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पीएसयू बीमा यूनियनों ने वेतन संशोधन की मांगों को लेकर एक दिवसीय हड़ताल की 

जनरल इंश्योरेंस पब्लिक सेक्टर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (GIPSA) ने अपने लिखित आश्वासन के बावजूद भी वेतनमान संशोधन के लिए कोई भी बेहतर प्रस्ताव नहीं दिया है, इसलिए  हड़ताल पर गए सभी कर्मचारियों और अधिकारियों ने शुक्रवार को देशभर में रैलियों और प्रदर्शनों का आयोजन किया।
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सार्वजनिक क्षेत्र की जनरल बीमा कंपनियां कंपनी (PSGIC ) में काम कर रहे लगभग 50, 000 से अधिक कर्मचारियों और अधिकारियों ने 1 अगस्त 2017 से देय वेतनमान संशोधन और PSGIC कर्मचारियों की अन्य वैध मांगों पर दबाव डालने के लिए शुक्रवार को एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल की। चूंकि जनरल इंश्योरेंस पब्लिक सेक्टर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (GIPSA) ने अपने लिखित आश्वासन के बावजूद भी वेतनमान संशोधन के लिए कोई भी बेहतर प्रस्ताव नहीं दिया है, इसलिए  हड़ताल पर गए सभी कर्मचारियों और अधिकारियों ने देशभर में रैलियों और प्रदर्शनों का आयोजन किया।

पीड़ित PSGI कर्मचारी और अधिकारी 1अगस्त 2017 से लगातार लंबित वेतनमान संशोधन के तत्काल निपटान की मांग कर रहे हैं। वे NPS के लिए कंपनी द्वारा योगदान में 14% की वृद्धि, बिना किसी सीमा के परिवार पेंशन में सुधार , 1995 की पेंशन योजना सभी के लिए , पेंशन अद्यतन करने की मांग, निजीकरण का विरोध और PSGI कंपनियों के विलय की मांग कर रहे हैं।

इससे पहले GIPSA प्रबंधन ने 22 जून, 2022 को हुई पूर्व बैठक में वेतनमान में मामूली सी वृद्धि की पेशकश की थी, जिसे सभी चेक-ऑफ संगठनों ने एक सिरे से खारिज कर दिया था और बीमा क्षेत्र में एकरूपता बनाए रखते हुए  LIC के बराबर वेतन वृद्धि की मांग की थी। ट्रेड यूनियनों और संघों के संयुक्त मंच (JFTU) द्वारा 11 जुलाई, 2022 के लिए हड़ताल का आह्वान किया गया था। चूंकि GIPSA अपनी बात रखने में विफल रहा इसलिए JFTU के पास 15 जुलाई, 2022 को सभी सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों में एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था।

PSGI कंपनियाँ भारत सरकार को प्रारंभ से ही भारी लाभांश दे रही हैं और सामाजिक उत्थान की सभी सरकारी योजनाओं को पूरे देश में समर्पण के साथ आगे बढ़ा रही हैं। सामाजिक योजनाएं जो निजी कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली विशिष्ट वाणिज्यिक सेवाओं से पूरी तरह से भिन्न हैं, पिछले पांच वर्षों में भारत सरकार को सभी चार कंपनियों द्वारा प्रीमियम पर लगभग रु. 57,000/- करोड़ का GST दिया गया है। यहां तक कि कोविड-19 महामारी के समय में भी पिछले 2 वर्षों में सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने कोरोना योद्धाओं के रूप में भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है और सेवा की है। इस दौरान 500 से अधिक कर्मचारियों और अधिकारियों ने और उनके परिवारों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।

PSGI कंपनियां हमेशा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत, प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना, कोरोना कवच नीति, सीएसआर, ग्रामीण और फसल बीमा और ऐसी कई नीतियों की ध्वजवाहक रही हैं।  PMSBY में रु.12/- का प्रीमियम रु. 2 लाख खर्च को कवर करने और योजना को संचालित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। PSGI कंपनियां आम आदमी, किसानों और नागरिकों को बहुत कम प्रीमियम पर बीमा सेवाएं दे रही हैं और लगभग 50000 कर्मचारियों और 5 लाख से अधिक अभिकर्ताओं के साथ 50 करोड़ से अधिक नागरिकों की सेवा कर रही हैं।

 त्रिलोक सिंह, जो ट्रेड यूनियनों और एसोसिएशन का संयुक्त मंच के संयोजक हैं, उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया कि, "आज की STRIKE एक बड़ी सफलता थी और सार्वजनिक क्षेत्र की सभी साधारण बीमा कंपनियों के अधिकांश कार्यालय पूर्णतः बंद रहे। पूरे देश में हड़ताल की समीक्षा करने और आगे की कार्रवाई/आंदोलन कार्यक्रम तैयार करने के लिए JFTU की एक जरूरी बैठक आज शाम बुलाई गई है।"

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