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हरियाणा: आशाओं का संघर्ष जारी, 25 सितंबर को जेल भरो कार्यक्रम 

यूनियन के नेताओं ने कहा कि सरकार हमारा मानदेय बढ़ाए, न्यूनतम वेतन 26000 रूपये करे, हमें स्वास्थ्य विभाग का स्थाई कर्मचारी घोषित करे।
ASHA

हरियाणा में आशा वर्कर्स यूनियन के नेतृत्व में सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) से जुड़ी आशाकर्मी बीते एक महीने से अधिक समय से हड़ताल पर हैं। इस दौरान इन्हें कई बार पुलिस प्रताड़ना का भी शिकार होना पर लेकिन सरकार इनकी मांगों पर विचार करने को तैयार नहीं दिख रही है। इस बीच आशा वर्कर्स ने रविवार 10 सितंबर को रोहतक में एक कन्वेन्शन आयोजित की जिसमें उन्होंने अपने संघर्ष को लेकर नए ऐलान किए।

हड़ताली आशा वर्कर्स 25 सितंबर को प्रदेश भर जेल भरेंगी। 15 सितंबर को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह व 18 सितंबर को कृष्ण पाल गुज्जर के दरवाजे पर हजारों आशा वर्कर्स दस्तक देंगी। राज्य में आशाओं की हड़ताल 27 सितंबर तक जारी रहेगी।

उक्त निर्णय रोहतक में आशा वर्कर्स यूनियन हरियाणा की राज्य स्तरीय कन्वेंशन में लिया गया। कन्वेंशन को प्रमुख रूप से यूनियन प्रदेश अध्यक्ष सुरेखा, महासचिव सुनीता और सीटू महासचिव जय भगवान ने संबोधित किया।

संगठन नेताओं ने कहा की बेटी बचाओ का नारा देने वाली सरकार के मुखिया के पास हरियाणा की 20000 आशा वर्कर्स के लिए बातचीत का समय नहीं। 32 दिन की हड़ताल के बाद अभी स्वास्थ्य विभाग के मुख्य सचिव की ओर से 13 सितंबर को वार्ता का निमंत्रण आया है। हम सरकार को आगाह करते हैं की हमारी मांगों का निपटारा सम्मानजनक तरीके से हो। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण कर रही है। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की अन्य स्टाफ की बेहद कमी है, दांचागत सुविधाएं नहीं है। हमारे आंदोलन की यह भी मांग है कि उक्त सुविधाएं बहाल हों।

संगठन के नेताओं ने कहा कि सरकार बार-बार 7-8 हजार प्रोत्साहन राशियों को ज्यादा वेतन बता रही है। लेकिन वह यह नहीं बता रही कि आशा वर्कर से 70-80 हजार रुपये लेने वाले पक्के कर्मचारी की तरह से काम ले रही है। न ही सरकार यह बताने का कष्ट करती है कि 2018 के बाद से हमने आशा वर्कर पर बेतहाशा काम को बोझ बढ़ा दिए हैं। 2018 के बाद आशा के वेतन में हमने कोई बढ़ोतरी नहीं की है उलटे कटौतियां की हैं। ऑनलाइन कामों के लिए आशा वर्कर्स को एक नए पैसे का भी भुगतान नहीं हो रहा। 

उन्होंने कहा कि महंगाई लगातार बढ़ रही है लेकिन पिछले 5 वर्षों में आशा वर्कर्स की एक नए पैसे की बढ़ोतरी नहीं की गई है उल्टे उनकी प्रोत्साहन राशियों में कटौती की गई है। यदि सरकार संजीदा है तो तुरंत मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को वार्ता करके मांगों का निपटारा करना चाहिए। महिलाओं पर जिस प्रकार से सरकार ने 27 और 28 तारीख को दमन का जो तरीका अपनाया वह बेहद निंदनीय था। यह खुले तौर पर नागरिक व मानवाधिकारों का उल्लघंन है। इसे लेकर राज्य की वर्कर्स में भारी रोष व्याप्त है।

कन्वेंशन को राज्य नेताओं प्रवेश, कमलेश, अनीता, रानी, मीरा, सुदेश, सुधा, शीला, रामरती, नीलम, पूनम सहित 22 जिलों से आई नेताओं ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि 4 सितंबर से प्रदेश की आशाएं गांव व शहर की बस्तियों में जन संवाद कार्यक्रम कर रही हैं। 4 लाख घरों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। ब्लॉक स्तर पर पंचायतें की जा रही हैं। इसमें आमजन व जन प्रतिनिधियों को बुलाया जा रहा है। यूनियन के नेताओं ने कहा कि सरकार हमारा मानदेय बढ़ाए, न्यूनतम वेतन 26000 रूपये करे, हमें स्वास्थ्य विभाग का स्थाई कर्मचारी घोषित करे।

इन मांगों को हासिल करने के लिए 15 सितंबर को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत के दरवाजे पर और 18 को कृष्ण पाल गुज्जर के यहां हजारों वर्कर्स दस्तक देंगी। 25 सितंबर को राज्य भर में जेल भरो का कार्यक्रम होगा।

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