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JNU: दो छात्राओं को गाड़ी में खींचने की कोशिश, कैंपस में डर और असुरक्षा का माहौल!

दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में मंगलवार रात दो छात्राओं को ज़बरदस्ती एक गाड़ी में खींचने की कोशिश की गई। घटना के बाद से कैंपस में डर का वातावरण है। जानिए क्या है छात्राओं का कहना?
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दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में मंगलवार देर रात को कैंपस में दो छात्राओं को ज़बरदस्ती एक गाड़ी में खींचने की कोशिश की गई जिसके बाद पूरा कैंपस छावनी में तब्दील हो गया है। जेएनयू समेत आस-पास के इलाके में पुलिस की मौजूदगी बढ़ गई। इस मामले ने विश्वविद्यालय में छात्राओं की सुरक्षा पर एक सवालिया निशान लगा दिया है। 

गौरतलब है कि JNU देश का ऐसा विश्वविद्यालय है जहां लड़कियां पूरी रात कैंपस में आज़ादी से कहीं भी जा सकती हैं, लेकिन इस घटना के बाद कैंपस में छात्राओं में डर का माहौल दिखा।

क्या है पूरा मामला?

मंगलवार रात को साढ़े ग्यारह बजे से साढ़े बारह बजे के बीच JNU कैंपस में ही टहल रही दो लड़कियों को एक कार में खींचने की कोशिश की गई। बताया जा रहा है कि इस दौरान लड़कियों ने शोर मचाया तो उनके साथ मारपीट भी की गई, तभी वहां से गुज़र रहे एक लड़के ने मदद करने की कोशिश की तो उसके साथ भी मारपीट की गई। गाड़ी में चार लोग बैठे थे और चारों के नशे में होने की बात भी कही जा रही है।

गनीमत रही कि लड़कियां सुरक्षित हैं, हालांकि अब भी वे मानसिक तौर पर बेहद डरी हुई हैं। उस रात कार में सवार इन लोगों ने सिर्फ़ इन दो लड़कियों को ही ज़बरदस्ती गाड़ी में खींचने की कोशिश नहीं की बल्कि हमें पता चला कि और भी कई लड़कियों के साथ उन्होंने बदतमीजी की और फब्तियां कसी थीं। JNU की एक छात्रा नेहा ने हमें बताया कि "कल तक जो हमें पुलिस से अपडेट मिला है उसके मुताबिक़ एक की गिरफ़्तारी हो गई है और बाकी लोगों की भी पहचान हो गई है, लेकिन बात सिर्फ़ इतनी नहीं थी कि उन दो लड़कियों को ज़बरदस्ती कार में बैठाने की कोशिश की गई, वो कार पूरे कैंपस में घूमती रही, अलग-अलग जगहों पर लड़कियों को परेशान किया, कमेंट किया, नॉर्थ गेट पर ही एक लड़के के साथ मारपीट की गई, सरस्वतीपुरम वाले गेट के पास तीन-चार लड़कियों के साथ बदतमीजी हुई।"

घटना के बाद अब तक क्या-क्या हुआ ?

घटना के बाद मामला दर्ज कर लिया गया है। नेहा के मुताबिक़ एक गिरफ़्तारी भी हो गई है। इसके साथ ही JNU प्रशासन की तरफ से एक एडवाइज़री भी जारी की गई है। 

"कैंपस में महिलाओं की सुरक्षा अहम प्राथमिकता"

जेएनयू के रजिस्ट्रार की तरफ से जारी की गई एडवाइज़री में कहा गया कि, मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है। प्रशासन, पुलिस की जांच को लेकर संपर्क में है। साथ ही एडवाइज़री में कहा गया है कि कैंपस में सुरक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए कई क़दम उठाए जा रहे हैं और कैंपस में छात्राओं की सुरक्षा और भयमुक्त माहौल जेएनयू प्रशासन की सबसे अहम प्राथमिकता है।

JNU प्रशासन की तरफ से जारी की गई एडवाइज़री

साथ ही इसमें कहा गया है कि "घटना से जुड़ी कोई भी जानकारी अगर किसी के पास हो तो तो वो फौरन सुरक्षा शाखा के नंबर (011-26742878, 011-26704742) पर संपर्क करें।"

JNU रजिस्ट्रार ने छात्रों को सुरक्षा का भरोसा दिलाते हुए कहा कि "कैंपस में सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए JNU प्रशासन प्रतिबद्ध है। हिंसक वारदात और यौन शोषण जैसे मामलों में लिप्त किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।"

रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक बाहरी गाड़ियों के आने पर रोक

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ JNU प्रशासन ने रात 10 बजे से सुबह के 6 बजे तक बाहरी गाड़ियों के कैंपस में एंट्री पर भी रोक लगा दी है। साथ ही छात्रों को आई-कार्ड दिखाकर कैंपस में आने-जाने की हिदायत दी गई है।

घटना के विरोध में प्रदर्शन

मंगलवार को जिस रात घटना हुई थी तभी से ही विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए थे। जहां एक तरफ पुलिस ने सभी गेट को सील कर दिया था वहीं दूसरी तरफ मेन गेट पर छात्रों की भीड़ ने विरोध-प्रदर्शन कर कैंपस में सुरक्षा का मुद्दा उठाया। JNUSU की तरफ से कल बुधवार देर शाम को साबरमती ढाबे से मेन गेट तक एक मार्च निकाला गया और कैंपस में छात्रों की सुरक्षा के मुद्दे को उठाया गया। इसके साथ ही JNU प्रशासन से, सुरक्षा में लगातार हो रही चूक की ज़िम्मेदारी उठाने की भी मांग की गई।

6 मई की रात को घटना के बाद सुबह साढ़े तीन बजे मेन गेट पर जमा हुए छात्र। साभार: फेसबुक

घटना के बाद कैंपस में क्या माहौल है?

हमने छात्राओं से ख़ासतौर पर ये जानने की कोशिश की कि घटना के बाद कैंपस के माहौल को लेकर उनका क्या कहना है। नेहा कहती हैं, "इस घटना के बाद बेशक JNU की छात्राओं को अजीब तो लगेगा ही, अब रात को निकलने में डर लगेगा लेकिन अंदर बैठना भी कोई उपाय नहीं हो सकता है, उपाय सिर्फ़ उन चार आरोपियों को उठा कर जेल में डालना भी नहीं हो सकता। हमें कैंपस को सुरक्षित बनाना होगा, बात कैंपस में छात्राओं की सुरक्षा की करें तो GSCASH ( Gender Sensitisation Committee Against Sexual Harassment ) के तहत जो काम होता था जैसे अलग-अलग जगह पर वर्कशॉप कराना, यौन-उत्पीड़न क्या होता है और उस वक़्त क्या क़दम उठाए जाने चाहिए इसे लेकर जगह-जगह पोस्टर लगे होते थे, वो सब आजकल नहीं है। ICC ( Internal Complaints Committee ) को इन सबसे कोई मतलब नहीं है।"

इसके साथ ही नेहा ने बताया कि वे कल या फिर परसो घटना के विरोध में फिर से एक मार्च करने की योजना बना रहे हैं।

"असुरक्षित महसूस कर रही हूं"

हमने जेएनयू से एमए कर रही एक छात्रा से बात की उन्होंने कहा, "मैं अभी डोम (Dormitory) में रह रही हूं। यहां और भी बहुत सी लड़कियां रह रही हैं, तो जब से ये हुआ है हम सब आपस में बात कर रही थीं कि अकेले नहीं जाना है, लेट नाइट बाहर नहीं जाना है। थोड़ी असुरक्षा महसूस हो रही है, मैंने अभी तक अपने घर पर नहीं बताया कि कैंपस में ऐसा कुछ हुआ है लेकिन जिन लड़कियों के घर पर पता चल गया है उनके घरों से फोन आ रहे हैं। मैं रात को 12, 1 या 2 बजे भी निकल जाती थी अकेले ही घूमने, मन करता था एक दो राउंड लगा कर आऊं लेकिन अब हिम्मत नहीं हो रही है, अब अकेले जाने का मन नहीं है, थोड़ा डर लग रहा है।"

"मैं अब ये नहीं कह सकती कि मैं कैंपस में सुरक्षित हूं"

वहीं एक और पीएचडी छात्रा का कहना है, "हम घटना के विरोध में लगातार विरोध-प्रदर्शन करेंगे जो कि कल शाम के विरोध के साथ शुरू हो गए हैं, एक छात्र के तौर पर जो कर सकते हैं वे तो कर रहे हैं लेकिन JNU प्रशासन और जो भी सिक्योरिटी को हैंडल करते हैं उन्हें बताना चाहिए कि ये सब चीज़ें कैसे हो रही हैं? इस वक़्त स्वाभाविक है कि ये डरा देने वाला है। इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी में कोई इस तरह अंदर आकर ऐसे कैसे कर सकता है? मैं अब ये नहीं कह सकती कि मैं कैंपस में सुरक्षित हूं। कैंपस छात्रों के लिए होता है, तो कभी असुरक्षा का एहसास ही नहीं होता था कि कभी कुछ हो जाएगा, मैं ख़ुद रात-रात भर अपने असाइनमेंट के लिए लाइब्रेरी में रहती हूं, और सुबह चार-पांच बजे वापस हॉस्टल वापस आती हूं लेकिन अब अगर मैं रात में हॉस्टल से निकलूंगी तो मुझे सोचना होगा, अब मैं आज़ादी से नहीं घूम सकती। अब मैं ये नहीं सोच पा रही कि रात में कभी भी जाकर लाइब्रेरी में पढ़ सकती हूं या फिर रात में किसी ढाबा पर जा सकती हूं, पराठा या चाय या फिर किसी भी चीज़ के लिए, दो बार सोचना पड़ेगा, ये 'मेंटल बैरीअर क्रिएट' कर रहा है। इस तरह कैंपस से लड़कियों को ज़बरदस्ती गाड़ी में खींचना कोई छोटी बात नहीं है।"

ये पहला मौका नहीं है जब जेएनयू में छात्रों की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई है। हमें नहीं भूलना चाहिए देश की इस नामी और सम्मानित यूनिवर्सिटी से साल 2016 में अपने हॉस्टल रूम से नजीब भी ग़ायब हो चुका है जिसका आज तक कोई सुराग नहीं लगा, और अब ये घटना। ये देखने वाली बात होगी कि JNU प्रशासन और यहां की सिक्योरिटी संस्था 'साइक्लोप्स' इस घटना से क्या सबक लेती है।

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