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कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव नोटिस को लोकसभा ने दी मंज़ूरी

विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों की मंगलवार को हुई बैठक में केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने के बारे में फ़ैसला हुआ था।
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IANS

संसद में जारी गतिरोध के बीच बुधवार को लोकसभा में मणिपुर हिंसा पर सरकार के खिलाफ कांग्रेस द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी मिल गयी जिस पर चर्चा की तिथि बाद में तय की जाएगी।

सदन में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई द्वारा पेश इस प्रस्ताव को लोकसभा ने चर्चा के लिए स्वीकृति प्रदान की। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करके इस पर चर्चा की तिथि के बारे में अवगत कराएंगे।

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बिरला ने कहा, ‘‘मुझे सदन को सूचित करना है कि गौरव गोगोई से नियम 198 के तहत मंत्रिपरिषद में अविश्वास प्रस्ताव का अनुरोध प्राप्त हुआ है...कृपया आप (गोगोई) सदन की अनुमति प्राप्त करें।’’

इसके बाद गोगोई ने कहा, ‘‘मैं निम्नलिखित प्रस्ताव के लिए सदन की अनुमति चाहता हूं-यह सभा मंत्रिपरिषद में विश्वास का अभाव प्रकट करती है।’’

 

 

लोकसभा अध्यक्ष ने इस प्रस्ताव की अनुमति देने का समर्थन करने वाले सदस्यों से अपने स्थान पर खड़े होने के लिए कहा। इस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्य खड़े हो गए। 

इसके बाद बिरला ने कहा, ‘‘ इस प्रस्ताव को अनुमति दी जाती है। मैं सभी दलों के नेताओं से चर्चा करके उचित समय पर इस प्रस्ताव पर चर्चा कराने की तिथि के बारे में आप लोगों को अवगत करा दूंगा।’’

अविश्वास प्रस्ताव के चर्चा के लिए स्वीकार होने के बाद विपक्ष कुछ सदस्यों ने ‘चक दे इंडिया’ का नारा लगाया। 

गोगोई असम से आते हैं और वह लोकसभा में कालियाबोर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।

विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों की मंगलवार को हुई बैठक में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के बारे में फैसला हुआ था।

कांग्रेस ने अपने सदस्यों को व्हिप जारी करके कहा था कि वे बुधवार को सुबह साढ़े दस बजे संसद भवन स्थित पार्टी संसदीय दल के कार्यालय में मौजूद रहें।

लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मणिकम टैगोर ने कहा, ‘‘यह विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' का विचार है। हमारा मानना है कि सरकार के अहंकार को तोड़ने और मणिपुर के मुद्दे पर बोलने को विवश करने के लिए (अविश्वास प्रस्ताव नोटिस को) आखिरी हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाए।’’

कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मॉनसून सत्र के पहले चार दिन दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई।

मणिपुर में दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का वीडियो गत बुधवार, 19 जुलाई को सामने आया था जिसके बाद देश भर में आक्रोश फैल गया और विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन भी हुए। अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है। 

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ

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