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एनसीआरबी: मॉब लिचिंग के आंकड़े गायब, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध में बढ़ोतरी

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने 2017 के लिए अपनी रिपोर्ट जारी कर दी है। यह रिपोर्ट एक साल देर से आई है। दिलचस्प बात यह है कि आंकड़ों से डरने वाली सरकार ने इस रिपोर्ट को ऐसे समय जारी किया है जब मीडिया में दो राज्यों में चुनाव की ख़बरें छाई हुई हैं।
crime against women
Image courtesy: Economic times

नई दिल्ली: नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी ने सोमवार को साल 2017 में हुए अपराध संबंधी रिपोर्ट जारी कर दी। यह रिपोर्ट तय समय से लगभग एक साल देरी से आई है। दिलचस्प बात यह है कि आंकड़ों से डरने वाली नरेंद्र मोदी सरकार ने इस रिपोर्ट को ऐसे समय जारी किया है जब मीडिया में दो राज्यों में चुनाव की खबरें छाई हुई हैं और इसी हफ्ते दीवाली का त्योहार भी है। शायद कोशिश है कि इस पर ज़्यादा चर्चा न हो!

महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार तीसरे साल बढ़े

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक देश भर में वर्ष 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,59,849 मामले दर्ज किए गए। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार तीसरे साल वृद्धि हुयी है।

2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,29,243 मामले दर्ज किए गए थे और 2016 में 3,38,954 मामले दर्ज किए गए थे। महिलाओं के खिलाफ अपराध के दर्ज मामलों में हत्या, बलात्कार, दहेज हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाना, एसिड हमले, महिलाओं के खिलाफ क्रूरता और अपहरण आदि शामिल हैं।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, अधिकतम मामले उत्तर प्रदेश (56,011) में दर्ज किए गए। उसके बाद महाराष्ट्र में 31,979 मामले दर्ज किए गए। आंकड़े के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में 30,992, मध्य प्रदेश में 29,778, राजस्थान में 25,993 और असम में 23,082 मामले दर्ज किए गए।

रिपोर्ट के मुताबिक बलात्कार के मामले पिछले पांच सालों में अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं।

मॉब लिचिंग के आंकड़े गायब

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एनसीआरबी द्वारा जारी रिपोर्ट में भीड़ द्वारा, खाप पंचायतों के फरमान पर या फिर धार्मिक कारणों से की गई हत्याओं के आंकड़े नहीं हैं। अखबार से बात करते हुए एक अधिकारी का कहना है कि एनसीआरबी ने अपने पूर्व अध्यक्ष ईश कुमार के नेतृत्व में डेटा इकट्ठा करने की प्रक्रिया में बदलाव किया था। इसमें हत्या वाली श्रेणी में भीड़ या खाप पंचायतों द्वारा या फिर धार्मिक कारणों से की गई हत्याओं के आंकड़े अलग से दिए जाने थे।

अधिकारी के मुताबिक 2015-16 में ही इन्हें जुटाने का काम शुरू हो गया था, लेकिन अब रिपोर्ट में इनका न होना हैरानी भरा है।

सरकार के खिलाफ अपराध बढ़े!

एनसीआरबी की रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2016 के मुकाबले 2017 में सरकार के खिलाफ हुए अपराधों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें देशद्रोह और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे मामले शामिल हैं।

सरकार की परिभाषा के अनुसार 2017 में देश के खिलाफ अपराधों की संख्या 9,013 थी जबकि 2015 में 6,040 और 2016 में 6,986 थी। 2017 में राजद्रोह के मामलों की संख्या 51 थी। 2016 की रिपोर्ट में राजद्रोह के लिए अलग से श्रेणी नहीं थी। शासकीय गुप्तता अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की संख्या 2016 और 2017 के बीच 30 से घटकर 18 हो गई है।

इस तरह के अपराधों की अधिकतम संख्या हरियाणा (2,576) के बाद यूपी (2,055) बताई गई। हालांकि, इन दोनों राज्यों में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के कृत्यों के कारण बड़े पैमाने पर अपराध हुए।

हरियाणा (13) के बाद असम (19) से सबसे अधिक राजद्रोह के मामले सामने आए। जम्मू और कश्मीर में देशद्रोह का सिर्फ एक मामला दर्ज किया गया, जबकि छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व के सभी राज्यों में असम को छोड़कर कोई घटना नहीं दर्ज की गई।

बच्चों के खिलाफ अपराध 28 फीसदी बढ़ा

बच्चों के खिलाफ अपराध के 2016 में 1,06,958 केस दर्ज हुए जो 2017 में करीब 28 फीसदी बढ़कर 1,29,032 हो गए। इस मामले में यूपी पहले पायदान पर है, जहां ऐसे मामले 2016 की अपेक्षा 19 फीसदी ज्यादा दर्ज हुए। यूपी में 19145, मप्र में 19038, महाराष्ट्र में 16918, दिल्ली में 7852 और छत्तीसगढ़ में 6518 केस दर्ज हुए।

अनुसूचित जनजाति के खिलाफ देश में बढ़े अपराध

अनुसूचित जनजाति (एससी) के खिलाफ ज्यादातर राज्यों में 2017 में अपराध और उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं। इस सूची में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है, जबकि राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पंजाब में इनमें कमी आई है। इस दौरान देश में कुल 43203 केस दर्ज किए गए।

अपहरण की घटनाएं बढ़ी
 
एनसीआरबी के नए आंकड़े के मुताबिक 2017 में देश भर में संज्ञेय अपराध के 50 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। इस तरह 2016 में 48 लाख दर्ज प्राथमिकी की तुलना में 2017 में 3.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

वर्ष 2017 में हत्या के मामलों में 5.9 प्रतिशत की गिरावट आयी। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में हत्या के 28653 मामले दर्ज किए गए जबकि 2016 में 30450 मामले सामने आए थे।

इसमें कहा गया कि हत्या के अधिकतर मामले में ‘विवाद’ (7898) एक बड़ा कारण था। इसके बाद ‘निजी रंजिश’ या ‘दुश्मनी’ (4660) और ‘फायदे’ (2103) के लिए भी हत्याएं हुईं।

वर्ष 2017 में अपहरण के मामलों में नौ प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गयी। उससे पिछले साल 88008 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2017 में अपहरण के 95893 मामले दर्ज किए गए थे।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ) 

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