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बनारस समेत पूर्वांचल के पांच ज़िलों में NIA का छापा, निशाने पर कई एक्टिविस्ट्स!

NIA ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र संगठन भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा (बीसीएम) के दफ़्तर समेत पूर्वांचल के प्रयागराज, चंदौली, आज़मगढ़ और देवरिया में आठ स्थानों पर मंगलवार 5 अगस्त की सुबह छापेमारी की।
NIA

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र संगठन भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा (बीसीएम) के दफ्तर समेत पूर्वांचल के प्रयागराज, चंदौली, आज़मगढ़ और देवरिया में आठ स्थानों पर मंगलवार, 5 अगस्त की सुबह छापेमारी की। NIA द्वारा की गई इस कार्रवाई में कई लोग निशाने पर आए जिनमें स्टूडेंट्स, समाजसेवी, राजनीतिक कार्यकर्ता, अधिवक्ता और किसान-मजदूरों के हितों के लिए संघर्ष करने वाले लोग शामिल हैं। NIA ने बनारस के महामनापुरी कॉलोनी स्थित आनंद भवन में बीसीएम के दफ्तर को खंगाला। भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा से जुड़ी छात्रा आकांक्षा आज़ाद समेत दो छात्राओं को नज़रबंद कर उनसे पूछताछ की जा रही है।

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की टीम भारी पुलिस फोर्स के साथ मंगलवार 5 अगस्त की सुबह महामनापुरी कॉलोनी स्थित भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा (बीसीएम) के दफ्तर में पहुंची। जानकारी के अनुसार जांच एजेंसी ने बीसीएम के दफ्तर में छापेमारी करने के साथ ही दस्तावेजों को खंगालना शुरू कर दिया। भगत सिंह छात्र मोर्चा से जुड़े लोगों के मोबाइल फोन ज़ब्त कर लिए गए। संगठन की अध्यक्ष आकांक्षा आज़ाद और सहसचिव सिद्धि को हिरासत में ले लिया गया। NIA ने इनके लैपटॉप भी अपने कब्जे में ले लिए।

भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा की ओर से जारी एक अधिकृत बयान में कहा गया है कि “NIA ने दफ्तर में मौजूद मोर्चा की अध्यक्ष आकांक्षा आज़ाद और सहसचिव सिद्धि को डिटेन कर के रखा हुआ है। किसी को दफ्तर के अंदर नहीं आने दिया जा रहा है। बीसीएम से जुड़े लोग मौके पर पहुंचे तो NIA व पुलिस ने उनके फोन छीन लिए और उनके साथ मारपीट कर की। समूचा इलाका पुलिस छावनी में बदल गया। पुलिस और NIA ने महामनापुरी कॉलोनी स्थित बीसीएम कार्यकर्ताओं के घर को सील कर दिया। बीसीएम के दफ्तर के आसपास के इलाकों में लोगों की आवाजाही रोक दी गई।"

इस बीच भगतसिंह स्टूडेंट्स मोर्चा की बीएचयू इकाई की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि "पूर्वांचल में राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं के दमन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की ज़रूरत है। बीजेपी उन लोगों को अपने शिकंजे में फंसा रही है जो आगामी चुनाव में उनका मुखर विरोध कर सकते हैं। मंगलवार को हुई NIA की छापेमारी इसी कोशिश का हिस्सा है।"

दूसरी ओर, इलाहाबाद में पीयूसीएल की उत्तर प्रदेश राज्य सचिव एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता सीमा आज़ाद और उनके पति विश्वविजय के अलावा जानी-मानी अधिवक्ता सोनी आज़ाद और सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता मनीष आज़ाद के घर भी NIA ने छापेमारी की। ख़बर के मुताबिक़ NIA की टीम प्रयागराज के रसूलाबाद स्थित सीमा आज़ाद के आवास पर सुबह करीब पांच बजे पहुंची। सीमा और उनके पति विश्वविजय को उनके घर में ही नज़रबंद किया। प्रयागराज में सुबह से ही सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। सीमा आज़ाद और उनके पति का लैपटॉप, मोबाइल फोन, कविताएं और अन्य साहित्य ज़ब्त किया गया। अधिवक्ता विश्वविजय का आरोप है कि बीजेपी सरकार NIA के जरिए उनका हैरेसमेंट कर रही है। प्रयागराज में सुबह से ही सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स मौजूद है। सीमा आज़ाद के पति विश्व विजय ने मीडिया से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्हें रोक दिया गया।

दोपहर में खबर मिली कि NIA, एक्टिविस्ट सीमा, विश्वविजय, सोनी और रितेश को पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई। प्रयागराज के वरिष्ठ वकील केके रॉय के मुताबिक, "सीमा आज़ाद को अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है। वाराणसी समेत यूपी के कई शहरों और झारखंड में सुनियोजित तरीके से छापेमारी की जा रही है। पीयूसीएल के दूसरे सदस्यों ने घरों में भी छापे डाले जा रहे हैं। सीमा आज़ाद के अलावा एडवोकेट सोनी आज़ाद और रितेश पीयूसीएल के सदस्य हैं। रितेश इंकलाबी छात्र मोर्चा के साथ काम करते हैं और सोनी आज़ाद एक प्रयागराज की जानी-मानी अधिवक्ता हैं। इससे पहले झारखंड में भी भगत सिंह नौजवान मोर्चा से जुड़े लोगों पर छापे मारे गए थे।"

आपको बता दें, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार सीमा आज़ाद को साल 2010 में भी गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने सीमा और उनके पति विश्व विजय को देशद्रोह में निरुद्ध किया तो उनकी रिहाई के लिए मानवाधिकार संगठनों ने लंबा आंदोलन चलाया था। सीमा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से साइकोलॉजी में परास्नातक हैं। हाल के दिनों में सीमा जबरन भूमि अधिग्रहण, गैरकानूनी खुदाई और गंगा एक्सप्रेसवे जैसी योजनाओं के ख़िलाफ़ अपनी मैग्जीन में आलेख लिख रही थीं।

आज़मगढ़ के खिरियाबाग में चलाए जा रहे किसान आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले संयुक्त किसान मोर्चा के सक्रिय कार्यकर्ता राजेश आज़ाद के देवरिया स्थित उनके आवास पर भी NIA की टीम ने छापेमारी की। छापेमारी के बाद खिरियाबाग में आंदोलन करने वाले किसान नेता राजीव यादव ने ‘न्यूज़क्लिक’ से कहा, "लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी सरकार डरी हुई है। सरकार की दोषपूर्ण नीतियों का विरोध करने वाले किसान नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का खुलेआम दमन किया जा रहा है। NIA सरकारी एजेंसी की तरह नहीं, बल्कि पूरी तरह से फासीवादी तरीके से भाजपा–आरएसएस की ‘बी’ टीम के रूप में काम कर रही है। एक ख़ास विचारधारा की पक्षधर बनकर वह अपने राजनैतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ मुहिम चला रही है। ऐसे में ज़रूरी है कि सत्ता के फासीवादी दमन के ख़िलाफ़ सभी लोग एकजुट हों और अपनी आवाज़ बुलंद करें।"

चंदौली जनपद के सैयदराजा थाना क्षेत्र के बगही कुम्भापुर गांव में मंगलवार तड़के NIA की टीम पहुंची और एक्टिविस्ट बच्चा राय के घर को घेर लिया। जांच टीम ने कई घंटे तक जांच-पड़ताल की। बच्चा राय मौके पर नहीं मिले तो परिवार के लोगों से कड़ी पूछताछ की गई। बच्चा राय के दो बेटे हैं, जिनमें बड़ा पुत्र रोहित राय दिल्ली और छोटा बेटा रितेश राय प्रयागराज में पढ़ता है। NIA इन्हें ढूंढते हुए बगही कुम्भापुर पहुंची थी। बच्चा राय बिहार प्रांत के भभुआ जिले के दुर्गावती थानाक्षेत्र के बिठवार गांव के रहने वाले हैं। वह फिलहाल बगही कुम्भापुर में मकान बनाकर रह रहे हैं। NIA की टीम ने मीडिया को कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।

बच्चा राय की पत्नी ऊषा राय ने बताया कि "NIA की टीम भोर चार बजे उनके घर पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। हमें कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कि पुलिस उनके घर में क्या करने आई है। चंदौली के एसपी अनिल कुमार ने NIA के छापेमारी की पुष्टि की, लेकिन सुरक्षा वजहों से कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।"

NIA की टीम ने देवरिया शहर के उमानगर इलाके में जनवादी क्रांति दल के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. रामनाथ चौहान के घर भी छापा मारा। उनके आवास के बाहर भारी फोर्स तैनात है। डॉ. रामनाथ चौहान घोसी उप-चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह के समर्थन में प्रचार करने गए थे। NIA रामनाथ के परिजनों पूछताछ कर रही है। वह पहले बीएसपी से भी जुड़े थे। NIA काफी दिनों से एक्शन लेने की योजना बना रही थी। हिन्दी पट्टी के एक अखबार ने इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी थी। विपक्षी दलों ने भी आरोप लगाया था कि बीजेपी सरकार उन लोगों को निशाना बनाने के मूड में है जो उनका मुखर विरोध कर रहे हैं।

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