Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

दिल्ली: यूपी में NIA की छापेमारी के विरोध में छात्र संगठनों का प्रोटेस्ट

उत्तर प्रदेश में बीते दिनों NIA द्वारा कई समाजिक कार्यकर्ताओं पर की गई छापेमारी के ख़िलाफ़ दिल्ली के यूपी भवन के सामने कई छात्र संगठनों ने प्रोटेस्ट की कॉल दी थी, हालांकि पुलिस ने उन्हें रोक दिया।
protest

आज 18 सितंबर, 2023 को दिल्ली के यूपी भवन पर, उत्तर प्रदेश में बीते दिनों NIA द्वारा की गई छापेमारी के ख़िलाफ़ एक विरोध प्रदर्शन किया गया। दरअसल उत्तर प्रदेश में 5 सितंबर को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंस (NIA) ने वाराणसी स्थित भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा के दफ़्तर समेत पूर्वांचल के प्रयागराज, चंदौली, आज़मगढ़ और देवरिया में आठ स्थानों पर छापेमारी की थी। आज के इस प्रोटेस्ट की कॉल क़रीब 15 छात्र संगठनों की तरफ से दी गई थी।

उत्तर प्रदेश भवन से कुछ पहले ही छात्रों ने इकट्ठा होकर मार्च निकालना शुरू ही किया था कि पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश की। इस दौरान प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों को दूसरी सड़क पर जाने के लिए भी कहा गया लेकिन छात्र कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे। उन्होंने यूपी भवन की तरफ बढ़ना जारी रखा। देखते ही देखते भारी संख्या में दिल्ली पुलिस और सुरक्षा बल के जवान आ गए और उन्होंने छात्रों से रुकने के लिए कहा, लेकिन छात्र ज़ोरदार नारेबाज़ी करते हुए आगे बढ़ते रहे। 

हाथों में बैनर-पोस्टर लिए ये छात्र NIA कार्रवाई का विरोध कर रहे थे और साथ ही सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई की भी मांग कर रहे थे।

पोस्टर के माध्यम से विरोध ज़ाहिर करते हुए छात्र

क़रीब 70 से 80 की संख्या में पहुंचे इन छात्रों को रोकने के लिए भारी पुलिस और सुरक्षा बल पहुंच गई, और छात्रों को बसों में भरना शुरू कर दिया। 

अपने साथी छात्रों को सड़क पर बर्बर तरीक़े से घसीटे जाने से नाराज़ छात्रों ने और ज़ोरदार नारेबाज़ी शुरू कर दी, इस दौरान महिला पुलिसकर्मियों ने लड़कियों को भी पकड़ना शुरू कर दिया। एक-एक छात्र को चार से छह पुलिस वाले उठा कर बसों में भर रहे थे। 

"ये सरकार लगातार छात्रों के साथ सख़्ती कर रही है"

पुलिस की बस में बैठाए गए एक छात्र ने कहा कि "हमारी सरकार लोकतंत्र को ख़त्म करना चाहती है।" जबकि एक अन्य छात्र संदीप ने कहा कि "ये सरकार लगातार छात्रों के साथ सख़्ती कर रही है। छात्र शांतिपूर्वक प्रोटेस्ट कर रहे हैं, हमारी बिल्कुल वाजिब मांग है कि NIA की रेड बंद हो, राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए और देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम की जाए।" इस तरीके से छात्रों को उठा कर बसों में भरने पर इस छात्र ने कहा कि "ये सरकार का फासीवादी चेहरा दिखता है, पूरे देश में गुंडाराज चलाया जा रहा है, मुसलमान, आदिवासियों पर कार्रवाई की जा रही है हम इसका विरोध जारी रखेंगे।"

बस में बैठी एक छात्रा ने हांफते हुए कहा कि "हम संवैधानिक तरीके से आवाज़ उठा रहे थे और ये हमें पीट रहे हैं।"

प्रदर्शन कर रही छात्रा को ले जाती पुलिस

"ये सरकार सुनना नहीं चाहती"

प्रोटेस्ट कर रहे दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक छात्र सुजीत ने कहा कि "अलग-अलग जगहों पर NIA ने जो रेड की है उसके विरोध में आज बहुत से छात्र संगठन मिलकर मार्च कर रहे हैं। जो भी छात्र संगठन हैं, राजनीतिक कार्यकर्ता हैं उन्हें डराने और धमकाने का जो प्रयास सरकार के द्वारा किया जा रहा है। इसी के खिलाफ हम यहां आए हैं।" वे आगे कहते हैं कि "आख़िर छात्रों को टारगेट क्यों किया जा रहा है? छात्र तो पढ़ाई लिखाई कर रहे हैं जो सबकी नज़र में हैं, छात्रों से आख़िर क्यों डरती है ये सरकार?  किसानों से डरती है, बोलती है कि ये खालिस्तानी हैं। यह सरकार पहलवानों के प्रोटेस्ट से डरती है। यही सरकार CAA-NRC आंदोलन से डरती है तो ये सरकार तो डरने वाली है, लोकतंत्र में हमारी बात सुननी चाहिए लेकिन ये सरकार सुनना नहीं चाहती।"

एक छात्र ने कहा कि "हम दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हैं। हम लोग NIA और ED के छापे का विरोध करने के लिए यहां आए हुए हैं और पुलिस हमारे साथ ऐसा व्यवहार कर रही है।"

"सरकार ग़लत इल्ज़ाम में फंसा कर जेलों में डाल रही है"

प्रोटेस्ट में हिस्सा लेने आए एक छात्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि "सरकार से कोई भी सवाल कर रहा है, उनकी नीतियों पर कोई सवाल कर रहा है, उसे सरकार ग़लत इल्ज़ाम में फंसा कर जेलों में डाल रही है लेकिन सरकार को हम ये मनमानी नहीं करने देंगे, और ऐसे ही आवाज़ उठाते रहेंगे, ऐसे ही हम बोलते रहेंगे।"

वहीं मौजूद एक अन्य छात्र ने कहा, "जैसे-जैसे चुनाव करीब आएंगे ये सभी को टारगेट करेंगे, सबसे ज़्यादा छात्रों को टारगेट किया जाएगा। छात्रों की बहुत बड़ी ताकत होती है इसलिए वाराणसी में भी छात्र संगठन को टारगेट किया गया।"

यूपी भवन के बाहर दिल्ली पुलिस और सुरक्षा बल

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में NIA की इस कार्रवाई में छात्र, समाजसेवी, राजनीतिक कार्यकर्ता, वकील और किसान मज़दूरों के हितों के लिए संघर्ष करने वाले लोगों को निशाना बनाया गया था। छापेमारी के दौरान वाराणसी में बीसीएम (भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा) के दफ्तर पर छापेमारी की गई थी। इस संगठन से जुड़ी छात्रा आकांक्षा आज़ाद समेत दो छात्राओं को नज़रबंद कर उनसे पूछताछ भी की गई थी। NIA ने इनके लैपटॉप भी अपने कब्जे में ले लिए थे।

इसे भी पढ़ें : बनारस समेत पूर्वांचल के पांच ज़िलों में NIA का छापा, निशाने पर कई एक्टिविस्ट्स!

इस छापेमारी के विरोध में 6 सितंबर को काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के छात्रों और नागरिक समाज ने संयुक्त रूप से लंका स्थित बीएचयू गेट पर प्रदर्शन किया था। यहां भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा ( BSM) की सह सचिव सिद्धि बिस्मिल ने पांच सितंबर को NIA की छापेमारी के बारे में बताया था। 

NIA ने लैपटॉप और मोबाइल खंगाले

"NIA टीम ने हमें सर्च वारंट दिखाया, जिसमें लिखा था कि माओवादी अथवा उनके फ्रंटल संगठन होने के शक में वो हमारे सामान, कमरे, लैपटॉप मोबाइल आदि को सर्च कर सकते हैं। झूठे और भ्रामक आरोपों के कारण हमने वारंट पेपर पर दस्तखत करने से साफ इनकार कर दिया। एनआईए अफसरों ने सबसे पहले आकांक्षा का मोबाइल फ्लाइट मोड में डालकर आईटी एक्सपर्ट के हवाले कर दिया, जिसने उस फ़ोन को अपने साथ लाए हुए लैपटॉप में लगा लिया। वो कुछ भी बताने से इनकार करते रहे। करीब डेढ़ घंटे तक आकांक्षा के कमरे में लैपटॉप की जांच की गई। बाद में उन्होंने दो सिम कार्ड और एसडी कार्ड ज़ब्त कर लिया। NIA ने सबसे पहले आकांक्षा आज़ाद के कमरे की तलाशी ली।"

इसे भी पढ़ें : बनारसः NIA का छापे में 'आपत्तिजनक' सवालों के ख़िलाफ़ प्रतिरोध सभा और प्रदर्शन

नौ घंटे तक हुई पूछताछ

सिद्धि ने यह भी बताया, "छापे के दौरान हर एक कॉपी, डायरी, किताब, कपड़े, बैग, सूटकेस, रजाई-कंबलों के जांच शुरू कर दी। कॉपी डायरी में एक-एक अक्षर की जांच की और उससे जुड़े सवाल करते रहे। आधार कार्ड का फोटो भी लिया। कमरे का सारा सामान इधर-उधर फेंक दिया। बाद में NIA ने हमारे और इप्शिता के कमरे डायरी, कॉपी, किताबों की जांच की। इस बीच उन्होंने पत्रकार रूपेश कुमार की रिहाई की मांग और कैमूर से गिरफ्तार रोहित व सर्व सेवा संघ को ढहाए जाए के विरोध वाले पोस्टरों को देखा तो कई सवाल किए। दस्तक मैगज़ीन देखकर पत्रकार सीमा आज़ाद और एक्टिविस्ट विश्वविजय के बारे में पूछताछ की। बाद में इप्शिता के लैपटॉप और मेरे मोबाइल जांच-छानबीन की।"

NIA की इसी कार्रवाई के विरोध में दिल्ली में आज कई छात्र संगठनों ने यूपी भवन के सामने विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश की लेकिन वो यूपी भवन तक पहुंच पाते इससे पहले ही उन्हें हिरासत में ले लिया गया और दो बसों में भरकर नजफगढ़ के क़रीब जाफरपुर थाने ले जाया गया।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest