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ज्ञानवापी केसः "अनर्गल ख़बरें प्रसारित करने से बाज आए मीडिया" ASI सर्वे के ख़िलाफ़ नई याचिका पर 17 को सुनवाई

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने कहा, ''एएसआई की जो कार्रवाई चल रही है, मीडिया ग़लत अथवा सही रिपोर्टिंग से बचे। सर्वे रिपोर्ट छापने और कवरेज करने से बाज आए। जो साक्ष्य मिल रहे हैं या नहीं मिल रहे हैं, उसे तूल न दें। धैर्य को बनाएं रखें। साक्ष्य कहीं से भी लीक न हों।''
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फ़ोटो : PTI

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी में ASI सर्वे के मामले में खबरिया चैनल, मीडिया और हिंदू पक्ष के लोग अब अनर्गल बयानबाजी नहीं कर सकेंगे। वाराणसी के जिला जज डॉ.अजय कुमार विश्वेश ने बुधवार को कड़ा निर्देश दिया कि सर्वे को लेकर न कोई बयानबाजी और न ही मीडिया ट्रायल होगा। एएसआई की ओर से डिस्ट्रिक कोर्ट में सर्वे की शीलबंद रिपोर्ट जानी है। इस बीच अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने पांच तकनीकी बिंदुओं को आधार बनाते हुए ASI सर्वे रोकने के लिए डिस्ट्रिक कोर्ट में फिर चुनौती दी है और कहा है कि डिस्ट्रिक कोर्ट का ASI सर्वे का आदेश वैधानिक नहीं है।

डिस्ट्रिक कोर्ट में मीडिया के कवरेज के मामले में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की अर्जी पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सर्वे वाले स्पॉट के आसपास किसी तरह की रिपोर्टिंग नहीं होगी। एएसआई के लोग मीडिया को कोई रिपोर्ट नहीं देंगे। सोशल मीडिया पर भी अनर्गल खबरें नहीं चलनी चाहिए, जिससे शांति की भंग की आशंका हो। बैरिकेडिंग के आगे मीडियाकर्मियों के लिए प्रतिबंध रहेगा। उल्लेखनीय है कि बनारस में देश भर के खबरिया चैनलों के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में मीडिया कर्मी कई दिनों डेरा डाले हुए हैं। एक दूसरे को पछाड़ने के लिए सर्वे के बाबत बढ़ा-चढ़ाकर खबरें छापी जा रही हैं।

पूरी तरह सीक्रेट है सर्वे

जिला जज डॉ.अजय विश्वेश ने कहा, ''एएसआई का सर्वे पूरी तरह सीक्रेट है। सर्वे रिपोर्ट सिर्फ कोर्ट में ही दाखिल हो सकती है। पब्लिक डोमेन में तब तक नहीं लार्ई जाएगी, जब तक कोर्ट के पटल पर एएसआई अपनी रिपोर्ट को दाखिल नहीं करता है।'' डिस्ट्रिक कोर्ट ने यह भी कहा, ''एएसआई की जो कार्रवाई चल रही है, मीडिया गलत अथवा सही रिपोर्टिंग से बचे। सर्वे रिपोर्ट छापने और प्रसारित करने से बाज आए। जो साक्ष्य मिल रहे हैं या नहीं मिल रहे हैं, उसे तूल न दें। धैर्य को बनाएं रखें। साक्ष्य कहीं से भी लीक न हों।''

ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने 08 अगस्त 2023 को श्रीमती राखी सिंह बगैरह बनाम स्टेट ऑफ यूपी वगैरह मामले का जिक्र करते हुए जिला जज डॉ.अजय कुमार विश्वेश की अदालत में खबरिया चैनल, मीडिया, हिंदू पक्ष और कुछ अधिवक्ताओं द्वारा की जा रही अनर्गल बयानबाजी की शिकायत की। कमेटी ने तीन बिंदुओं पर कोर्ट का ध्यान आकृष्ट कराया और कहा, ''ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे का काम जारी है। ASI की सर्वे टीम और संबंधित अफसरों की ओर से आज तक कोई बयान नहीं दिया गया। इसके बावजूद खबरिया चैनल, प्रिंट और सोशल मीडिया मनमाने तरीके से गलत और झूठा प्रचार करने में जुटी है। जिन स्थानों पर अभी तक सर्वे भी नहीं हुआ है उनके बारे में भी एडवांस में खबरें छापी और प्रसारित की जा रही हैं। झूठी खबरों के प्रकाशन और प्रसारण से जनमानस पर गलत प्रभाव पड़ रहा है। साथ वैमनस्यता भी फैल रही है। जनता के दिमाग में तरह-तरह की बातें पैदा हो रही हैं।''

डिस्ट्रिक कोर्ट का ध्यान आकृष्ट कराते हुए अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने यह भी कहा, ''वाराणसी और आस-पास के जिलों में शांति व सद्भाव बनाने के लिए और लोगों के जीवन पर कुप्रभाव न पड़ने देने के लिए खबरिया चैनल, प्रिंट व सोशल मीडिया द्वारा मनमाने तरीके से खबरों के प्रकाशन पर तत्काल रोक लगाया जाना जरूरी और न्यायसंगत होगा।''

जिला जज डॉ.विश्वेश ने 09 अगस्त 2023 (बुधवार) को इस मामले में सुनवाई करते हुए सर्वे के बाबत खबरिया चैनलों, प्रिंट व सोशल मीडिया पर मनमाना खबरों के प्रसारण पर रोक लगाने का फैसला सुनाया और कहा कि सर्वे को लेकर कोई मीडिया ट्रायल नहीं होगा।

सर्वे को फिर दी गई चुनौती

ज्ञानवापी में ASI सर्वे रोकने के लिए अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी बुधवार को फिर जिला जज की अदालत में पहुंचा और पांच तकनीकी बिंदुओं को आधार बनाते हुए सर्वे को चुनौती दी। साथ ही ASI सर्वे रोक लगाने की मांग की। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका स्वीकार कर ली है और सुनवाई के लिए 17 अगस्त की तारीख तय की है। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का कहना है कि सर्वे के आदेश में तमाम खामियां हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि बिना फीस दिए ही सर्वे हो रहा है। यह आदेश सिविल कानून के खिलाफ है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि नियमों का अनुपालन करने के बाद ही सर्वे का आदेश जारी किया जाना चाहिए।

मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा है कि वादी पक्ष ने ASI के सर्वे पर होने वाले खर्च की अग्रिम धनराशि कोर्ट में जमा नहीं कराई है। सिविल कानून के मुताबिक सर्वे की मांग करने के बाद यह ऐसा करना जरूरी है। ज्ञानवापी सर्वे के मामले में नियम और कानूनों की अनदेखी की गई है। इस मामले में सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद ही कोर्ट को कोई फैसला सुनाना चाहिए था। कानून का पालन नहीं किया गया है, ऐसे में ASI सर्वे रोका जाए।

इस मामले में हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि वह लिखित में जवाब दाखिल करेंगे। इसके लिए समय चाहिए। डिस्ट्रिक कोर्ट ने फिलहाल सर्वे पर रोक नहीं लगाया है, लेकिन जवाब दाखिल करने के लिए हिंदू पक्ष को 17 अगस्त तक का समय दिया है। फिलहाल सर्वे चलता रहेगा।

अफसरों ने कसे पेंच

डिस्ट्रिक कोर्ट के कड़े रुख को देखते हुए बनारस के पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन, कमिश्नर कौशल राज शर्मा और जिलाधिकारी एस.राजलिंगम ने ज्ञानवापी के नजदीक के चौक थाने में हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों से अलग-अलग बात की। सर्वे को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों को रोकने का निर्देश दिया गया। अफसरों ने साफ-साफ कहा कि जो भी पक्ष सर्वे को लेकर कहीं भी अनर्गल बयानबाजी करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। महिला वादकारियों और उनके अधिवक्ताओं से कहा गया कि वो बेवजह मीडिया में बयानबाजी न करें। सर्वे के बाबत मीडिया में कोई भी बयान सोच-समझकर दें। बाद में हिंदू पक्ष ने पुलिस व प्रशासन के निर्देश का अक्षरशः पालन करने का वादा किया। इस बीच, इंटेलिजेंस ब्यूरो की एक टीम ज्ञानवापी परिसर में पहुंची और सुरक्षा इंतजाम का जायजा लिया। आईबी ने सुरक्षा यूनिट और सर्वे में शामिल दोनों पक्षों से जानकारी हासिल की और लौट गई।

हाईकोर्ट में हिंदू पक्ष को झटका

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी में गैर-हिंदुओं का प्रवेश रोकने के बाबत दाखिल याचिका खारिज कर दी है। इससे हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है। याचिका में विवादित परिसर में मिले हिंदू प्रतीक चिन्हों को संरक्षित रखने की मांग भी की गई थी। हाईकोर्ट में यह याचिका राखी सिंह वगैरह ने दाखिल की थी। मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद उनकी अर्जी को स्वीकार करने से साफ मना कर दिया। याची राखी सिंह का कहना था कि श्रृंगार गौरी केस में जब तक डिस्ट्रिक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता तब तक परिसर में गैर-हिंदुओं का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए, क्योंकि सदियों पुराने अवशेषों को बचाना है। दावा किया गया था कि विवादित स्थल (सेटलमेंट प्लॉट नंबर 9130 वार्ड और दशाश्वमेघ वाराणसी) पर एक भव्य मंदिर हुआ करता था, जहां भगवान शिव ने स्वयं ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। साल 1669 में मुस्लिम शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को तोडवा दिया था। बाद में मुसलमानों ने अनधिकृत रूप से मंदिर परिसर में अतिक्रमण किया और एक संरचना बनाई जो ज्ञानवापी मस्जिद है।

एक और याचिका पर सुनवाई

ज्ञानवापी को काशी विश्वनाथ मंदिर घोषित करके पूजा की अनुमति देने के संबंध में दाखिल याचिका के संबंध में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) आकाश वर्मा ने दोनों पक्षों को सुना और आदेश के लिए पत्रावली सुरक्षित रख ली। यह पता नहीं चल पाया है कि इस मामले में फैसला कब सुनाया जाएगा।

बजरडीहा के विवेक सोनी व नेवादा के जयध्वज श्रीवास्तव ने सिविल कोर्ट में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी को पक्षकार बनाते हुए वाद दाखिल किया था। इस मामले में 08 अगस्त 2023 को कोर्ट में बहस हुई। वादी के अधिवक्ता देशरत्न श्रीवास्तव और नित्यानंद राय ने कहा, ''आदि विश्वेवर ज्योतिर्लिंग काशी में है, जिसका स्वरूप बदला गया है। 16 मई 2922 में कोर्ट कमिश्नर के सर्वे के दौरान शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। अब ज्योतिर्लिंग के पूजा पाठ, शयन व मंगला आरती, दुग्धाभिषेक आदि की अनुमति मिलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने भी शिवलिंग को सुरक्षित रखने के आदेश दिए हैं।''

इस बीच बनारस के बड़ी पियरी निवासी अधिवक्ता अनुष्का तिवारी और इंदु तिवारी की तरफ से अधिवक्ता शिवपूजन सिंह गौतम, शरद श्रीवास्तव व हिमांशु तिवारी ने एक अन्य वाद दाखिल किया है, जिसमें मंदिर का मालिकाना हक हिंदू पक्ष को देने की अपील की गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि वहां भव्य मंदिर बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार सहयोग करें। साल 1993 में की गई बैरिकेडिंग हटाई जाए। अब मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी।

जारी से ज्ञानवापी का सर्वे

ज्ञानवापी में ASI की टीम लगातार सर्वे करने में जुटी है। इस बीच आईआईटी कानपुर के पृथ्वी विशेषज्ञों की एक टीम जीपीआर (ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार) के साथ बुलाया गया है। मंगलवार को वाराणसी पहुंचे विशेषज्ञों ने बुधवार को मशीन लगाकर मार्किंग की। सैटेलाइट के जरिए इमैजिनेशन किया जा रहा है। जल्द ही ASI टीम दीवारों की थ्रीडी इमेजिंग, मैपिंग और स्क्रीनिंग शुरू करेगी। अजय कुमार विश्वेश की अदालत ने आदेश दिया कि ASI को अपनी सर्वे रिपोर्ट 2 सितंबर तक सबमिट करनी होगी।

(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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