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कथित राजनीतिक दबाव में कश्मीरी पत्रकार का मीडिया अवार्ड किया गया रद्द 

दक्षिणपंथी राजनीतिक वर्गों के कथित दबाव के तहत एमआईटी-डब्ल्यूपीयू प्रबंधन ने मीडिया अवार्ड को रद्द किया।
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Photo Courtesy : Twitter/@anandankita

नई दिल्ली: कश्मीरी पत्रकार सफीना नबी को पुणे स्थित महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी-वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी (एमआईटी-डब्ल्यूपीयू) पत्रकारिता स्कूल द्वारा दिए जाने वाले एक मीडिया अवार्ड को रद्द करने के मामले का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्हें इस बाबत एक ईमेल भेजा गया था जिसमें कहा गया था कि उन्हें इस अवार्ड के किए चुना गया है।

द वायर की एक रिपोर्ट के अनुसार कथित तौर पर दक्षिणपंथी राजनीतिक वर्गों के दबाव में एमआईटी-डब्ल्यूपीयू प्रबंधन ने मीडिया अवार्ड रद्द कर दिया था। पत्रकार को पुरस्कार वितरण समारोह की पूर्व संध्या पर अचानक रद्द होने की सूचना दी गई।

संस्थान के प्रशासन ने आधिकारिक तौर पर इस घटना को संबोधित नहीं किया है।

नबी की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक 'द हाफ विडोज़ ऑफ कश्मीर' था में कश्मीरी महिलाओं ने अपने पतियों के लापता होने के बाद  के संघर्षों का दस्तावेजीकरण किया था। रिपोर्ट स्क्रॉल द्वारा प्रकाशित की गई थी और इस रिपोर्टिंग पर पुलित्जर सेंटर ने उसका समर्थन किया था।

एमआईटी-डब्ल्यूपीयू द्वारा उक्त अवार्ड के लिए नबी की रपट को 'समाज में सहानुभूति, समझ और समावेशिता को बढ़ावा देने वाली पत्रकारिता' श्रेणी के तहत विजेता चुना गया था।

नबी की कहानी को सात सदस्यीय जूरी द्वारा विजेता चुना गया जिसमें संस्थान के तीन सदस्य और चार बाहरी सदस्य शामिल थे जिनमें द इंडियन एक्सप्रेस, पुणे संस्करण की स्थानीय संपादक सुनंदा मेहता और द टाइम्स ऑफ इंडिया के पुणे संस्करण के कार्टूनिस्ट संदीप अध्वर्यु, बेनेट यूनिवर्सिटी में मीडिया स्कूल के प्रमुख और वरिष्ठ पत्रकार संजीव रत्न सिंह तथा द वायर के संस्थापक संपादक एम के वेणु भी शामिल भी थे।

11 अक्टूबर को प्रकाशित द वायर ने रिपोर्ट के मुताबिक़ एमआईटी-डब्ल्यूपीयू में मीडिया और संचार विभाग के निदेशक धीरज सिंह ने फोन और ईमेल दोनों के ज़रिए मीडिया अवार्ड की जानकारी नबी को गई थी। 

रिपोर्ट के मुताबिक, संस्थान ने 17 अक्टूबर को होने वाले  अवार्ड समारोह के लिए  नबी की पुणे यात्रा की व्यवस्था भी की थी। हालांकि, नबी ने कहा कि उन्हें 16 अक्टूबर को संस्थान के एक अज्ञात फ़ेकल्टी सदस्य का फोन आया, जिसमें उन्हें कहा गया कि राजनीतिक दबाव और सुरक्षा चिंताओं के कारण अंतिम समय में उनका अवार्ड रद्द कर दिया गया है। संपर्क करने पर सहायक प्रोफेसर, राजेश कुमार ने अवार्ड के रद्द होने की पुष्टि की।

जब नबी ने खबर को वेरिफाई करने के लिए सहायक प्रोफेसर राजेश कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने पुरस्कार रद्द होने की पुष्टि की। नबी ने द वायर को बताया कि इसके बाद, धीरज सिंह ने पुरस्कार रद्द करने के कारण की लिखित पुष्टि देने से इनकार कर दिया और केवल मौखिक रूप से कथित राजनीतिक दबाव के बारे में बताया।

जब जूरी के तीन सदस्यों को बताया गया कि नबी का अवार्ड रद्द कर दिया गया है तो उन्होंने उक्त कार्यक्रम में "मीडिया और लोकतंत्र" पर केंद्रित चर्चा में भाग नहीं लेने का फैसला किया। उनका निर्णय कश्मीरी पत्रकारों द्वारा अनुभव की गई सेंसरशिप और उत्पीड़न पर चिंताओं पर आधारित था। द वायर को बताया कि जूरी सदस्यों में से एम के वेणु ने कश्मीरी पत्रकारों के साथ के इस किस्म के व्यवहार पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की है जिससे कार्यक्रम में भाग न लेने का उनका सामूहिक निर्णय प्रभावित हुआ है।

मूल अंग्रेजी में इस रिपोर्ट को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Kashmiri Journalist's Media Award Cancelled Under Alleged Political Pressure

 

 

 

 

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