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कोरोना वायरस: बच्चों के विकास की स्थिति उतनी बुरी नहीं, जितनी आशंका थी, लेकिन पहले से खराब

वैज्ञानिकों एवं चिकित्सकों ने वैश्विक महामारी की शुरुआत में चिंताएं जताई थीं कि माता-पिता पर बढ़ता तनाव, कोरोना वायरस संक्रमण, अन्य बच्चों एवं वयस्कों के साथ संवाद कम होना और स्वास्थ्य सेवा में बदलाव के कारण बच्चों का विकास प्रभावित हो सकता है।
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प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : NBC News

कैलगरी: कोरोना वायरस वैश्विक महामारी ने ऐसी परिस्थितियां पैदा कीं, जिनके कारण बच्चों के उचित विकास को लेकर खतरा पैदा हो गया।

वैज्ञानिकों एवं चिकित्सकों ने वैश्विक महामारी की शुरुआत में चिंताएं जताई थीं कि माता-पिता पर बढ़ता तनाव, कोरोना वायरस संक्रमण, अन्य बच्चों एवं वयस्कों के साथ संवाद कम होना और स्वास्थ्य सेवा में बदलाव के कारण बच्चों का विकास प्रभावित हो सकता है।

इन चिंताओं के मद्देनजर हमने यह समझने के लिए कनाडा में गर्भवती मांओं संबंधी दीर्घकालिक अध्ययन शुरू किया कि महामारी संबंधी तनाव के कारण बाद में बच्चों के विकास पर क्या असर पड़ सकता है।

हमारे शुरुआती निष्कर्ष चिंताजनक हैं: वैश्विक महामारी से पहले गर्भवती हुई महिलाओं की तुलना में महामारी के शुरुआती चरण में गर्भवती हुई मांओं में घबराहट एवं अवसाद की दर दो से चार गुणा अधिक रही। मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में इस प्रकार की बढ़ोतरी दुनियाभर में देखी गई।

बच्चों के विकास पर प्रभाव

महामारी का बच्चे के विकास पर असर समझने के लिए हमने महामारी के शुरुआती 18 महीनों में पैदा हुए 12 महीने के 3,742 बच्चों के विकास संबंधी अध्ययन किया। फिर हमने इन बच्चों की तुलना 2015 से 2018 के बीच कनाडा में जन्मे 2,898 बच्चों के इसी प्रकार के समूह से की।

‘जर्नल ऑफ डेवल्पमेंटल एंड बिहेवियरल पीडियाट्रिक्स’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, हमने पाया कि वैश्विक महामारी के दौर में जन्मे अधिकतर बच्चों का विकास शुरुआती प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद सामान्य है।

लेकिन महामारी के दौरान जन्मे उन बच्चों की संख्या थोड़ी अधिक है, जिन पर महामारी से पहले हुए बच्चों की तुलना में संवाद, हाथ पैरों से जुड़े काम काज करने और निजी-सामाजिक क्षेत्र में धीमी गति से विकास का जोखिम है।

बच्चों के विकास संबंधी चिंताएं

माता-पिता एवं अभिभावकों के लिए इस अध्ययन के निष्कर्ष तसल्ली देने वाले हैं। वैश्विक महामारी के दौरान जीवन के लगभग हर पहलू पर असर पड़ने के बावजूद अधिकतर बच्चों का उचित विकास हो रहा है। जिन माता-पिता को अपने बच्चों के विकास को लेकर चिंताएं हैं, उनके लिए ये सुझाव मददगार हो सकते हैं।

अपने बच्चों को किसी जिम्मेदार वयस्क से संवाद का अधिक से अधिक मौका दीजिए। जब बच्चों को अपने और दुनिया के बारे में जानने के लिए एक उचित माहौल, उचित संबंध और उचित विकल्प मिलते हैं, तो उनमें लचीलापन विकसित होता हे।

अपने बच्चों से बात करें और उनके साथ गीत गाएं। इससे उनमें भाषायी विकास होगा।

यदि आपको लगता है कि आपके बच्चे का विकास धीमा है, तो किसी योग्य स्वास्थ्य पेशेवर से इस पर चर्चा करें कि क्या यह चिंता की बात है और क्या इस संबंध में किसी जांच की आवश्यकता है।

हमारे अध्ययन (एवं अन्य अध्ययनों) के समग्र परिणाम बताते हैं कि (कम से कम एक साल तक के)बच्चों पर वैश्विक महामारी का प्रभाव उतना बुरा नहीं पड़ा, जितनी आशंका थी, लेकिन बड़ी संख्या में बच्चों को और जांच एवं सहयोग की आवश्यकता होगी।

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