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शर्मनाक : बलात्कार का मज़ाक है स्टुअर्ट बैक्सटर की ‘पेनल्टी’ को ‘रेप’ से जोड़ने वाली भद्दी बात!

मैच हारने के बाद स्टुअर्ट बैक्सटर ने कहा कि पेनल्टी हासिल करने के लिए शायद मेरे किसी खिलाड़ी को किसी का बलात्कार करना होगा या खुद इसका शिकार होना होगा।
स्टुअर्ट बैक्सटर
आपत्तिजनक बयान देने वाले फुटबॉल कोच स्टुअर्ट बैक्सटर

रेप या बलात्कार किसी महिला या इसके पीड़ित के लिए ऐसा शब्द है, जिसका ज़ख़्म बहुत गहरा होता है। हालांकि इसी समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इन शब्दों का मज़ाक के तौर पर बड़ी बेशर्मी से इस्तेमाल करते हैं।

इंग्लैंड के पूर्व फुटबॉलर स्टुअर्ट बैक्सटर का तो नाम आपने सुना ही होगा। स्टुअर्ट ने हाल ही में बलात्कार को लेकर एक ऐसी टिप्पणी की, जिसके लिए खुद उनके क्लब को मांफी मांगनी पड़ गई। हालांकि अब स्टुअर्ट को खुद उस क्लब ने बर्खास्त कर बाहर का रास्ता दिखा दिया है। लेकिन कई लोगों के ज़हन में अब भी ये सवाल बरकरार है कि आख़िर इन भद्दी बातों का लोगों की मानसिकता पर क्या असर होगा और क्या ऐसी बातें बलात्कार का पहला क़दम साबित हो सकती हैं?

क्या है पूरा मामला?

इंडियन सुपर लीग (ISL) में क्लब ओडिशा FC के हेड कोच रहे स्टुअर्ट बैक्सटर ने सोमवार 1 फरवरी को लीग के अपने 14वें मैच में जमशेदपुर FC के खिलाफ हार के बाद मैच में ओडिशा की एक पेनल्टी अपील को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की।

उन्होंने कहा, “मैच में फैसले आपकी तरफ होने चाहिए, लेकिन वे फैसले वैसे नहीं हुए। मुझे नहीं पता कि हमें किन परिस्थितियों में पेनल्टी मिलेगी। पेनल्टी हासिल करने के लिए शायद मेरे किसी खिलाड़ी को किसी का बलात्कार करना होगा या खुद इसका शिकार होना होगा।”

क्लब से बर्खास्त हुए स्टुअर्ट बैक्सटर

दरअसल मैच के दौरान ओडिशा FC की एक पेनल्टी अपील को रेफरी ने नकार दिया था। जिसके बाद ओडिशा को जमशेदपुर के खिलाफ 1-0 से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में टीम के कोच बैक्सटर रेफरी के फैसलों पर बेहद नाराज़ दिखे थे। स्टुअर्ट के इस बयान की बहुत आलोचना हुई। इस तरह की भद्दी बात को लेकर क्लब ने खुद को स्टुअर्ट के बयान से अलग कर लिया।

क्लब ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, “क्लब अपने हेड कोच स्टुअर्ट बैक्सटर द्वारा आज पोस्ट मैच इंटरव्यू में किए गए कमेंट्स से बेहद दुखी है। किसी भी संदर्भ में यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और यह हमारे क्लब के मूल्यों को नहीं दर्शाता है। ओडिशा FC इसके लिए माफी मांगता है और क्लब मैनेजमेंट इस मुद्दे से आंतरिक रूप से निपटेगा।”

इसके बाद मंगलवार, 2 फरवरी को ओडिशा FC ने एक ट्वीट के जरिए बताया कि उन्होंने तुरंत प्रभाव से अपने हेड कोच स्टुअर्ट बैक्सटर को बर्खास्त कर दिया है। साथ ही क्लब ने यह भी बताया कि वह जल्दी ही अपने अंतरिम हेड कोच की घोषणा करेंगे।

आपको बता दें कि 67 साल के ब्रिटिश फुटबॉल मैनेजर बैक्सटर को पिछले साल जून में ही ओडिशा एफसी का मुख्य कोच नियुक्त किया गया था। उन्होंने ओडिशा के साथ दो साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था जो कि अब उनके कमेंट्स के बाद रद्द हो गया है।

बलात्कार को लेकर इतनी संवेदनहीनता क्यों?

गौरतलब है कि ये रेप या बलात्कार को लेकर इस तरह की संवेदनहीनता कोई पहली बार सामने नहीं आई है। एक कुश्ती के खिलाड़ी पर बनी फिल्म सुल्तान के लॉन्च के मौके पर जब मीडिया ने बॉलीवुड स्टार सलमान खान की फाइट ट्रेनिंग को लेकर सवाल किया तो उन्होंने अपने ट्रेनिंग को रेप से जोड़ कर पेश किया। उनके इस बयान को लेकर लोगों में काफी गुस्सा देखने मिला था।

महिलावादी लोगों का मानना है कि इस तरह की बातें ट्रिगर वॉर्निंग हैं कि आज भी समाज में पितृसत्ता का बोलबाला है। इसका सीधा सा मतलब है कि वो औरतों को अपने बराबर नहीं समझते। क्योंकि जिसे आप वाक़ई में ख़ुद के बराबर समझेंगे, उसके बारे में ऐसा कुछ कहने से पहले दो बार सोचेंगे। अगर आज भी लोग ऐसे भद्दे कमेंट्स कर रहे हैं और दूसरे उन्हें सुनकर चुप हैं तो इसका मतलब आप एक तरह से उन्हें मानसिक मज़बूती दे रहे हैं।

सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक रोज़ महिलाएं टार्चर का शिकार होती हैं!

सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार ऋचा ऋचा सिंह कहती हैं, “ये उन लोगों के लिए चिंता की बात नहीं है जिन्हें सोशल मीडिया पर औरतों को रोज़ मिलने वाली बलात्कार की धमकियां नार्मल लगती हैं। ये उन लोगों के लिए भी नहीं है जो लड़कियों की बॉडी शेमिंग करते हैं या उन्हें वस्तु के तौर पर देखते हैं, न ही ये उन लोगों के लिए है जिन्हें 'हसबैंड-वाइफ़' वाले घटिया चुटकुले शेयर करने से कोई गुरेज़ नहीं है। जो लड़कियां, महिलाएं रोज़ इससे प्रभावित होती हैं, इसका शिकार होती हैं, ये ट्रिगर वॉर्निंग उनके लिए है।”

औरतों का भावनात्मक शोषण

वूमेन प्रोटेक्शन नामक एक गैर सरकारी संगठन से जुड़ी आस्था सिंह कहती हैं कि रेप को दरअसल हमारा पितृसत्तात्मक समाज कभी समझ ही नहीं पाया। अगर समझ पाता तो रेप का जिम्मेदार लड़की को कभी नहीं मानता। ना उसके कपड़ों और उसके चाल-चालन को लेकर गलत बातें कहीं जाती। समाज में शुरू से औरतों का भावनात्मक शोषण एक आम बात है।

आस्था के मुताबिक आपको बॉयज़ लॉकर रूम की घटना याद होगी, आपको कपिल मिश्रा का सफ़ूरा जरगर की प्रेगनेंसी को लेकर आपत्ति वाला ट्वीट भी याद होगा लेकिन ये याद नहीं होगा की इसके बाद बदला क्या। देश-विदेश में कहीं भी ऐसी मानसिकता के लोगों पर कम ही कार्रवाई होती है, लेकिन ज्यादातर लड़कियां आए दिन इसका शिकार होती हैं। इससे प्रभावित होती हैं। ये बातें निश्चित तौर पर बलात्कार का पहला क़दम हैं।

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