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जलेस का ‘ऑल इंडिया उर्दू कन्वेंशन’ 6-7 मई को रांची में

जलेस का यह पहला ‘ऑल इंडिया उर्दू कन्वेंशन’ है, जिसमें लगातार दो दिन तक देश की दो प्रमुख भाषाओं उर्दू-हिंदी के आपसी रिश्तों और उर्दू के सूरत-ए-हाल पर गंभीर चर्चा होगी।
All India Urdu Convention ranchi

रांची। उर्दू ज़बान को फ़रोग़ देने, इस मीठी ज़बान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने और हिंदी-उर्दू के रचनात्मक रिश्ते को और बेहतर बनाने इन सब महत्वपूर्ण उद्देश्यों को लेकर झारखंड की राजधानी रांची में 6 और 7 मई को ‘ऑल इंडिया उर्दू कन्वेंशन’ आयोजित हो रहा है। जनवादी लेखक संघ के बैनर तले आयोजित इस दो दिवसीय कन्वेंशन में देश भर से उर्दू और हिंदी के विद्वान लेखक और रिसर्च स्कॉलर्स इकट्ठे हो रहे हैं।

जलेस का यह पहला ‘ऑल इंडिया उर्दू कन्वेंशन’ है, जिसमें लगातार दो दिन तक देश की दो प्रमुख भाषाओं उर्दू-हिंदी के आपसी रिश्तों और उर्दू के सूरत-ए-हाल पर गंभीर चर्चा होगी।

कन्वेंशन में अलग-अलग सब्जेक्ट पर कुल आठ सेशन होंगे। 6 मई शनिवार को पहला सत्र उद्घाटन सत्र होगा। इस सत्र की अध्यक्षता जनवादी लेखक संघ के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. चंचल चौहान करेंगे, तो वहीं इस सत्र का औपचारिक उद्घाटन अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (हिंद) के जनरल सेक्रेटरी डॉ. अतहर फ़ारूक़ी करेंगे। स्वागत भाषण डॉ. फ़िरोज़ अहमद (चेयरमैन स्वागत समिति) और सत्र का संचालन कन्वेंशन के संयोजक एम. जेड. ख़ान के ज़िम्मे है। वहीं जलेस के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. संजीव कुमार धन्यवाद ज्ञापित करेंगे। इस सत्र में बिरादराना संगठनों प्रलेस, जसम के संदेश वाचन के अलावा स्मारिका का लोकार्पण मुख्य अतिथि और बाकी अतिथियों के द्वारा होगा।

कन्वेंशन का पहला सेशन ‘हिंदी और उर्दू के तख़्लीक़ी रिश्ते : माज़ी और हाल’ विषय पर है। जिसकी अध्यक्षता डॉ. अली इमाम ख़ान करेंगे। वहीं डॉ. मोहम्मद अय्यूब (रांची) और डॉ. संत राम (कोलकाता) इस सत्र के मुख्य वक्ता हैं। सेशन में रिसर्च स्कॉलर्स भी अपने पर्चे पढ़ेंगे। दूसरा वैचारिक सत्र ‘समकालीन उर्दू अदब के रुजहानात और सरोकार’ विषय पर है। जिसकी सदारत डॉ. अतहर फ़ारूक़ी करेंगे, तो सेशन के अहम स्पीकर हैं-डॉ. नजमा रहमानी (नई दिल्ली), डॉ. सफ़दर इमाम क़ादरी (पटना) और डॉ. शहाब ज़फ़र आज़मी (पटना)। सत्र के संचालन का ज़िम्मा डॉ. ज़फ़र आगा (पटना) को है। इस दिन का तीसरा और आखि़री सत्र शाम को होगा। यह सेशन उर्दू पत्रकारिता को लेकर है। जिसका विषय ‘उर्दू सहाफ़त : आज और कल’ है। इस सेशन की अध्यक्षता सैयद रेहान ग़नी (पटना) करेंगे, तो असलम परवेज़ (मुंबई), बदरे वफ़ा शैदाई (पटना) और डॉ. जमशेद क़मर (रांची) इस महत्वपूर्ण मौजू़ पर अपनी बात रखेंगे। कार्यक्रम संचालन की ज़िम्मेदारी मुख़तार ख़ान (मुंबई) संभालेंगे। यह सभी सत्र एक-एक घंटे के होंगे।

कन्वेंशन के दूसरे दिन भी तीन विचार सत्र हैं, जो एक-एक घंटे के ही होंगे। इस दिन का पहला सत्र जो सुबह 11 से 12 बजे तक होगा, उसका विषय ‘हिंदुस्तानी अदब में उर्दू की देन’ है। इस सत्र की अध्यक्षता जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रविभूषण करेंगे, तो वहीं प्रमुख वक्ता हैं- डॉ. अली इमाम ख़ान, डॉ. ख़ालिद अशरफ़ (नई दिल्ली) और डॉ. बजरंग बिहारी तिवारी (नई दिल्ली)। दूसरे वैचारिक सत्र का विषय है-‘तरक़्क़ी पसंद तहरीक और उर्दू’ । इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. चंचल चौहान (नई दिल्ली) करेंगे, तो वहीं ज़ाहिद ख़ान (मध्य प्रदेश), कथाकार रणेन्द (रांची), समीना ख़ान (लखनऊ), इम्तियाज़ अहमद (कोलकाता) और कवि-आलोचक डॉ. नलिन रंजन सिंह दीगर वक्ता हैं। कन्वेंशन का तीसरा और आखि़री वैचारिक सत्र ‘उर्दू इदारों की सूरते हाल’ विषय पर है। जिसकी अध्यक्षता जानी मानी लीडर-समाज सेविका सुभाषिणी अली करेंगी, तो वहीं डॉ. अली इमाम ख़ान, डॉ. ख़ालिद अशरफ, नाइश हसन (लखनऊ) और डॉ. सफ़दर इमाम क़ादरी इस सत्र के मुख्य वक्ता हैं। दोपहर में एक विशेष सत्र रिसर्च स्कॉलर्स के लिए होगा, जिसमें वे अपने आलेखों का पाठ करेंगे। इस सत्र का विषय ‘मीडिया और थियेटर में उर्दू’ है। इस सत्र की अध्यक्षता कथाकार पंकज मित्र और संचालन डॉ. जमशेद क़मर करेंगे।

इसी दिन दोपहर का एक विशेष सत्र प्रस्ताव आदि के लिए नियत किया गया है। जिसकी अध्यक्षता डॉ. अली इमाम ख़ान करेंगे। शाम को मुशायरा और कवि सम्मेलन का आयोजन भी है। जिसमें कवि और शायर दोनों ही अपनी रचनाओं का पाठ करेंगे। इस दो दिवसीय आयोजन में अशोक शुभदर्शी, अशोक कुमार, गोपाल प्रसाद, अपराजिता मिश्रा, कुमार सत्येन्द्र, डॉ. रिज़वान अली, वीना श्रीवास्तव, कुमार वृजेन्द्र, वरुण प्रभात, इम्तियाज़ बिन-अज़ीज़ की भी सक्रिय भागीदारी रहेगी। कन्वेंशन डॉ. कामिल बुल्के पथ (पुरूलिया रोड) रांची स्थित ‘सामाजिक विकास केन्द्र’ (एसडीसी) के सभागार में होगा।

‘ऑल इंडिया उर्दू कन्वेंशन-2023’ के संयोजक एम.जेड. ख़ान ने कन्वेंशन के उद्देश्यों पर रौशनी डालते हुए कहा, ‘‘उर्दू हमारी सब की ज़बान है और यह भारत में ही पैदा हुई। इसमें हमारी साझा विरासत है। इस ज़बान को इसका वाजिब हक़ मिले, कन्वेंशन का अहम मक़सद है। इस अधिवेशन में हमने सिर्फ़ उर्दू के लोगों को ही अकेले नहीं आमंत्रित किया है, बल्कि हिंदी भाषा के लेखक, जो उर्दू से मुहब्बत करते हैं और इस ज़बान को पूरे देश में फैलाना चाहते हैं, उनको भी बुलाया है। अलग-अलग सत्रों में वे अपनी बात रखेंगे।’’

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