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शिक्षक दिवस: दिनों-दिन और जाहिल हो रहे हैं/ न जाने क्या पढ़ाया जा रहा है

शिक्षक दिवस की मुबारकबाद, लेकिन आज जो हिंसा और नफ़रत का माहौल है उसमें पूछा ही जाना चाहिए कि शिक्षा का यह हाल किसने किया है कि हम बेहतर नागरिक की जगह ज़ोंबी बनते जा रहे हैं।
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आज शिक्षक दिवस है। लेकिन आज शिक्षक और विद्यार्थी दोनों बेहाल हैं। नई शिक्षा नीति शिक्षा को बेहतर बनाने की बजाय उसे और बर्बाद करने पर तुली है। इतिहास के साथ विज्ञान को भी बदला जा रहा है। और रोज़गार का तो पूछिए ही मत।

मुज़फ़्फ़रनगर की शिक्षक तृप्ता त्यागी की कारगुज़ारी की रौशनी में यह भी पूछा जाना चाहिए कि आज जिस तरह की हिंसा और नफ़रत देश-समाज में फैली है उसके लिए कौन ज़िम्मेदार है।

कुछ तो अपनी पढ़ाई में गड़बड़ है सर

इतना पढ़ के भी ज़ेहनों में जाले हुए


यह भी कहना होगा--


दिनों-दिन और जाहिल हो रहे हैं

न जाने क्या पढ़ाया जा रहा है


तुम्हे लगता है तुम हो राष्ट्रवादी

तुम्हे ज़ोंबी बनाया जा रहा है

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