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छत्तीसगढ़ः दो सूत्रीय मांगों को लेकर शिक्षकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी

इन दो मांगों में केंद्र कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता तथा गृह भाड़ा शामिल है। शिक्षकों का कहना है कि जब तक मांगें नहीं मान ली जातीं तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी।
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फ़ोटो साभार: नई दुनिया

दो सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ के शिक्षक पिछले सात दिनों से हड़ताल कर रहे हैं। इन दो मांगों में केंद्र कर्मचारियों के समान महंगाई भत्ता तथा गृह भाड़ा शामिल है। शिक्षकों का कहना है कि जब तक मांगें नहीं मान ली जाती हैं तब तक ये हड़ताल जारी रहेगी। हड़ताल के छठे दिन शिक्षकों ने राजधानी रायपुर की सड़कों पर प्रदर्शन किया। इसमें राज्य के विभिन्न जिलों से भी बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल हुए। शिक्षक की मांगों को लेकर फेडरेशन का पांच दिवसीय हड़ताल शुक्रवार को समाप्त हो गया लेकिन शिक्षकों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखा है। राज्य के करीब दो लाख 50 हजार शिक्षक अब अपनी मांग पूरी होने तक अंदोलनरत रहेंगे।

उधर प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने फेडरेशन के कामकाज में वापसी को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि फेडरेशन इससे अलग हो गया लेकिन हमने नहीं हुए हैं। हमारी हड़ताल जारी रहेगी। ज्ञात हो कि दो सूत्रीय मांगों को लेकर 25 जुलाई से फेडरेशन और शिक्षक संघ दोनों ने एक साथ हड़ताल शुरू की थी। दोनों संगठनों के मुद्दे एक ही थे। दोनों ही संगठनों ने हड़ताल के दौरान पूरी एकजुटता भी दिखाई।

शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने उनके मुद्दों को संज्ञान में लिया है। यह एक प्रकिया है लेकिन इससे यह स्पष्ट है कि सरकार को भी अब चिंता होने लगी है। हालांकि इन शिक्षकों ने यह भी कहा कि फेडरेशन को हमारे साथ अनिश्चितकालीन हड़ताल का समर्थन करना था, हमने पहले ही उनसे आग्रह किया था। उन्होंने अनिर्णय की स्थिति में बीच में ही मैदान छोड़ दिया, इससे आंदोलन कमजोर हुआ है। अब भविष्य में इतना बड़ा आंदोलन खड़ा नहीं होगा, न ही फेडरेशन अनिश्चिताकालीन हड़ताल करेगा।

नई दुनिया की रिपोर्ट के मुताबिक पांच दिन के हड़ताल के बाद बीते शनिवार को राज्य सरकार ने वेतन काटने और कार्रवाई करने के आदेश जारी कर दिए थे। सरकार के इस आदेश का फेडरेशन और शिक्षक संघ दोनों ने ही विरोध जताया। वहीं सरकारी आदेश जारी होने के बाद से फेडरेशन फिर से आंदोलन के मूड में है।

उधर छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन शालेय शिक्षक संघ और नवीन शिक्षक संघ के आह्वान पर विकास खंड भानुप्रतापपुर में भी सभी एलबी शिक्षकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल सातवें दिन भी जारी रही। रविवार होने के बाद भी ब्लॉक के शिक्षक धरने में बैठे रहे। अब राज्य सरकार की हठधर्मिता से त्रस्त होकर आर पार की लड़ाई के मूड़ में आ गए हैं।

ब्लाक अध्यक्ष धर्मराज कोरेटी का कहना है कि कि राज्य में मौजूदा सरकार बनने के तीन वर्ष पूर्ण होने के बाद केवल तीन बार ही महंगाई भत्ता बढ़ाया गया है, वर्तमान में केंद्रीय कर्मचारियों को 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा और जुलाई में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 38 प्रतिशत हो जाएगा, लेकिन राज्य के कर्मचरियों को केवल 22 प्रतिशत ही महंगाई भत्ता दिया जा रहा है, जिसकी वजह से 16 प्रतिशत पीछे चल रहे है। इसी तरह मकान किराया भत्ता भी छठवें वेतनमान के आधार पर ही दिया जा रहा है जबकि सातवें वेतनमान की गणना के आधार पर दिया जाना चाहिए। इस कारण राज्य के कर्मचारियों को चार से 14 हजार रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है। राज्य सरकार एक तरफ कर्मचारियों के भत्ते को कोरोना का हवाला देकर रोक रही, जबकि दूसरी तरफ राज्य सरकार ने अपने विधायकों और मंत्रियों का वेतन दोगुना कर लिया है तो क्या केवल उन्हीं पर महंगाई की मार है। जबकि वास्तविक्ता यह है कि कोरोना काल मे सभी शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिन रात दिया है।

कई शिक्षक कोरोना ड्यूटी के दौरान मृत भी हो गए। पर जब भी भत्ता बढ़ाने की बात होती है तो सरकार कोरोना का नाम लेकर पल्ला झाड़ लेती है। अन्य राज्य सरकारों ने तो बढ़ा दिया पर छत्तीसगढ़ में अंतर बढ़ता ही गया। इससे सभी शिक्षकों और कर्मचारियों में नाराजगी है। धरने में बैठे शिक्षकों ने कहा कि राज्य सरकार की हठधर्मिता के कारण शिक्षक अनिश्चितकालीन हड़ताल के लिए मजबूर हो गए है और जब तक हमारी मांग पूरी नहीं हो जाती हम आंदोलन में रहेंगे।

बता दें कि फेडरेशन के नेताओं ने इस हड़ताल का आह्वान करते हुए कहा था कि जनवरी 2020 के चार प्रतिशत, जुलाई 2020 के पांच प्रतिशत महंगाई भत्ता एक मई 2022 से दिया गया है। वर्तमान में जुलाई 2020 से दो प्रतिशत, जनवरी 2021 से चार प्रतिशत, जुलाई 2021 से तीन प्रतिशत, जनवरी 2022 से तीन प्रतिशत मिलाकर कुल 12 प्रतिशत मंहगाई भत्ता लंबित है। कर्मचारियों को अभी भी छठे वेतनमान के अनुरूप गृहभाड़ा भत्ता मिल रहा है। इसके कारण सभी सरकारी कर्मचारियों को प्रतिमाह चार से 14 हजार स्र्पये का आर्थिक नुकसान हो रहा है। प्रदेश में महंगाई भत्ता व सातवें वेतनमान के अनुरूप गृहभाड़ा भत्ता की मांग को लेकर सरकार से सभी कर्मचारी नाराज हैं।

ध्यान रहे कि फेडरेशन लगातार अलग-अलग बैनर तले धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगों को सरकार के सामने रख रहे हैं लेकिन सरकार द्वारा अभी तक किसी भी मांग को पूरा नहीं किया गया है।

ज्ञात हो कि कर्मचारी-अधिकारी महंगाई भत्ता संघर्ष मोर्चा के द्वारा दो सूत्रीय मांगों को लेकर इस साल अप्रैल महीने में भी प्रदर्शन किया गया था। कर्मचारी तीन दिनों का सामूहिक अवकाश लेकर प्रदर्शन कर रहे थें। महंगाई भत्ता संघर्ष मोर्चा के बेनर तले कलेक्टेरेट रोड पर तीन दिवसीय सामूहिक अवकाश लेकर धरने पर बैठ गए थें। संगठन की मांग थी कि छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को केंद्र के समान ही महंगाई भत्ता दिया जाए।

बता दें कि आंदोलन के दौरान कर्मचारियों ने मांग की थी कि 17 प्रतिशत लंबित महंगाई भत्ता एरियर्स के साथ तत्काल दिया जाए। साथ ही गृह भाड़ा भत्ता को सातवें वेतनमान के आधार पर पुनरीक्षण किया जाए। उक्त प्रदर्शन में लिपिक संघ, छत्तीसगढ़ स्वास्थ कर्मचारी संघ, छत्तीसगढ़ शिक्षक कांग्रेस, वाहन चालक संघ, छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी संघ, चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संघ, शिक्षक संघ आदि शामिल हुए थे।

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