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ज्ञानवापी सर्वेः ASI ने रिपोर्ट सौंपने के लिए फिर मांगा 15 दिन का समय, 18 नवंबर को होगी सुनवाई

डिस्ट्रिक कोर्ट में ASI के अधिवक्ता ने बताया कि हैदराबाद लैब से अभी तक ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) की प्रिंट रिपोर्ट नहीं मिल पाई है। कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के लिए 15 दिन का समय और लग सकता है।
Gyanvapi

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में पिछले 93 दिनों तक चले वैज्ञानिक सर्वे की रिपोर्ट शुक्रवार को डिस्ट्रिक कोर्ट में पेश नहीं की जा सकी। रिपोर्ट जमा करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने एक पखवाड़े की और मोहलत मांगी है। केंद्र सरकार के स्पेशल गवार्निंग काउंसिल अमित श्रीवास्तव ने कहा कि अभी सर्वे की रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकी है। उन्होंने जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत को बताया कि सर्वेक्षण के नतीजों को संकलित करने के लिए ज़्यादा समय लग सकता है। कोर्ट ने ASI के पक्ष को सुना, लेकिन तत्काल कोई कोई फैसला नहीं दिया।

डिस्ट्रिक कोर्ट में ASI के अधिवक्ता ने बताया कि ज्ञानवापी परिसर में तीन महीने से ज़्यादा समय तक चली सर्वे की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। हैदराबाद लैब से अभी तक ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) की प्रिंट रिपोर्ट नहीं मिल पाई है। लैब ने रिपोर्ट तैयार करने के लिए कुछ और समय मांगा है। कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने के लिए एक पखवाड़े का और समय लग सकता है।

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने कहा कि शनिवार (18 नवंबर, 2023) को वह एक्सटेंशन एप्लिकेशन पर सुनवाई करेंगे। ASI को डिस्ट्रिक कोर्ट ने 02 नवंबर, 2023 को 15 दिनों के लिए एक्सटेंशन दिया था। उसे पिछले सोमवार को अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार की रिपोर्ट नहीं मिलने की वजह से संकलित रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल नहीं की जा सकी।

डिस्ट्रिक कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को 17 नवंबर 2023 को ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंपने का आदेश जारी किया था। ASI को वैज्ञानिक सर्वे के दौरान कुछ खंडित मूर्तियां, घड़ा, चिह्न जैसे 250 अवशेष मिले थे। इन्हें वाराणसी जिला प्रशासन की निगरानी में कोषागार के डबल लॉक में रखवाया गया है। मस्जिद परिसर में मिले अवशेषों का ब्योरा जल्द ही डिस्ट्रिक  कोर्ट में रखा जाएगा।ASI पिछले सौ दिनों से मस्जिद परिसर में इस बात की पड़ताल करने में जुटी थी कि क्या मस्जिद पहले से मौजूद ढांचे के ऊपर बनाई गई थी?

केंद्र सरकार के स्पेशल गवार्निंग काउंसिल अमित श्रीवास्तव ने कहा कि ASI को अपने सर्वेक्षण के निष्कर्षों को संकलित करने के लिए और समय चाहिए। गवार्निंग काउंसिल ने डिस्ट्रिक कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक्सटेंशन की अर्जी दी। साथ ही एक पखवाड़े की और मोहलत मांगी। उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक कोर्ट के 21 जुलाई 2023 के आदेश के बाद 4 अगस्त 2023 से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे शुरू हुआ था।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रिपोर्ट से यह साफ हो जाएगा कि मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद किसी दूसरी संरचना के ऊपर किया गया है अथवा नहीं? मस्जिद के तीन गुंबदों और उसके नीचे के हिस्‍से, दीवारों और अन्‍य निर्माण की आयु और उसकी प्रकृति के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी मिल सकेगी। ASI ने मस्जिद के पार्श्‍व भाग की पश्चिमी दीवार के बारे में भी ब्योरा जुटाया है।

डिस्ट्रिक कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल किए जाने के बाद अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के अलावा हिंदू पक्ष अदालत में अर्जी देकर उसकी प्रतिलिप प्राप्त कर सकेंगे। हिंदू पक्ष का कहना है कि रिपोर्ट में मस्जिद के नीचे जमीन में दबे ढांचे की जीपीआर जांच से सामने आने वाली सचाई से हमारा दावा मजबूत होगा। दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि सर्वे में ऐसा कुछ खास नहीं मिला है जिससे हिंदू पक्ष के दावे को बल मिले।

वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्‍ण विश्‍वेश की अदालत ने 21 जुलाई को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को ज्ञानवापी मस्जिद के सील वजूखाने को छोड़कर बाकी सभी हिस्‍से और तहखानों का वैज्ञानिक सर्वे करने का आदेश दिया था। तीन दिन बाद ही 24 जुलाई को ASI ने सर्वे शुरू कर दिया था, लेकिन मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। बाद में कई अदालतों में हुई सुनवाई के बाद सर्वे का रास्ता साफ हो गया।

ASI को ज्ञानवापी मस्जिद की उम्र, निर्माण और दीवारों पर मौजूद कलाकृतियों की उम्र और प्रकृति का निर्धारण करना है। साथ ही वह मस्जिद के विभिन्‍न हिस्‍सों और संरचना के नीचे मौजूद ऐतिहासिक व धार्मिक महत्‍व की कलाकृतियां आदि के बारे में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है।

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