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भ्रष्ट कर्मचारियों के ख़‍िलाफ़ अभियेाजन संबंधी 500 से अधिक अनुरोध को सरकारी मंजूरी का इंतज़ार : सीवीसी

केंद्रीय सतर्कता आयोग(सीवीसी) की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि 272 अनुरोध तीन महीने से अधिक समय से लंबित हैं।
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Photo Courtesy : Central Vigilance Commission

केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की 2022 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगने वाले केंद्रीय अन्वेष्ण ब्यूरो (सीबीआई) के 500 से अधिक अनुरोध विभिन्न सरकारी विभागों में लंबित हैं।

सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया कि 272 अनुरोध तीन महीने से अधिक समय से लंबित हैं।

सरकारी विभागों को किसी भ्रष्ट अधिकारी पर मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगने वाले अनुरोधों पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेना होता है। हालांकि, ऐसे मामलों में एक महीने का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है, जहां अटॉर्नी जनरल या उनके कार्यालय में किसी अन्य कानून अधिकारी के साथ परामर्श की आवश्यकता होती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 525 लंबित अनुरोधों में से सबसे अधिक 167 वित्त मंत्रालय के तहत वित्तीय सेवा विभाग के पास, 41 महाराष्ट्र सरकार के पास और 31-31 अनुरोध वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग, कोयला एवं खनन मंत्रालय के पास लंबित हैं।

वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 31 दिसंबर, 2022 तक हिमाचल प्रदेश सरकार के पास 25, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारों के पास 23-23 और रेल मंत्रालय के पास 22 अनुरोध अभियोजन मंजूरी के लिए लंबित थे।

इसके मुताबिक, अभियोजन स्वीकृति के लिए ऐसे कुल 20 अनुरोध श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के पास, 16 रक्षा मंत्रालय के पास, 12 कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के पास, 11 गृह मंत्रालय के पास और आठ शिक्षा मंत्रालय के पास लंबित हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के पास छह-छह अनुरोध जबकि तमिलनाडु सरकार और लोकसभा के पास पांच-पांच अनुरोध लंबित हैं।

इसमें कहा गया है कि सीवीसी विभिन्न संगठनों के पास अभियोजन की मंजूरी के लिए लंबित मामलों की प्रगति की समीक्षा करता है।

हाल ही में सार्वजनिक की गई रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘सीबीआई ने बताया है कि वर्ष 2022 के अंत तक, विभिन्न संगठनों से संबंधित कुल 198 मामले पीसी अधिनियम, 1988 के तहत अभियोजन की मंजूरी के लिए लंबित थे।’’

सीवीसी ने कहा, ‘‘आयोग ने संबंधित प्राधिकारियों से उचित कारण देते हुए अनुरोधों को मंजूरी देने या इससे इनकार करने की आवश्यकता पर भी बल दिया है।’’
 

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