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हरियाणा : भारत रसायन लिमिटेड के सैकड़ों ठेका कर्मियों की हड़ताल पांचवे दिन भी जारी !

"अगर अगले 3 दिनों के अंदर मामले का निपटारा नहीं किया गया तो अट्ठारह जनवरी को धरना स्थल पर किसान मज़दूरों की पंचायत की जाएगी।" : हड़ताली श्रमिक
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हरियाणा के रोहतक जिले के मोखरा स्थित फर्टिलाइज़र केमिकल तैयार करने वाली कंपनी भारत रसायन लिमिटेड के कर्मचारी हड़ताल पर हैं। कंपनी के 300 ठेका कर्मी लगातार पांचवे दिन हड़ताल पर हैं।

इनका कहना है कि ये, प्रबंधन के मज़दूर विरोधी और अड़ियल रवैये के चलते कामबंद कर सड़को पर हैं।

पहले ये कर्मचारी अकेले ही संघर्ष में थे लेकिन अब इन्हें मज़दूर संगठन सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन(सीटू) का समर्थन भी मिला है। इसके साथ ही इन मज़दूरों को किसान नेताओं ने भी अपना समर्थन दिया है। 

आज 14 जनवरी को एक बड़ी बैठक कर कर्मचारियों ने प्रबंधन के अड़ियल रवैये के खिलाफ 18 जनवरी को किसान मज़दूर पंचायत करने का ऐलान किया है।

हड़ताली श्रमिकों ने ये आरोप लगाते हुए कहा कि प्रबंधन गैरकानूनी ढंग से नई भर्ती की कोशिश कर रहा है।

गौरतलब है कि वेतन बढ़ोतरी, ईएसआई कार्ड, ओवरटाइम लागू करने समेत कई मांगों को लेकर भारत रसायन लिमिटेड में कार्यरत 300 ठेका कर्मचारी दस जनवरी से काम छोड़कर कंपनी गेट के सामने धरना दे रहे हैं।

हड़ताली श्रमिकों के बीच आज संयुक्त किसान मोर्चा, हरियाणा के नेता सुमित दलाल, किसान सभा के जिला सचिव बलवान, किसान नेता संदीप मोखरा,सीटू जिला प्रधान कमलेश लाहली और जिला सचिव विनोद भी पहुंचे।

हड़ताली श्रमिकों ने बताया कि कंपनी में ज़हरीले फर्टिलाइज़र केमिकल के चलते हर समय उन पर बड़ी दुर्घटना का खतरा मंडराता रहता है। खतरनाक केमिकल के साथ काम करने के चलते अनेक श्रमिकों के हांथ-पैर और शरीर में गंभीर बीमारियां भी हो जाती हैं। इतने जोखिम भरे काम के बावजूद भी उन्हें ना तो ओवरटाइम मिलता है और ना ही अभी तक ईएसआई कार्ड जारी किए गए हैं। आलम यह है कि कंपनी के अंदर बनी डिस्पेंसरी में प्राथमिक उपचार के लिए भी न्यूनतम प्रबंध तक नहीं है। ठेका कर्मचारियों को हर 8 महीने के बाद नौकरी से दो-तीन महीने का ब्रेक दे दिया जाता है और उन्हें पक्का भी नहीं किया जा रहा है। 

आपकों बता दें इस तरह के 'ब्रेक' कई कंपनियों में दिए जाते हैं जिससे कर्मचारी पक्के न हों और वो इसे कानूनी रूप से चैलेंज भी न कर सकें।

मज़दूर नेता विनोद ने कहा कि मौजूदा सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों के कारण पूरे प्रदेश के उद्योगों में श्रम कानूनों का पालन न होने और न्यूनतम वेतन में महंगाई अनुसार बढ़ोतरी न करने के चलते औद्योगिक श्रमिक नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। बढ़ती महंगाई के अनुसार वेतन बढ़ोतरी न होने से श्रमिकों को परिवार के पालन पोषण में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लगभग सभी उद्योगों में श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू न करने के चलते आए दिन श्रमिक मौत के मुंह में धकेला जा रहा हैं। इसी के चलते रोहतक जिले में पिछले साल हुई औद्योगिक दुर्घटनाओं में लगभग 9 मज़दूर अपने जीवन से हाथ धो चुके हैं। इन नरकीय हालात के चलते औद्योगिक श्रमिकों में भारी असंतोष पनप रहा है।

उन्होंने सभी श्रमिकों का आह्वान करते हुए कहा कि व्यापक एकता के दम पर ही इन मालिकपरस्त नीतियों को बदल कर मज़दूरों के हक को सुरक्षित रखा जा सकता है।

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे लोगों ने बताया कि आंदोलन के दबाव में कल यानी 13 जनवरी को डिप्टी लेबर कमिश्नर (डीएलसी) विशवप्रीत हुड्डा की मध्यस्थता में प्रबंधन और श्रमिक प्रतिनिधियों के बीच पहले दौर की वार्ता हुई, जो प्रबंधन के हठधर्मी रुख के चलते बेनतीजा रही। प्रबंधन के अड़ियल और मज़दूर विरोधी रवैये के खिलाफ श्रमिकों ने आम सभा में ऐलान किया कि अगर अगले 3 दिनों के अंदर मामले का निपटारा नहीं किया गया तो अट्ठारह जनवरी को धरना स्थल पर किसान मज़दूरों की पंचायत की जाएगी। 

श्रमिकों की प्रमुख मांगे इस प्रकार हैं :

1. सभी ठेका श्रमिकों को 16000 रुपये मासिक वेतन दिया जाए।

2. सभी श्रमिकों को ईएसआई कार्ड दिया जाए।

3. ओवरटाइम का पूरा भुगतान एवं पीएफ के लिए बार बार चक्कर ना कटवाए जाएं।

4. कंपनी की डिस्पेंसरी में प्राथमिक उपचार के सभी प्रबंध किए जाएं।

5. पिछली हड़ताल में हटाए गए सभी ठेका श्रमिकों को बहाल किया जाए।

6. सभी श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन किया जाए।

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