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नज़रिया : ग्रेबिएल बोरिक की जीत चिली के वामपंथ के लिए बड़ा मौक़ा

डी डब्ल्यू की एमिलिया रोजास लिखती हैं कि राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे साफ़ होने से यही पता चलता है कि चिली में मतदाता बदलाव चाहते हैं।
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चिली के राष्ट्रपति ग्रेबिएल बोरिक के समर्थक रविवार शाम को उनकी जीत का जश्न मनाते हुए

चिली में अनिश्चित्ता के ऊपर उम्मीद ने जीत दर्ज कर ली है और इसका नतीज़ा बेहद शानदार रहा है। देश के राष्ट्रपति चुनावों में गेब्रिएल बोरिक की जीत ने आगे समाजा में ढांचागत बदलाव लाने और ज़्यादा निष्पक्ष समाज बनाने का रास्ता दुरुस्त किया है।

सबसे आश्चर्यजनक यह रहा कि वे आराम से 11 फ़ीसदी मतांतर से जीत गए। कई मुख्यधारा के मतदाता, जिनकी पार्टी पहले दौर में बाहर हो गई थी, उन्होंने ग्रेबिएल बोरिक को स्पष्ट जीत दिलाने में मदद करवाई।

वामपंथी ग्रेब्रिएल बोरिक ने जीता चिली का राष्ट्रपति चुनाव

यह इतनी एकतरफा जीत थी कि जब 50 फ़ीसदी विधानक्षेत्रों का नतीज़ा आना बाकी था, तभी दक्षिणपंथी प्रत्याशी जोश एंटोनियो ने हार मान ली थी और नतीज़े की घोषणा हो गई थी। ऐसा लगता है कि आगे अच्छा वक़्त आ रहा है। 

ज़्यादा मतदान के चलते आई ज़्यादा वैधानिकता

एक और इशारा ज़्यादा संख्या में मतदाताओं द्वारा मतदान रहा। इससे अगली सरकार को ज़्यादा वैधानिकता और काम करने के लिए ज़्यादा व्यापक आधार मिलेगा। फिर स्वस्थ्य लोकतांत्रिक परंपराओं के तहत हारने वाले प्रत्याशी और निर्वतमान राष्ट्रपति सेबाशियन पिनेरा ने जीतने वाले प्रत्याशी को बधाई दी और उन्हें भविष्य की शुभकामनाएं प्रेषित कीं।

जब देश रविवार शाम को लोकतंत्र का जश्न मना रहा था, तब चुनाव कैंपेन से मूड बहुत अलग था। उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में जब सरकार कार्यभार संभालेगी, तब तक भी ऐसा ही माहौल बना रहेगा। आगे डगर कठिन है। बोरिक केवल 35 साल के हैं। अब उनके ऊपर चिली को ज़्यादा एकजुटता, अखंडता और भाईचारे वाली एक नई राजनीतिक दिशा में ले जाने की जिम्मेदारी है। साथ ही कल्याणकारी राज्य को भी ज़्यादा मजबूत करना हो। उन्हें सुधार लागू करने को लेकर जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए, नहीं तो पूरी प्रक्रिया पटरी से भटक सकती है। 

उन्हें पारंपरिक राजनीतिक कुलीनों के दबाव का भी प्रतिरोध करना होगा, जो अपने विशेषाधिकारों को बनाए रखना चाहते हैं, साथी ही उन्हें खुद के कैंप से भी दबाव का सामना करना होगा, जो उन्हें जल्द नतीज़े देने के लिए कहेगा। उन्हें लोगों को यह भी भरोसा दिलाना होगा कि जब हमारा लक्ष्य साफ़ हो, उसका रास्ता स्पष्ट हो, तब धैर्य एक अच्छा गुण होता है। आखिरकार काम करने के लिए सबसे अच्छा माहौल सामाजिक स्थिरता में होता है, ना कि सामाजिक तौर पर उथल-पुथल भरे माहौल में। अक्टूबर 2019 के विरोध प्रदर्शनों से यही सीख मिलती है।  

सभी के लिए शैक्षणिक और स्वास्थ्य सुविधाएं

बोरिक और चिली के वामपंथी धड़े के पास अब एक बड़ा मौका है, जब वे साबित कर सकते हैं कि नवउदारवाद ही विकास का एकमात्रा रास्ता नहीं, जबकि नवउदारवाद कई ऐसे लोगों को बाहर छोड़ देता है, जो इसके साथ कमदताल नहीं कर सकते। नए नेता के पास मौका है कि वो साबित करे कि लैटिन अमेरिका में भी बिना अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाए भयावह सामाजिक असमता को कम करने की जगह है। यहां उन लोगों को भी गलत साबित करने का मौका है, जो सामाजिक न्याय को अतिवादी वामधड़े की भाषणबाजी बताते हैं।

सभी के लिए अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा दिवास्वप्न नहीं है। ना ही भाईचारे पर आधारित स्वास्थ्य सुविधा, जिसमें वंचितों को विशेषाधिकार प्राप्त हों। कई यूरोपीय देशों में यह वास्तविकता है और उनमें से किसी में भी वामपंथी पार्टियों का शासन नहीं है। 

क्षेत्रीय स्तर पर, यह चिली के वामपंथी धड़े का काम होगा कि वो अबतक लैटिन अमेरिका को सता रहे भूत का सफाया करें, जो अब भी क्यूबा, वेनेजुएला और निकारागुआ में तानाशाही के रूप में मौजूद है। 

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बातचीत और समझ ज़रूरी

अभी कई सारी चुनौतियां मौजूद हैं, जो काफी जटिल हैं। लेकिन आधुनिकता और व्यवहारिकता के लिए उन्हें गंभीर नुकसान पहुंचाना जरूरी है। और अब वक़्त आ गया है कि हम उस विश्वास को ख़त्म करें कि लोगों के पास नवउदारवाद और अंधेरे में से किसी एक को चुनना है। बोरिक का एक मजबूत गुण बातचीत में हिस्सा लेना और जनमत बनाने की कोशिश करने का है। उन्हें एक ऐसी कांग्रेस में जहां उनका बहुमत नहीं है, वहां इन गुणों की जरूरत होगी। लेकिन चिली के दक्षिणपंथी धड़े को भी यह समझना होगा कि उन्हें भी ज़्यादा न्यायपूर्ण समाज बनाने की दिशा में काम करना जरूरी है, जो मनचाहे मुनाफ़े के लालच से ना चलता हो। 

अगर देश पूरे आत्मविश्वास से भविष्य में प्रवेश करना चाहता है, तो उसे नए सामाजिक समझौते की जरूरत होगी, जो नए संविधान पर आधारित होगा, जिसे फिलहाल चोट पहुंचाई जा रही है। नई सरकार के शुरुआती कुछ महीने बेहद संवेदनशील होंगे, क्योंकि इस दौरान उसे संवैधानिक प्रक्रिया को आगे चलाने के लिए जरूरी विश्वास स्थापित करना होगा। ताकि डर और अनिश्चित्ता के ऊपर हमेशा उम्मीद बरकरार रहे। 

इस लेख को जर्मन से अंग्रेज़ी, फिर हिंदी में अनुवादित किया गया है। 

Courtesy: DW 

इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

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