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विडंबना : गुजरात में डॉक्टरों के पद खाली लेकिन मेडिकल छात्रों को काम पर आने का आदेश

राज्य भर में कोरोना के मामले 40,000 के आंकड़े को पार कर गए हैं। सूरत जो कि अब नए हॉटस्पॉट के तौर पर सामने आया है, यहाँ पर मेडिकल कॉलेज के छात्रों को क्लिनिकल पोस्टिंग में शामिल होने के आदेश दिए गए हैं। जबकि दूसरी ओर विडंबना यह है कि सरकार राज्य भर में डॉक्टरों के रिक्त पदों को भर पाने में असमर्थ है।
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प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : द हिन्दू

सूरत के न्यू सिविल हॉस्पिटल से सम्बद्ध गुजरात मेडिकल कॉलेज (जीएमएस) के छात्रों को उच्चाधिकारियों द्वारा पिछले हफ्ते शहर में कोविड-19 के तेजी से बढ़ते मामलों के मद्देनजर क्लिनिकल पोस्टिंग को स्वीकार करने के निर्देश दिए गए हैं।

डीन के कार्यालय से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि “स्थानीय छात्रों के साथ ही जो छात्र हॉस्टल में रह रहे हैं उन्हें कॉलेज में ही उपस्थित रहना होगा। मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया के दिशानिर्देशों के अनुसार क्लिनिकल पोस्टिंग अब अनिवार्य कर दी गई है। इसमें सभी को आवासीय, भोजन और परिवहन की सुविधाएं मुहैया कराई जायेंगी। जो छात्र इस आदेश की अवहेलना करते हुए पाए जायेंगे उन्हें अनुपस्थित माना जाएगा और वे परीक्षाओं में बैठने की पात्रता से हाथ धो बैठेंगे।”

जीएमसी के छात्रों ने कॉलेज की ओर से जारी इस सर्कुलर के खिलाफ ट्विटर पर अपना पक्ष रखा है, जिसमें एमबीबीएस के छात्रों को क्लिनिकल पोस्टिंग के लिए कॉलेज में उपस्थित रहने को अनिवार्य घोषित कर दिया गया है।

जीएमसी के छात्र यूनियन ने छात्रों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाये हैं, विशेषकर उन छात्रों को लेकर जिन्हें इसके लिए दूर-दराज के इलाकों से यात्रा करनी पड़ेगी और माँग की है कि क्लिनिकल पोस्टिंग को स्वैछिक घोषित किया जाए। अपनी माँगों में उन्होंने यह भी जानना चाहा है कि क्या छात्रों को इस सबके बदले में निर्धारित धनराशि, इंटर्नशिप में राहत, क्वारंटाइन के दौरान उचित होटल में रहने की सुविधा और सेवाओं के एवज में पीपीई किट मुहैया कराई जाएँगी।  

गुजरात में कुल मामलों की संख्या अब 40,000 के आंकड़े को पार कर चुकी है। राज्य में 12 जुलाई को एक दिन के भीतर ही 879 कोविड-19 के पॉजिटिव मामले प्रकाश में आये हैं, जो एक दिन में प्रदेश में अबतक की सबसे बड़ी संख्या है। इसके साथ ही कोरोनावायरस पीड़ित मरीजों की कुल संख्या बढ़कर अब 41,889 तक जा पहुंची है। सूरत में सबसे अधिक 251 नए मामले दर्ज किये गए हैं। इसके पश्चात अहमदाबाद में 172 नए मामले और 13 मौतों के साथ राज्य में कुल मौतों की संख्या 2,065 तक जा पहुंची है।

जहाँ अहमदाबाद आज भी गुजरात के अंदर कुल मामलों का तकरीबन आधा हिस्सा अपने अंदर लिए हुए है, लेकिन इस बीच सूरत एक नए हॉट स्पॉट के तौर पर उभर कर सामने आया है। इस जिले में अभी तक कुल मामले 7,828 तक पहुँच चुके हैं।

इस बीच जीएमसी प्रशासन का दावा है कि छात्रों को पहले यथोचित ट्रेनिंग की व्यवस्था कर दी गई है, और इसके बाद ही उन्हें कोविड-19 के मरीजों के लिए विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों में सहायक स्टाफ के तौर पर काम में हाथ बँटाने के लिए कहा जायेगा। 

जीएमसी के डीन, डॉक्टर जयेश ब्रह्मभट्ट ने संवाददाताओं के साथ हुई अपनी बातचीत में बताया “क्लिनिकल पोस्टिंग के लिए एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के छात्रों को बुलाया जा रहा है। हमारे यहाँ कुलमिलाकर 131 छात्र हैं, जिनमें से 31 छात्रों ने पहले से ही अपनी उपस्थिति हमारे पास दर्ज करा दी है। उन्हें सहायक स्टाफ के तौर पर कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है और दो-चार दिनों में ही वे क्लिनिकल असिस्टेंट के तौर पर न्यू सिविल हॉस्पिटल में नियुक्त कर दिए जायेंगे।”

गुजरात पिछले एक वर्ष से अधिक समय से सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। इस बीच 28 मई को गुजरात स्वास्थ्य विभाग द्वारा महामारी के बीच में ही अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, भावनगर, जामनगर और वड़ोदरा के छह सिविल अस्पतालों के विभिन्न विभागों और पदों के लिए 686 संविदा डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किये थे।

वहीं जून 2019 में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने विधानसभा के सत्र के दौरान इस बात की घोषणा की थी कि राज्य में कुल 479 पद रिक्त हैं। मई 2020 तक इन खाली पदों की संख्या बढ़कर 686 जा पहुंची हैं, जो इस बात की सूचक हैं कि डॉक्टरों ने इस बीच सरकारी सेवाओं से त्यागपत्र देना शुरू कर दिया है।

यहाँ पर इस बात का उल्लेख करना आवश्यक है कि राज्य सरकार की ओर से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर अपने एसडीपी का मात्र 1% खर्च किया जा रहा है, जबकि इस बजट का एक अच्छा-ख़ासा हिस्सा मेडिकल शिक्षा और बीमा पर ही खत्म हो जाता है। इसके चलते सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति राज्य में दिनप्रतिदिन खस्ताहाल होती जा रही है।

सूरत जो कि हाल के दिनों में कोरोनावायरस संक्रमण के मामले में नये हॉटस्पॉट के तौर पर उभरकर सामने आ रहा है, जबकि यहाँ के विभिन्न विभागों में 91 डॉक्टरों के पद रिक्त पड़े हैं, जिनमें प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर्स, असिस्टेंट प्रोफेसर्स और प्रशिक्षकों के पद शामिल हैं। वहीं अहमदाबाद में जहाँ अभी तक सबसे अधिक मामले देखने में आ रहे हैं, सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के 106 पद रिक्त पड़े हैं।

सूरत गुजरात के उन जिलों में से एक है जिसे 1994 में प्लेग महामारी का सामना करना पड़ा था, लेकिन इसके पास मौजूदा स्वास्थ्य सुविधायें अहमदाबाद के स्तर की नहीं मौजूद हैं। इसके अलावा अहमदाबाद की तुलना में यहाँ पर संक्रमण के तेजी से फैलने की संभावना कहीं अधिक है क्योंकि शहर का जनसंख्या घनत्व 136.8 व्यक्ति प्रति हेक्टेयर है, जबकि अहमदाबाद में आबादी का घनत्व 119.5 व्यक्ति प्रति हेक्टेयर ही है।

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-

Gujarat Grapples with Doctors’ Vacancies Amid Pandemic, Orders Medical Students to Join Duty

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