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डॉ. कफ़ील का पीएम मोदी को ख़त : संकट की घड़ी में देश की सेवा करना चाहता हूं

प्रधानमंत्री को लिखें दो पन्नो के पत्र में डॉ. कफ़ील ख़ान ने कहा है कि उन्होंने देश भर में क़रीब 103 नि:शुल्क मेडिकल कैम्प किए हैं। जिनसे मिले अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत कि प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है।
डॉ. कफ़ील

मथुरा जेल से डॉ. कफ़ील ख़ान ने एक पत्र लिख कर प्रधानमंत्री को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए रणनीति की एक रूपरेखा भेजी है। पत्र में डॉ. कफ़ील ख़ान ने कहा है की उनको आशंका है कि भारत में कोरोना (कोविड-19) से 3-4 मिलियन लोग संक्रमित हो सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डॉ. कफ़ील ख़ान ने माँग की है कि उन पर लगे झूठे मुक़दमों को हटाया जाए ताकि वह संकट के समय में देश की सेवा कर सकें।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में संशोधित नगरिकता क़ानून (सीएए) के विरुद्ध एक सभा में कथित भड़काऊ भाषण देने आरोप में 29 जनवरी से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत जेल में बंद डॉ. कफ़ील ने कहा है कि अप्रैल के अख़िर तक कोरोना भारत में तीसरे चारण तक जा सकता है। इससे 3-4 मिलियन लोगों को संक्रमित होने का ख़तरा है। ऐसे हालत में 3-4 प्रतिशत मरीज़ों की संक्रमित रोग से मौत भी हो सकती है।

“I fear it’s not far when India would enter into stage-lll of disease (most probably by end of April) it could effect 3-4 millions of Indians with mortality of around 3-4 %.”

प्रधानमंत्री को लिखें दो पन्नो के पत्र में डॉ. कफ़ील ख़ान ने कहा कि उन्होंने देश भर में क़रीब 103 नि:शुल्क मेडिकल कैम्प किए है। जिन से मिले अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत कि प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है। डॉ. कफ़ील ख़ान ने लिखा है कि उन्हें देश के विभिन राज्यों में जाकर 50 हज़ार मरीज़ों के उपचार के बाद यह अनुभव हुआ है कि भारत में डाक्टरों और नर्सिंग स्टाफ़ की बहुत कमी है। इसके अलावा इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) बहुत कम हैं और यह सिर्फ़ शहरी इलाक़ों तक सीमित हैं।

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बतौर डाक्टर अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया है कि लोगों में स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर जानकरी बहुत कम है और 50 फीसद से ज़्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। ऐसे में कोरोना की महामारी तीसरे चरण में और विस्फोटक हो सकती है। इस लिए देश कि चिकित्सा व्यवस्था और मज़बूत करने की ज़रूरत है और युद्ध स्तर पर कोरोना से लड़ना होगा।

डॉ. कफ़ील ख़ान के अनुसार भारत को भी साउथ कोरिया और चाइना मॉडल पर अमल करना चाहिए है। ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की जाँच होनी चाहिए, चाहे वह साधारण न्यूमोनिया के मरीज़ हो और सामाजिक दूरी बनवाना होगी। इसके अलावा अफवाह और अवैज्ञानिक संदेशों पर भी प्रतिबंध लगाना होगा।

चिकित्सा व्यवस्था के प्रबंध के बारे में भी  डॉ. कफ़ील ख़ान ने अपने पत्र में विस्तार से लिखा है कि, हर ज़िले में तुरंत जाँच करने वाली पैथोलोजी (Rapid Lab Testing Center), 100 आईसीयू बेड, और इसके अतिरिक्त 100 आइसोलेशन बेड अलग से कोरोना के संग्धित मरीज़ों के लिए होना ज़रूरी हैं। इसके अलावा डॉक्टरों के साथ नर्सिंग स्टाफ़, आयुष आदि को प्रशिक्षण देने की ज़रूरत है।

प्रधानमंत्री से डॉ. कफ़ील ख़ान ने कहा है कि जब भी देश को ज़रूरत पड़ी उन्होंने अपनी टीम के साथ जाकर सेवाएं दीं हैं। उनके अनुसार वह बिहार में चमकी बीमारी के उपचार के लिए गए और केरल, असम और में जब बाढ़ की शक्ल में प्राकृतिक आपदा आई उस समय भी उन्होंने देश हित में लोगों की मदद की थी। डॉ. कफ़ील ख़ान ने पत्र में लिखा है की उन्होंने छत्तीसगढ, हरियाणा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में कुपोषण और स्वाइन फ्लू के मरीज़ों का इलाज भी किया है।

उन्होंने अपने पत्र में यह लिखा है की उनके द्वारा किए गए रिसर्च कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है। उनकी लिखी किताब “Manipal Manual of Clinical Paediatrics” हज़ारों चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों द्वारा पढ़ी जाती है। डॉ. कफ़ील ख़ान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराया की हाल में केंद्रीय स्वस्थ मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा अनुमोदित किताब “India’s Top 25 Paediatrics” में उनका नाम भी शामिल है।

डॉ. कफ़ील ख़ान ने प्रधानमंत्री से कहा है की उनको उत्तर प्रदेश सरकार ने बिना आधार और सुबूत के आलोकतंत्रिक तरीक़े से झूठे आरोप में जेल में बंद कर रखा है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री उनके विरुद्ध लगे राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (रासुका) को तुरंत हटा कर उनको रिहा करें, ताकि वह इस मुश्किल के समय में वह भारतवासियों की सेवा कर सकें।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए मथुरा जेल प्रशासन ने भी डॉ. कफ़ील ख़ान द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजे जाने की पुष्टि की है। जेल अधीक्षक शैलेंद्र मैत्रेय ने बताया कि डॉ. कफ़ील ख़ान द्वारा प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर उन से खुद को रिहा करने को कहा है। क्यूँकि वह एक चिकित्सक है और कोरोना से लड़ाई में देशवासियों की सेवा कर सकते हैं। प्रधानमंत्री को पत्र जेल प्रशासन के मध्यम से रजिस्टर डाक द्वारा भेजा गया है।

उल्लेखनीय है अगस्त 2017 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज (गोरखपुर) के प्रवक्ता एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफ़ील ख़ान उस समय मीडिया की सुर्खी बन गए थे, जब वहां एक साथ बड़ी तादाद में बच्चों की ऑक्सीजन की कमी से मौत हो गई थी। मीडिया में वह एक हीरो की तरह सामने आए थे जिसने अपने प्रयासों से कई बच्चों की जान बचाई थी लेकिन इस मामले में राज्य सरकार द्वारा उन्हें दोषी मानकर निलंबित कर जेल भेज दिया गया था।

इस समय भी डॉ. कफील ख़ान रासुका के अंतर्गत उत्तर प्रदेश की मथुरा जेल में हैं। उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स ने 29 जनवरी की रात को उनको मुम्बई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू ) में 12 दिसंबर 2019 को नगरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के विरुद्ध एक प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था।

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