ात दिलाने में बिहार की अहम् भूमिका रहेगी।

प्रतिनिधि सत्र में राष्‍ट्रीय महासचिव गुलज़ार सिंह गोरिया द्वारा प्रस्तुत राजनीतिक-सांगठनिक कार्य रिपोर्ट पर व्यापक चर्चा की गयी। जिसमें कई राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपने सुझावपूर्ण विचार रखे। इस सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय महिला फेडरेशन की राष्‍ट्रीय महासचिव एनी राजा ने कहा कि देश में जब से मोदी सरकार आई है महिलाओं पर बेतहाशा अत्याचार बढ़ा है। आए दिन महिलाओं के साथ क्रूर मज़ाक किया जा रहा है। मोदी सरकार महिलाओं को सुरक्षा देने की बजाय महिलाओं पर अत्याचार करनेवाले मुजरिमों को ही रिहा कर रही है। देश की ग्रामीण कृषि व्यवस्था में 65 प्रतिशत आबादी महिलाओं की है और उनका अहम् योगदान है। लेकिन बढ़ती भुखमरी की शिकार सबसे अधिक यही महिलाएं हो रहीं हैं।

सम्मेलन में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ एग्रीकल्चर फूड, कॉमर्स एंड एलाइड इंडस्ट्रीज, फ़्रांस से आए विदेशी मेहमान प्रतिनिधियों को सम्‍मेलन की ओर से सम्मानित किया गया। अपने शुभकामना संबोधन में उन्होंने कहा कि दुनिया के पैमाने पर किसान-मजदूरों के साथ भेदभाव और शोषण लगातार बढ़ता जा रहा है। जिसके ख़िलाफ़ हम सभी भी लगातार आंदोलन कर रहें हैं।

सम्‍मेलन को अखिल भारतीय खेतिहर मजदूर यूनियन, अखिल भारतीय अग्रगामी कृषि श्रमिक यूनियन व अखिल भारतीय ग्रामीण एवं खेत मजदूर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के अलावे एटक, एआईएसएफ़, एआईवाईएफ़, राष्‍ट्रीय महिला फेडरेशन व भारतीय किसान सभा इत्यादि बिरादराना संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी संबोधित किया।

सम्‍मेलन के संगठन सत्र में सर्वसम्मति से 125 सदस्यीय नयी राष्‍ट्रीय परिषद व 35 सदस्यीय राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी का चुनाव किया गया। एक बार फिर से तमिलनाडु के मजदूर नेता एन पेरियारस्वामी को राष्‍ट्रीय अध्यक्ष तथा गुलज़ार सिंह गोरिया को राष्‍ट्रीय महासचिव चुना गया। इसके अलावे तीन उपाध्यक्ष व सात सचिव भी बनाए गए।

सम्‍मेलन से पारित प्रस्ताव में केंद्रीय मांगों के अलावे सभी खेत मजदूरों को मनरेगा के तहत 600 रु प्रतिदिन मजदूरी व साल में 200 दिन काम की गांरटी, पीएम आवास योजना की राशि प्रति युनिट 5 लाख रूपये करने, प्रत्येक भूमिहीन को ज़मीन व रोज़गार की गारंटी, दैनिक मजदूरी बढ़ाने इत्यादि मांगों के साथ साथ देश के किसानों की सभी मांगे पूरी करने, दलितों पर बढ़ते अत्याचार अविलंब रोकने तथा प्रवासी मजदूरों (जिनमें बहुसंख्यक खेत मजदूर ही होते हैं) की सभी समस्याओं के समाधान के कारगर क़दम उठाने समेत कई अन्य मांगें की गयीं।

सम्‍मेलन से लिए गए तात्कालिक कार्यभार के तहत आगामी चार दिसंबर को दिल्ली में दलितों के सवाल पर आयोजित महाधरना कार्यक्रम को ताक़त के साथ सफल बनाने तथा देश भर के खेत मजदूरों व दलितों की समस्यायों को लेकर विशेष हस्ताक्षर अभियान चलाने निर्णय लिया गया। 4 दिसम्बर को ही 1 करोड़ हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन देश के राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा।

सम्‍मेलन द्वारा देश भर में खेत मजदूरों, दलितों, किसानों व सभी मेहनतकशों से आनेवाले 2024 के आम चुनाव में सांप्रदायिक और फासिस्‍ट आरएसएस नीत बीजेपी सरकार को परास्त करने के लिए “भाजपा हटाओ, देश बचाओ” का आह्वान किया गया।

2 से 5 नवंबर 2023 को कॉमरेड भोला मांझी नगर (पटना) के जी मल्लेश सभागार (गेट पब्लिक लाइब्रेरी, गर्दनीबाग) में आयोजित हुए इस सम्मलेन में देश के विभिन्न प्रदेशों से आये 1 हज़ार प्रतिनिधियों ने भागीदारी निभायी।

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