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केन्या : वेतन समझौता लागू करने में विफलता पर सरकारी विश्वविद्यालयों के प्रोफ़ेसरों की हड़ताल

केन्या में यूनिवर्सिटीज़ एकेडमिक स्टाफ़ यूनियन (यूएएसयू) ने चेतावनी दी है कि हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक कि वेतन समझौता लागू नहीं हो जाता और लंबित बकाया राशि का भुगतान नहीं कर दिया जाता।
केन्या : वेतन समझौता लागू करने में विफलता पर सरकारी विश्वविद्यालयों के प्रोफ़ेसरों की हड़ताल

2017-21 कॉलेक्टिव बार्गेनिंग एग्रीमेंट (सीबीए) को पूरी तरह से लागू करने में सरकार की विफलता के विरोध में केन्या के 35 सरकारी विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर सोमवार 30 अगस्त से हड़ताल करने वाले हैं।

रिपोर्ट के अनुसार इनमें से केवल सात विश्वविद्यालयों ने सीबीए में की गई प्रतिबद्धता के अनुसार वेतन वृद्धि को पूरी तरह से लागू किया है और बकाया राशि का भुगतान किया है। अन्य विश्वविद्यालयों में इसका कार्यान्वयन असमान रहा है। इससे जहां समान ग्रेड के लेक्चरर हैं और समान काम करते हैं वहां विभिन्न सरकारी विश्वविद्यालयों में असमान वेतन पा रहे हैं।

यूनिवर्सिटीज एकेडमिक स्टाफ यूनियन (यूएएसयू) ने 23 अगस्त को सभी 35 विश्वविद्यालय परिषदों को एक पत्र लिखकर सात दिनों की हड़ताल का नोटिस जारी किया था। इसमें चेतावनी दी गई थी कि इसकी समाप्ति पर यूनियन के सदस्य सीबीए के लागू होने तक काम नहीं करेंगे।

20 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूएएसयू के महासचिव कॉन्स्टेंटाइन वसोंगा ने कहा था कि सरकार और इंडर-पब्लिक यूनिवर्सिटीज काउंसिल्स कन्सल्टेटिव फोरम ऑफ द फेडरेशन ऑफ केन्या एम्प्लॉयर्स (आईपीयूसीएफएफ) "अदालत की अवमानना कर रहे हैं। 15 जनवरी को एम्प्लायमेंट एंड लेबर रिलेशन कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि चर्चा के अनुसार 2017-2021 सीबीए को लागू किया जाए।”

पहले यूनियन से विश्वविद्यालयों की वित्तीय कठिनाइयों के प्रति सहानुभूति रखने का आह्वान करने वाले विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के अध्यक्ष पर पलटवार करते हुए वसोंगा ने कहा, “अगर पैसा नहीं है तो उन पदों से इस्तीफा दे दें। धन के स्रोत के लिए यूएएसयू की जिम्मेदारी नहीं है, हमारा काम बातचीत करना है।

इस महीने की शुरुआत में नेशनल असेंबली को संबोधित करते हुए एक याचिका में वसोंगा और यूनियन की चेयरपर्सन ग्रेस न्योंगेसा ने कहा था, "यह देखते हुए कि लेक्चरर्स और प्रोफेसर देश में सबसे कम वेतन पाने वालों और अधिक काम करने वालों में से हैं ऐसे में 2017-2021 सीबीए को लागू करने में विफलता ने अकादमिक कर्मचारियों के गरीबी जीवन को लेकर निंदा की है।"

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