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झारखंड : जैन समाज के तीर्थ स्थल “श्री सम्मेद शिखर” को पर्यटन स्थल बनाने पर विरोध जारी

प्रदेश के गिरिडीह ज़िला अंतर्गत पारसनाथ के मधुवन स्थित जैन धर्मावलंबियों के लिए चर्चित उपासना स्थल ‘श्री सम्मेद शिखर' को पर्यटन स्थल बनाने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ चौतरफ़ा विरोध हो रहा है।
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झारखंड सरकार ‘सम्मेद शिखर’ को पर्यटन स्थल बनाने के निर्णय के ख़िलाफ़ बढ़ते चौतरफा विरोध को देखते हुए इस मामले में जल्द फ़ैसला लेगी। इसकी जानकारी प्रदेश के पर्यटन मंत्री ने जैन समाज के प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त करते हुए दी।

प्रदेश के गिरिडीह ज़िला अंतर्गत पारसनाथ के मधुवन स्थित जैन धर्मावलंबियों के लिए चर्चित उपासना स्थल ‘श्री सम्मेद शिखर' को पर्यटन स्थल बनाने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ चौतरफ़ा विरोध हो रहा है।

ज्ञात हो कि गत 2 अगस्त 2019 को केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा पारसनाथ पहाड़ी जंगल क्षेत्र के एक हिस्से को ‘वन्य जीव अभ्यारण्य और पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र (इको सेंसेटिव ज़ोन) घोषित किया गया। इसके बाद 2 जुलाई 22 को झारखंड सरकार ने भी इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा कर दी।

‘सम्मेद शिखर’ को पर्यटन स्थल बनाने के फ़ैसले का विरोध कर रहे जैन समाज के लोगों से मुख्यमंत्री के सचिव और राज्य पर्यटन सचिव ने पिछले दिनों वार्ता भी की। जिसमें उक्त विवाद के संदर्भ में दोनों पक्षों ने अपनी अपनी बात रखी। जिसमें सरकार के प्रतिनिधि अधिकारियों ने सरकार का पक्ष रखते हुए आश्वस्त किया कि यहां कोई बड़ी संरचना बनाने की योजना नहीं है। पर्यटन स्थल बनने के बाद भी यहां की पवित्रता नष्ट होने नहीं दी जाएगी। यहां मांस-मदिरा के इस्तेमाल पर पहले की ही तरह पूरी सख़्ती से रोक रहेगी।

वहीं, जैन समाज की ओर से उनके प्रतिनिधिमंडल ने अपना पक्ष रखते हुए ज़ोर दिया कि यह स्थल और इलाक़ा वर्षों से उनके लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल और उपासना का केंद्र रहा है। यहां उनकी धार्मिक आस्था को नुक़सान पहुंचाने वाली किसी भी प्रकार की सरकारी छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।

उक्त वार्ता का समापन इसी पहलू पर हुआ कि मुख्यमंत्री इस पर अंतिम निर्णय लेंगे।

दूसरी ओर, सरकार की घोषणा होते ही झारखंड प्रदेश के जैन समाज के लोगों ने मुखर विरोध शुरू कर दिया। जैन समाज की अपील पर राज्य के सभी अल्प्संख्यक और नागरिक समाज के संगठनों और एक्टिविस्टों ने भी उनके समर्थन में सड़कों पर प्रदर्शन के साथ अपनी मांग तेज़ की। 30 दिसंबर को राजधानी की सड़कों पर ‘सर्वधर्म समाज’ के बैनर तले रांची अंजुमन इस्लामिया, सिख समाज संगठन और इसाई समाज के प्रतिनिधियों के साथ कई सामाजिक एक्टिविस्टों ने ‘प्रतिवाद मानव श्रृंखला’ बनाकर सरकार से अपना फ़ैसला वापस लेने की मांग उठाई।

सनद रहे कि वर्षों पहले से झारखंड में सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला कहे जानेवाले पारसनाथ (गिरिडीह ज़िला) के मधुवन स्थित जैन समाज का उपासना स्थल रहा है। जो झारखंड और भारत समेत दुनिया भर के जैन धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है जिसे जैन समाज के लोग पूरे आदर के साथ ‘सम्मेद शिखर’ कहते हैं।

बताया जाता है कि जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर के नाम पर ही इस पहाड़ी श्रृंखला का नाम पारसनाथ रखा गया है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए 20 तीर्थंकरों ने इसी पहाड़ी पर आकर मोक्ष प्राप्त किया है। इनकी स्मृति में यहां कई छोटे छोटे मंदिर बनाए गए हैं। यहां बने कुछ मंदिरों के निर्माण के बारे में यह भी कहा जाता है कि ये 2000 साल भी अधिक पुराने हैं।

सिर्फ़ झारखंड और भारत ही नहीं दुनिया के विभिन्न हिस्सों से जैन धर्म के लोग यहां उपासना के लिए पूरे वर्ष लगातार आते रहते हैं। मनोरम प्राकृतिक वादियों में महीनों रहकर वे अपनी आराधना-उपासना करते हैं। इन अनुयायियों के आवागमन में सहूलियत देने के लिए ही पारसनाथ स्टेशन पर राजधानी समेत सभी महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव है।

महत्व की बात यह भी बतायी जाती है कि जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकर ने यहीं आकर उपासना करते हुए ‘मोक्ष प्राप्ति’ (देह त्याग) की है। जिसके कारण पूरी दुनिया के जैन धर्मावलंबी इसे उनकी निर्वाण-भूमि को सबसे पवित्र और पूज्यनीय मानते हैं। जिसके दर्शन और उपासना के लिए लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।

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