Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

हर साल दलित और आदिवासियों की बुनियादी सुविधाओं के बजट में कटौती हो रही है :  बीना पालिकल

काफी सालों से देखते आ रहे हैं कि हर साल सोशल सेक्टर बजट- जो शिक्षा का बजट है, जो स्वास्थ्य का बजट है या जो बजट लोगों के उद्योग के लिए है, इस बजट की कटौती हर साल हम लोग देखते आ रहे हैं। आशा है कि इस बजट में फाइनेंस मिनिस्टर ऐसा  नहीं करेंगीं

मंगलवार, एक फरवरी को आम बजट आ रहा है। इस बजट से सभी वर्गों को अपनी–अपनी आवश्यकता अनुसार उम्मीदें होती हैं जो कि स्वाभाविक ही हैं। पर किसकी कितनी उम्मीदें पूरी होती हैं ये तो आनेवाला बजट बताएगा। इस सन्दर्भ में हमने न्यूज़क्लिक के लिए बात की दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन की महासचिव बीना पालिकल से।

बीना जी, आप दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन की महासचिव हैं और कई वर्षों से बजट का विश्लेषण करती रही  हैं। इस बार के बजट से आपकी क्या अपेक्षाएं हैं?

जय भीम जोहार और  सलाम। काफी सालों से दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन जो  राष्ट्रीय दलित मानव अधिकार अभियान से जुड़ा है। हम लोग बजट को एनालिसिस  करते हैं कि कितने पैसे आते हैं उस पैसे से कितना आवंटन कौन सी योजना के लिए होता है। क्या यह योजना वाकई  में विकास योजना है या सिर्फ पैसा आवंटित होता है लेकिन इस  पैसे का कुछ होता नहीं या फिर ग्राउंड लेवल तक पहुंचता ही नहीं है। काफी सालों से देखते आ रहे हैं कि हर साल सोशल सेक्टर बजट- जो शिक्षा का बजट है, जो स्वास्थ्य का बजट है या जो बजट लोगों के उद्योग के लिए है, इस बजट की कटौती हर साल हम लोग देखते आ रहे हैं। आशा है कि इस बजट में फाइनेंस  मिनिस्टर ऐसा  नहीं करेंगीं और पॉलिसी के अनुसार जनसंख्या के अनुसार दलितों के लिए 16% और  आदिवासियों के लिए बजट का 8% आवंटित होना चाहिए। इसका फाइनेंस मिनिस्टर ध्यान रखेंगीं।

दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन की महासचिव के रूप में आप इस बजट को लेकर किस प्रकार की मांगे रखना चाहती हैं?

वैसे तो हमारी कई मांगे हैं पर प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं :

1. पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप : केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में प्रतिबद्ध दायित्व के केंद्रीय हिस्से के रूप में अगले 6 वर्षों के लिए 4 करोड़ अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति (पीएमएस) के लिए 35,219 करोड़ रुपये की वृद्धि की बात कही, लेकिन पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में अनुसूचित जाति के लिए बजट आवंटन 3,415.62 करोड़ रुपये और एसटी के लिए 1993 करोड़ था जो देश भर में पूरे एससी / एसटी छात्रों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अनुपातहीन है। हम कम से कम 7000 करोड़  के आवंटन की मांग करते हैं।

2. एससी एवं एसटी महिलाओं के लिए आवंटन : दलित महिलाओं के लिए 50% का आवंटन और दलित महिलाओं के लिए एक विशेष घटक योजना की निगरानी और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए मजबूत तंत्र के साथ स्थापित किया जाना चाहिए।

3. सामाजिक सुरक्षा : एक न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा स्तर जो पर्याप्त बजटीय आवंटन के साथ सभी दलितों और आदिवासियों को मातृत्व लाभ और बुनियादी आय सुरक्षा सहित सार्वभौमिक बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच की गारंटी देता है।

4.आपदा जोखिम में कमी (DRR) और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (CCA) : अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए उनके लचीलापन और अनुकूली क्षमता का निर्माण करने के लिए जनसंख्या आनुपातिक धन और प्रत्यक्ष आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (सीसीए) कार्यक्रमों को  आवंटित करें। इन योजनाओं में सूखे के दौरान विशेष रूप से भूमिहीन खेतिहर मजदूरों और महिला किसानों और कृषि श्रमिकों की आजीविका तंत्र को मजबूत करने के लिए आजीविका शामिल हो सकती है।

5.न्याय तक पहुँच : दलित महिलाओं, पुरुषों, बच्चों, विकलांग लोगों और क्वीर और ट्रांस व्यक्तियों के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए। जाति-आधारित भेदभाव और हिंसा के शिकार किसी भी पीड़ित को सुरक्षा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्पष्ट तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है। वर्तमान आवंटन पूरी तरह से अपर्याप्त है। मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए विशेष अदालतें स्थापित की जानी चाहिए और जाति और जाति आधारित अत्याचारों के पीड़ितों को अधिक मुआवजा दिया जाना चाहिए।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest