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संविधान में इंडिया बनाम भारत नहीं बल्कि इंडिया अर्थात भारत कहा गया है

विपक्षी गठबंधन का नाम इंडिया (INDIA) होते ही हमारी सरकार और संघ परिवार को इंडिया नाम से ही परहेज़ हो गया है। लेकिन हमें जानना चाहिए कि संविधान निर्माताओं ने इंडिया बनाम भारत की शब्दावली नहीं दी बल्कि कहा India, that is Bharat...भारत, अर्थात इंडिया।
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संविधान का पहला आर्टिकल कहता है-- India, that is Bharat, shall be a Union of States...भारत, अर्थात्‌ इंडिया, राज्यों का संघ होगा।

लेकिन अब इसी इंडिया अर्थात भारत या भारत, अर्थात इंडिया पर विवाद हो गया है। या कहिए विवाद पैदा कर दिया गया है।

विपक्षी गठबंधन का नाम इंडिया (INDIA) होते ही हमारी सरकार और संघ परिवार को इंडिया नाम से ही परहेज़ हो गया है।

हमें जानना चाहिए कि संविधान निर्माताओं ने इंडिया बनाम भारत की शब्दावली नहीं दी बल्कि कहा India, that is Bharat...भारत, अर्थात इंडिया। अर्थात...इंडिया जो कि भारत है... अर्थात भारत जो कि इंडिया है।

अर्थात का अर्थ आप जानते ही होंगे- अर्थ के अनुसार।

संविधान की प्रस्तावना में भी उल्लेख है WE, THE PEOPLE OF INDIA...इसी को हिंदी में कहा गया है "हम भारत के लोग" यानी साफ़ है कि संविधान निर्माताओं ने दोनों को एक ही माना है।

एक दूसरे का पर्यायवाची भी नहीं बल्कि एक...'अर्थात'। इसलिए इन्हें अलग नहीं किया जा सकता।

और इससे भी बड़ी बात है WE, THE PEOPLE अर्थात हम लोग। हम लोग जो भारत हैं, हम लोग जो इंडिया हैं वही इस पंक्ति का सार है। हम लोग जो इंडिया यानी भारत के लोग हैं वो इस देश के लिए सबसे महत्वपूर्ण और सबसे सर्वोच्च हैं। इन्हीं हम लोगों की तरफ़ से संविधान को स्वीकार, अंगीकृत किया गया है। किसी हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई की तरफ़ से नहीं बल्कि हम लोग...जो भी भारत में बसते हैं…

आपको मालूम ही होगा कि क्या कहती है संविधान की प्रस्तावना/उद्देशिका। चलिए इसे एक बार फिर दोहरा लेते हैं—

हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को:

सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय,

विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म

और उपासना की स्वतंत्रता,

प्रतिष्ठा और अवसर की समता

प्राप्त कराने के लिए,

तथा उन सब में

व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता

और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बन्धुता

बढ़ाने के लिए

दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर, 1949 ई॰ (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

Preamble

“WE, THE PEOPLE OF INDIA, having solemnly resolved to constitute India into a SOVEREIGN SOCIALIST SECULAR DEMOCRATIC REPUBLIC and to secure to all its citizens:

JUSTICE, social, economic, and political;

LIBERTY of thought, expression, belief, faith and worship;

EQUALITY of status and of opportunity; and to promote among them all

FRATERNITY assuring the dignity of the individual and the unity and integrity of the Nation;

IN OUR CONSTITUENT ASSEMBLY this 26th day of November 1949, do HEREBY ADOPT, ENACT AND GIVE TO OURSELVES THIS CONSTITUTION."

तो हम भारत के लोग अर्थात WE, THE PEOPLE OF INDIA जिन्होंने अपने देश को संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए अपना संविधान अपनाया, उन्हें ही हम और वे (We and They) में बदलने की कोशिशें की जा रही हैं।

इसी कोशिश के तहत आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी अपील की थी कि हमें इंडिया की बजाय भारत नाम इस्तेमाल करना चाहिए। इधर उन्होंने 2 सितंबर को असम के गुवाहाटी में अपील की और उधर मोदी सरकार ने इसे लागू भी कर दिया।

सरकार की इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया भी आने लगी हैं। कांग्रेस ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। पीटीआई-भाषा से जारी ख़बरों के अनुसार कांग्रेस ने इसे राज्यों के संघ पर हमला करार दिया है।

राष्ट्रपति को ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ बताना ‘राज्यों के संघ’ पर हमला : कांग्रेस

कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में 'राज्यों के संघ' पर हमला हो रहा है और दावा किया कि जी-20 रात्रिभोज के निमंत्रण में राष्ट्रपति को ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ बताया गया है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल नेटवर्किंग साइट ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में कहा, ‘‘यह खबर वास्तव में सच है। राष्ट्रपति भवन ने जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए नौ सितंबर को ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ के बजाय ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ के नाम पर निमंत्रण भेजा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब, संविधान में अनुच्छेद 1 में लिखा है: ‘‘भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा। लेकिन अब इस ‘राज्यों के संघ’ पर भी हमले हो रहे हैं।’’

जी-20 शिखर सम्मेलन भारत की अध्यक्षता में नौ से 10 सितंबर तक राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित किया जा रहा है और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सहित दुनिया भर के कई राष्ट्राध्यक्ष इसमें भाग ले रहे हैं।

एक अन्य पोस्ट में रमेश ने कहा, ‘‘मोदी इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करना जारी रख सकते हैं और भारत को बांट सकते हैं। लेकिन हम विचलित नहीं होंगे। आखिर ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्कलूसिव अलायंस) के घटक दलों का उद्देश्य क्या है? यह भारत है - सद्भाव, मेलजोल, मेल-मिलाप और विश्वास लाओ। जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया!’’

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भाजपा का विध्वंसक दिमाग सिर्फ यही सोच सकता है कि लोगों को कैसे बांटा जाए। एक बार फिर, वे ‘इंडियंस’ और भारतीयों के बीच दरार पैदा कर रहे हैं। स्पष्ट है कि हम सभी एक हैं! जैसा कि अनुच्छेद 1 कहता है - इंडिया, जो भारत है, राज्यों का एक संघ होगा।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘यह तुच्छ राजनीति है क्योंकि वे ‘इंडिया’ से डरते हैं। जो करना है कर लो मोदी जी, जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया!’’

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया, ‘‘जी-20 सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति द्वारा मेहमानों को भेजे गए आमंत्रण पत्र में ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ की जगह ‘रिपब्लिक ऑफ भारत’ लिखा जाना प्रधानमंत्री मोदी की बौखलाहट नहीं, बल्कि सनक है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वह ‘इंडिया’ से घबराते हैं यह तो हमें पता था, पर इतनी नफ़रत... कि देश का नाम ही बदलने लग जाएंगे... ? यह उनकी दहशत है। अब तो एक नाकाम तानाशाह, जिसके हाथ से सत्ता जाने वाली है उसकी छटपटाहट देख कर तरस आता है।’’

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