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एम्स, RML सहित कई अस्पतालों के डॉक्टरों ने पीएम केयर्स में पैसे देने से किया मना 

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एंड एसोसिएटेड हॉस्पिटल (एलएचएमसी), वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी) एवं सफ़दरजंग हॉस्पिटल और अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के डॉक्टरों ने पीएम केयर्स फंड में एक दिन का वेतन दान किए जाने पर आपत्ति जताई है।
पीएम केयर्स
Image courtesy: Jagran

दिल्ली: दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने पीएम केयर्स फंड में अनुदान देने से असहमति जताई है। एम्स प्रबंधन ने पीएम केयर्स फंड के लिए अपने कर्मचारियों के एक दिन का वेतन काटने का फैसला लिया था। इस फैसले का एम्स के रेजीडेंट डॉक्टरों के संगठन ‘आरडीए’ ने विरोध किया।

आरडीए ने एम्स प्रबंधन को अपने इस निर्णय पर दोबारा से विचार करने को कहा। रेजिडेंट डॉक्टरों का संगठन आरडीए, एम्स के 2500 से अधिक रेजिडेंट डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करता है। फिलहाल दिल्ली में सिर्फ एम्स ही नहीं बल्कि कई अन्य अस्पतालों के डॉक्टरों ने भी पीएम केयर्स फंड में कोरोना माहमारी के लिए सहायता राशि देने से मना कर दिया है। इसमें आरएमएल, लेडी हार्डिंग,  वीएमएमसी, सफ़दरजंग और अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के डॉक्टर शामिल हैं।  

इन सभी का मुख्यतौर पर यही कहना है कि इस तरह का निर्णय वैकल्पिक होना चाहिए, न की अनिवार्य। एक डॉक्टर ने कहा कि हम किसी को कितना दान करेंगे या नहीं करेंगे, ये कोई और कैसे तय कर सकता है।  

एम्स आरडीए के प्रतिनिधियों ने मीडिया से कहा, 'हम देश और देशवासियों को बचाने के लिए अंतिम सांस तक काम करेंगे। हम में से कई लोगों ने निजी तौर पर दान भी किया है। लेकिन यह निर्णय स्वैच्छिक होना चाहिए। इसे थोपा नहीं जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि महामारी या आपातकाल के नाम पर लोगों के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है। और उसमे मुख्य रूप से उन लोगों का जो इस समय दूसरों की जान बचाने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं।’

आरडीए ने इसको लेकर प्रबंधन को एक पत्र भी लिखा है। जिसमे उन्होंने मांग की है कि,‘हेल्थवर्कर इस समय अपनी जान को खतरे में डालकर काम कर रहे हैं। ऐसे में उनका वेतन न काटा जाए बल्कि खतरे को देखते हुए उन्हें रिस्क अलाउंस भी बढ़ाकर दिया जाए।'  

वहीं, एम्स आरडीए के महासचिव श्रीनिवास राजकुमार ने कहा है, 'कॉरपोरेट सोशल रेस्पोन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत पहले से ‘पीएम केयर फंड’ को दान दिया जा रहा है।   पूरा देश इस समय दान दे रहा है। इसलिए सही यह होगा कि डॉक्टरों द्वारा दिए जा रहे दान का सीधा प्रयोग देश भर के स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बेहतर सुरक्षा उपकरण जैसे पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्युपमेंट्स) और अन्य आवश्यक सुरक्षा सामग्री खरीदने में किया जाए।’

दूसरी ओर एम्स प्रबंधन ने इस तरह की मांग को ठुकरा दिया है। प्रबंधन ने कहा है कि इस तरह का कोई प्रबंध नहीं है कि कोई सीधे दान करे और उसका प्रयोग अस्पताल करे। अगर कोई इस संकट के समय दान नहीं देना चाहता है तो उसे औपचारिक रूप से मना करना होगा।

फिलहाल प्रबंधन के मना करने के बाद भी पीपीई की कमी से जूझ रहे हेल्थ वर्कर्स के लिए एम्स के हैमेटोलॉजी डिपार्टमेंट के मेडिकल लैबोरेट्री टेक्नोलॉजिस्ट केशव गिरी ने अपनी सेविंग से 100 पीपीई एम्स प्रशासन को दिया। एम्स प्रशासन को पत्र लिखकर इसे स्वीकार करने की अपील भी की हैं।

इसी तरह राम मनोहर लोहिया अस्पताल के भी रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी अपने मेडिकल सुपरिटेंडेंट को पत्र लिखकर एक दिन के सैलरी काटे जाने को लेकर आपत्ति जताई।
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लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी शनिवार को प्रशासन द्वारा पीएम केयर्स फंड में दान के लिए एक दिन का वेतन काटने की अपील पर अपनी नाखुशी जाहिर की और इसको लेकर अपना विरोध जताया। साथ ही प्रबंधन को एक पत्र लिखकर इस पर पुनर्विचार करने के लिए कहा।  

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इसी तरह का विरोध और माँग सफ़दरजंग रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी की थी। जिसके बाद सोमवार को सफ़दरजंग प्रबंधन ने डॉक्टरों की सैलरी न कटाई जाने की मांग मान ली।  
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सफ़दरजंग आरडीए ने कहा था कि पीएम केयर्स में डॉक्टरों के एक दिन की सैलरी न काटी जाए और रिस्क एंड हज़र्ड अलाउएंस दिया जाय। जिसके बाद सोमवार को सफ़दरजंग प्रबंधन ने डॉक्टरों की सैलरी न कटाई जाने की मांग मान ली।   

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