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तुर्किये और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप में मरने वालों की संख्या 5 हज़ार हुई, 20,534 लोग घायल

अधिकारियों को आशंका है कि सोमवार भोर से पहले आए भूकंप और बाद के झटकों से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है।
turkey and syria
फ़ोटो साभार: Reuters

तुर्किये और सीरिया में आए 7.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप और उसके बाद के झटकों के कारण अब तक पांच हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

तुर्किये के उप राष्ट्रपति फुअत ओकते ने बताया कि तुर्किये में भूकंप से अभी तक 3,419 लोगों की मौत हुई है, जबकि 20,534 लोग घायल हुए हैं।

तुर्किये और सीरिया में भूकंप से 5102 लोगों की मौत हुई है और 1602 लोग घायल हैं।

अधिकारियों को आशंका है कि सोमवार तड़के आए भूकंप और बाद के झटकों से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि बचावकर्मी मंगलवार को भी मलबे में फंसे लोगों की तलाश में जुटे हैं। कम तापमान और भूकंप के बाद के करीब 200 झटके महसूस किए जाने के कारण बचाव कर्मियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

उधर आज सुबह तुर्किये में एक और झटका महसूस किया गया है। इसकी तीव्रता 5.5 मापी गई है।

अधिकारियों को आशंका है कि सोमवार भोर से पहले आए भूकंप और बाद के झटकों से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि बचावकर्मी मंगलवार को भी मलबे में फंसे लोगों की तलाश में जुटे हैं।

बचावकर्मी बड़ी सावधानी से कंक्रीट के पत्थर और लोहे की छड़ों को हटा रहे हैं, ताकि मलबे में यदि कोई भी जीवित बचा हो तो उसे सुरक्षित निकाला जा सके। कई लोग अपने प्रियजनों की तलाश में क्षतिग्रस्त इमारतों के पास एकत्रित हो रहे हैं।

तुर्किये के शहर अदन में एक क्षतिग्रस्त इमारत के पास पहुंचे इमरान बहूर तबाही का मंजर देख रो पड़े। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा डेढ़ साल का पोता है। कृपया उनकी मदद करें...वे 12वीं मंजिल पर थे।’’

भूकंप का केंद्र तुर्किये के शहर गजियांतेप से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर था। भूकंप प्रभावित क्षेत्रों के लोगों ने शॉपिंग मॉल, स्टेडियम, मस्ज़िद और सामुदायिक केंद्रों में शरण ली है।

तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने एर्दोआन को फोन किया और संकट की इस घड़ी में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सहयोगी तुर्किये के प्रति संवेदना व्यक्त की तथा सहायता की पेशकश की।

व्हाइट हाउस ने कहा कि वह तुर्किये के प्रयासों में मदद के लिए खोज एवं बचाव दल भेज रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि भारत इस त्रासदी से निपटने में मदद के लिए हरसंभव सहायता देने को तैयार है।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, राहत सामग्री के साथ राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और चिकित्सा दलों को तुर्किये गणराज्य की सरकार के समन्वय से तुर्किये भेजा जाएगा।

इस घोषणा के कुछ घंटे बाद भारतीय वायु सेना के एक विमान में तुर्किये के लिए भूकंप राहत सामग्री की पहली खेप रवाना कर दी गई।

आंशिक रूप से ढह गई इमारतों के अंदर, सड़क पर खड़े लोग मदद की गुहार लगाते नज़र आए।

भूकंप के झटके काहिरा तक महसूस किए गए। इसका केंद्र सीरियाई सीमा से करीब 90 किलोमीटर दूर में गजियांतेप शहर के उत्तर में था।

अतमद कस्बे के चिकित्सक मुहीब कदौर ने फोन पर ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि भूकंप में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई।

कदौर ने कहा, ‘‘ हमें सैकड़ों लोगों के मारे जाने की आशंका है। हम बेहद दबाव में हैं।’’

तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने ट्वीट किया कि भूकंप प्रभावित क्षेत्रों के लिए ‘‘ खोज एवं बचाव दलों को तुरंत रवाना कर दिया गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हम उम्मीद करते हैं कि जानमाल के कम से कम नुकसान के साथ हम इस आपदा से मिलकर बाहर निकलेंगे ।’’

भूकंप के बाद करीब छह झटके महसूस किए गए।

गृह मंत्री सुलेमान सोयलू ने लोगों से क्षतिग्रस्त इमारतों में जाने से बचने को कहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी प्राथमिकता इमारतों के मलबे में फंसे लोगों को निकालना और उन्हें अस्पताल पहुंचाना है।’’

विभिन्न आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, तुर्किये में भूकंप से कम से कम 18 लोगों की और सीरिया में 13 लोगों की मौत हुई है।

तुर्किये के मालात्या प्रांत के गवर्नर हुलुसी साहिन ने बताया कि कम से कम 130 इमारतें ढह गईं।

उत्तर पश्चिम सीरिया में विपक्ष के ‘सीरियन सिविल डिफेंस’ ने विद्रोहियों के कब्ज़े वाले क्षेत्र में स्थिति को ‘‘विनाशकारी’’ बताते हुए कहा कि इमारतें ढहने से कई लोग मलबे में दब गए हैं।

‘सीरियन सिविल डिफेंस’ ने लोगों से इमारतों से बाहर खुले स्थान पर रहने को कहा है।

अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, भूकंप का केंद्र गजियांतेप से करीब 33 किलोमीटर दूर 18 किलोमीटर की गहराई पर था। प्रांतों में इसके झटके महसूस किए गए।

भूकंप ऐसे समय में आया है, जब पश्चिम एशिया बर्फीले तूफान की चपेट में है जिसके बृहस्पतिवार तक जारी रहने के आसार हैं।

उत्तर-पश्चिम तुर्किये में 1999 में आए शक्तिशाली भूकंप में करीब 18,000 लोग मारे गए थे।

तुर्किये, सीरिया में अनिवासी राजस्थानियों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी

राजस्थान फाउंडेशन ने भूकंप प्रभावित तुर्किये और सीरिया में अनिवासी राजस्थानियों (एनआरआर) की मदद के लिए सोमवार को हेल्पलाइन नंबर जारी किया।

राजस्थान फाउंडेशन के आयुक्त धीरज श्रीवास्तव ने कहा कि इन देशों में जरूरतमंद एनआरआर इन हेल्पलाइन नंबरों पर फाउंडेशन से संपर्क कर सकते हैं। ये नंबर +91 83060 09838, 0141-2229111 और 011-23070807 हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने यह सुनिश्चित करने के लिए ये हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं कि संकट की इस घड़ी में कोई जरूरतमंद एनआरआर वंचित न रहे। फाउंडेशन आपदा से प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए समन्वय करेगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि सभी प्रभावित व्यक्तियों को जल्द से जल्द आवश्यक सहायता मिले।’’ राजस्थान फाउंडेशन अनिवासी राजस्थानियों को जोड़ने के लिए राज्य सरकार का एक मंच है।

एनडीआरएफ के 101 कर्मी राहत एवं बचाव कार्यों के लिए भूकंप प्रभावित तुर्किये रवाना

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) का एक दल भीषण भूकंप से प्रभावित तुर्किये की राहत एवं बचाव कार्यों में मदद करने के लिए मंगलवार को रवाना हो गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि संघीय आपदा बल के साथ दो खोजी श्वान, चार पहिया वाहन और संचार प्रणाली भी भेजी गई है।

एनडीआरएफ के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि दिल्ली के पास स्थित गाजियाबाद और कोलकाता से दो दलों के कुल 101 कर्मियों को उपकरणों के साथ भारतीय वायु सेना के जी-17 विमान में तुर्किये के लिए रवाना किया गया।

अधिकारी ने बताया कि यह भूकंप प्रभावित तुर्किये और पड़ोसी क्षेत्रों के लिए सोमवार को भारत सरकार द्वारा घोषित मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) प्रयासों का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि ये दल मलबे में फंसे लोगों को बचाने में मदद करेंगे और स्थानीय अधिकारियों को हर संभव सहायता मुहैया कराएंगे।

अधिकारी के मुताबिक, दल में महिला कर्मी भी शामिल हैं।

एनडीआरएफ के दल इससे पहले 2011 में जापान तिहरी आपदा (भूकंप, सूनामी और परमाणु हादसे) और 2015 में नेपाल भूकंप के बाद भी मदद मुहैया करा चुके हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा/एपी इनपुट के साथ)

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