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बीजेपी के लिए दक्षिण का द्वार बंद : कर्नाटक ने नकारा

कर्नाटक की जनता ने इस चुनाव में सांप्रदायिकता और नफ़रत की राजनीति को नकार कर कांग्रेस के प्रेम भाईचारे और पांच गारंटियों को तरजीह दी है। 
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फ़ोटो साभार: ट्विटर

कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की भारी जीत ने बीजेपी के नफ़रत की राजनीति को करारी शिकस्त दे दी है। इस तरह बीजेपी ने दक्षिण के एक मात्र राज्य कर्नाटक को भी खो दिया है। अब बीजेपी दक्षिण से पूरी तरह गायब हो चुकी। कर्नाटक की जनता ने इस चुनाव में भाईचारे और प्रेम को तरजीह दिया और बीजेपी की नफरत फैलाकर वोट हासिल करने के एजेंडे को पूरी तरह नकार दिया है।

कांग्रेस की इस जीत पर पार्टी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, 'कर्नाटक में नफरत की दुकान बंद हुई है, मोहब्बत की दुकान खुली है।' वहीं कांग्रेस के कई नेता भी कर्नाटक की जीत का श्रेय राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को दे रहे हैं। बता दें कि उन्होंने यात्रा के दौरान नफरत के बाजार का जिक्र किया था।

भारी जीत के साथ इस चुनाव में कांग्रेस पूर्ण बहुमत का जादुई आंकड़ा 113 से करीब 23 सीट ज्यादा हासिल करती नजर आ रही है। राज्य के अहम सीटों की बात करें तो कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कनकपुरा सीट पर बीजेपी नेता और मंत्री आर अशोक को करीब 1 लाख मतो से हराया। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक ने चित्तापुर सीट से भाजपा के मणिकांत राठौड़ को 13 हजार से ज्यादा मतों से हराया।

उधर राज्य की हाईप्रोफाइल सीट रामनगरम से कुमारस्वामी परिवार को बड़ा झटका लगा है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल को कांग्रेस प्रत्याशी एचए इकबाल हुसैन ने 10 हजार 715 मतों से हरा दिया है।

वहीं कुडलिगी सीट से कांग्रेस ने बीजेपी को हराकर शानदार जीत हासिल की है। कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी श्रीनिवास एनटी ने भाजपा के लोकेश वी नायक को 54 हजार 350 मतों के भारी अंतर से हराया है।

बता दें कि चामराजनगर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार सी पुत्तरंगाशेट्टी ने जीत हासिल कर ली है। उन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार वी सोमन्ना को 7 हजार 533 मतों से मात दे दी है।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इस बार राज्य में 73.19 प्रतिशत मतदान हुआ जो कि राज्य के लिए एक रिकॉर्ड है।

कर्नाटक चुनाव अहम माना जा रहा है क्योंकि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के प्रति जनता के मूड का ये एक संकेत भी हो सकता है।

राज्य भर में 58,545 मतदान केंद्रों पर कुल 5,31,33,054 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर 2,615 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत तय किया। मतों की गिनती आज 13 मई को हुई जिसमें बीजेपी के नफरत की हार हुई।

बात पिछले चुनाव की करें तो भाजपा 223 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें से उसने 104 पर जीत हासिल की थी। वहीं कांग्रेस ने 221 सीटों पर चुनाव लड़कर 78 सीटें जीत ली थीं, तो जेडीएस के खाते में भी 37 सीटें आईं थीं। इसके अलावा केपेजेपी को 1 और बीएसपी को भी 1 सीट मिली थी। वहीं अन्य के खाते में भी 1 सीट गई थी।

इस तरह पिछली बार 2018 के चुनावों में किसी अकेले दल को बहुमत नहीं मिला था। सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और जेडीएस ने समझौता किया लेकिन राज्यपाल ने सबसे बड़ी पार्टी का तर्क देकर बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। मगर बीजेपी के उस समय मुख्यमंत्री बने बीएस येदयुरप्पा बहुमत नहीं जुटा पाए और विश्वास मत से पहले ही इस्तीफ़ा देकर बाहर हो गए। फिर कांग्रेस और जेडीएस की मिलीजुली सरकार बनी लेकिन कुछ समय बाद बीजेपी ने फिर जोड़-तोड़ कर कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गिरा दी और एक बार फिर सत्ता पर काबिज़ हो गई।

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