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गुजरात : छात्रा की क़ाबिलियत पर भारी पड़ी मुस्लिम पहचान?

गुजरात के मेहसाणा के एक स्कूल पर मुस्लिम टॉपर छात्रा के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया गया है, 15 अगस्त के दिन स्कूल में टॉपर्स को सम्मानित किया गया जबकि आरोप है कि 10वीं की टॉपर लड़की का नाम जानबूझकर नहीं लिया गया। 
muslim student

15 अगस्त के दिन जहां पूरे देश में जश्न-ए-आज़ादी मनाया जा रहा था, देश की राजधानी दिल्ली से दूर गुजरात के मेहराणा के एक छोटे से गांव लुनावा में एक बच्ची स्कूल में हुए समारोह से नम आंखों के साथ घर लौट रही थी।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक तस्वीर

18-19 अगस्त को सोशल मीडिया पर एक बच्ची की तस्वीर वायरल हुई। बच्ची की तस्वीर के साथ ही गुजराती में कुछ जानकारी और एक संदेश वायरल हो रहा था। इस गुजराती संदेश की हेडलाइन थी ''जहां नफरत होती है वहां विनाश होता है, जहां बंधुत्व ( भाईचारा) होता है वहां विकास होता है'' साथ ही इसमें बताया गया कि ''मेहसाणा जिला के लुनावा गांव के स्कूल में 15 अगस्त 2023 को जश्न-ए-आज़ादी मनाया जा रहा था जिसमें 2022 में 10वीं में पास हुए विद्यार्थियों का सम्मान था, उसमें पहले नम्बर पर आई छात्रा का नाम लेने की बजाए दूसरे स्थान पर आए छात्र को बुलाया गया। उस समय 10वीं में पहले स्थान पर आने वाली अरनाज़ बानो सिपाही रो पड़ी और रोती-रोती घर पहुंची, पिता सरवर खान ने स्कूल के प्रिंसिपल अनिल पेटल और संचालक बिपिन पटेल को कहा की कि मेरी बच्ची पहले नम्बर पर पास हुई थी फिर भी आपने उसका नाम रद्द क्यों किया, स्कूल के प्रिंसिपल और संचालक की तरफ से गोल-मोल जवाब मिले कहा कि अरनाज़ बानो को एक नहीं 10 इनाम 26 जनवरी 2024 को हम देंगे, सनवर खान ने कहा हमको इनाम नहीं चाहिए लेकिन अगर मेरी बेटी का सम्मान होता तो हमें गौरव होता।"

वायरल पोस्ट

क्या है मामला?

ये वायरल पोस्ट गुजरात के मेहसाणा के लुनावा के श्री केटी पटेल स्मृति विद्यालय की एक बच्ची अरनाज़ से जुड़ी थी, जिसमें कथित तौर पर बच्ची के मुसलमान होने की वजह से उसके साथ भेदभाव का आरोप है। बताया गया कि स्कूल में 15 अगस्त के कार्यक्रम में 10वीं और 12वीं के टॉपर्स को सम्मानित किया गया। जिसमें 10वीं की टॉपर अरनाज़ थी लेकिन स्कूल समारोह में उसका नाम नहीं बुलाया गया, बल्कि उसकी जगह दूसरे स्थान पर आए छात्र को बुलाकर सम्मानित किया गया। बताया जा रहा है कि अरनाज़ अपने घर पहुंची और पिता सनवर ख़ान को सब बताया, पिता ने तुरंत टीचर और स्कूल प्रशासन से बात की लेकिन उन्हें टालने की कोशिश की गई।

''उसका नाम ही हटा दिया गया''

हमने अरनाज़ के पिता सनवर ख़ान से फोन पर बात कर पूरा मामला जानने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि ''हमारी अरनाज़ प्रथम आई थी, जब मैं केटी पटेल स्मृति विद्यालय रिजल्ट लेने गया था तो मुझे आचार्य ने कहा था कि 15 अगस्त के दिन सम्मान (समारोह) होता है तुम अपनी बेटी के साथ आना, तो हमारी लड़की गई थी, मैं नहीं गया था, लड़की अकेली गई थी। लेकिन उसका नाम ही कट कर दिया ( हटा दिया) । अरनाज़ का नाम ही नहीं बोला गया।" 

''मेरा सम्मान नहीं किया''

अरनाज़ घर पहुंची और उसने पिता को सब कुछ बताया। ''उसने मुझे बताया ''पापा मेरे को इनाम नहीं दिया, मेरा सम्मान नहीं किया'', मैंने तभी शिक्षक हीराबेन को फोन किया उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल ने किया, तो मैंने अनिल पटेल ( प्रिंसिपल ) को फोन किया तो उन्होंने कहा कि बिपिन पटेल संचालक हैं उनको फोन करो उनको ख़बर होगी, तो मैंने बिपिन पटेल को फोन किया तो उन्होंने कहा मुझे जानकारी नहीं है।"

बच्ची के पिता सनवर ख़ान ने बताया कि 17 अगस्त को वे गांव के कुछ जिम्मेदार लोगों के साथ स्कूल गए जहां उन्हें इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया गया गया, हालांकि ये आश्वासन दिया गया कि दो दिन बाद जवाब दिया जाएगा लेकिन नहीं दिया गया। और अब कहा जा रहा है कि सोमवार ( यानी की आज ) को जवाब देंगे। 

''बेटी तो डर गई है, स्कूल भी नहीं जा रही है''

मेहनती अरनाज़ ने 10वीं में 87 प्रतिशत के साथ टॉप किया, लेकिन जब उसकी हौसला अफ़जाई का वक़्त आया तो स्कूल के ऊपर भेदभाव करने का आरोप लग रहा है। हमने अरनाज़ की भी प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की लेकिन उससे तो बात बात नहीं हो पाई पर उनके पिता ने कहा, "रो रही है,  बेटी तो डर गई है, स्कूल भी नहीं जा रही है, कह रही है पापा मुझे आगे पढ़ना है लेकिन ऐसा इश्यू खड़ा हो गया'' 

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''हम नहीं चाहते कि ये कोई मुद्दा बन जाए''

हमने सनवर ख़ान से बेटी से जुड़ी पोस्ट के वायरल होने और मामले के प्रकाश में आने पर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाहिए, हमने उनसे पूछा कि वे अब आगे क्या करेंगे? तो उनका कहना था कि ''हम विचार करेंगे कि क्या करना है'' वो थोड़ा परेशान भी लगे, कहने लगे 2024 के इलेक्शन हैं हम नहीं चाहते कि ये कोई मुद्दा बन जाए, हालांकि वो ये भी कहते हैं कि जो ग़लत हुआ है उसका तो जवाब चाहिए। 

''हां! भेदभाव तो उन्होंने किया है!"

लेकिन जब हमने उनसे जानना चाहा कि उनकी बेटी के साथ ऐसा होना कोई ग़लती है या फिर किसी तरह का भेदभाव? तो उनका कहना था ''हां, भेदभाव तो उन्होंने किया है।"

बहुत ही धीमा और हिंदी में गुजराती घोलकर बोलने वाले अरनाज़ के पिता सनवर ख़ान बताते हैं कि वो लुनावा गांव में पीढ़ियों से रहते आए हैं लेकिन उनके साथ कभी भी ऐसा नहीं हुआ। बातचीत के दौरान ख़ामोश हो जाने वाले सनवर ख़ान कुछ मायूस भी लगे। लेकिन अब उन्हें सिर्फ बेटी के भविष्य की चिंता सता रही है। 

स्कूल प्रशासन का क्या कहना है?

इस मामले पर स्कूल प्रशासन ने बाइब्स ऑफ इंडिया नाम की वेबसाइट से कहा कि ''हमारा स्कूल किसी भी प्रकार के भेदभाव के खिलाफ सख्त नीति रखता है निश्चिंच रहे, योग्य छात्रा को 26 जनवरी को उसका इनाम मिलेगा, यह उल्लेखनीय है कि वह निर्धारित दिन पर अनुपस्थित थी, जिससे इनाम देने में बाधा उत्पन्न हुई।"

स्कूल के मुताबिक तो छात्रा स्कूल ही नहीं गई, जबकि इस दावे के उलट बच्ची और उसके पिता के दावे हैं।

एक टॉपर छात्रा अपने हक की बात कर रही है और स्कूल प्रशासन उसपर ही सवाल खड़े कर रहा है, ऐसे में नज़र के सामने शहर की वो दीवारें नाचने लगती हैं जिस पर लिखा होता है ''बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।"

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