प्रभात गुप्ता हत्याकांड: मंत्री अजय मिश्रा टेनी समेत सभी आरोपी बरी
23 साल से इंसाफ की राह देख रहा मृतक प्रभात गुप्ता का परिवार कोर्ट के फ़ैसले से निराश है। हत्याकांड में मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी समेत सुभाष मामा, शशि भूषण और राकेश डालू को बरी कर दिया गया है। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया है। 2004 में यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ में पहुंचा था। तब से अब तक यानी 19 साल में लखनऊ बेंच ने हत्याकांड में 3 बार फैसला सुरक्षित रखा गया था।
प्रभात गुप्ता हत्याकांड क्या है?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजीव गुप्ता (प्रभात के छोटे भाई) बताते हैं कि... 8 जुलाई साल 2000 के दिन मेरे बड़े भईया यानी प्रभात गुप्ता दुकान जा रहे थे। उनका आरोप है कि तभी अजय मिश्रा टेनी अपने साथी, शशि भूषण, राकेश डालू और सुभाष मामा के साथ पहुंच गए, इन लोगों ने मेरे भाई को रोका, कुछ अनबन हुई और गोली चली। पहली गोली अजय मिश्र टेनी ने चलाई जो सीधे मेरे भाई की कनपटी पर लगी। दूसरी गोली सुभाष मामा ने चलाई, जो सीने में लगी। इसके बाद मेरे भाई सड़क पर गिर गए और उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
प्रभात के भाई ने ये आरोप अपने दिवंगत पिता संतोष गुप्ता की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर की बिनाह पर लगाया है। एफआईआर में प्रभात के पिता ने आरोप लगाया था कि प्रभात गुप्ता को अजय मिश्र टेनी ने दिनदहाड़े गोली मारी थी, उनका आरोप था कि पहली गोली टेनी ने कनपटी पर सटाकर मारी थी और दूसरी गोली सुभाष मामा ने सीने में दागी थी। जिसके चलते प्रभात की मौके पर ही मौत हो गई। लखीमपुर तिकुनिया थाने में इन चारों पर 41/2000 धारा 302 और 34 आईपीसी केस दर्ज किया गया।
हत्याकांड के बाद कैसे चला मामला?
लखीमपुर के तिकुनिया थाने में 4 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ। इसके कुछ ही दिन बाद केस बिना वादी की जानकारी के CBCID यानी क्रिमिनल इनवेस्टिगेशन डिपार्टमंट को ट्रांसफर कर दिया गया। प्रभात गुप्ता के परिवार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री राम प्रकाश गुप्ता के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। 24 अक्टूबर, 2000 को तत्कालीन सचिव मुख्यमंत्री आलोक रंजन ने केस की जांच CBCID से लेकर फिर लखीमपुर पुलिस को दे दी।
लखीमपुर में जांच अधिकारी ने एसपी लखीमपुर को जांच किसी अन्य से कराने के लिए लिखित प्रार्थना पत्र दिया। तब आईजी जोन लखनऊ ने विशेष टीम से विवेचना करवाई। 13 दिसंबर 2000 को केस में चार्जशीट लगा दी गई। इसी बीच अजय मिश्र टेनी समेत सभी आरोपियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे ले लिया। फिर अगले साल यानी साल 2001 में 5 जनवरी को हाईकोर्ट के जस्टिस डीके त्रिवेदी की बेंच ने अजय मिश्र टेनी के अरेस्ट स्टे को ख़ारिज कर दिया। इसी बीच प्रभात गुप्ता के पिता संतोष गुप्ता की मौत हो गई थी। इसके बाद केस की पैरवी प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता ने शुरू की।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे खारिज होने के बाद भी लखीमपुर पुलिस ने अजय मिश्रा को गिरफ्तार नहीं किया। इसके बाद प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने एक बार फिर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में गुहार लगाई। तब, 10 मई 2001 को हाईकोर्ट में जस्टिस नसीमुद्दीन की बेंच ने अजय मिश्र को अरेस्ट करने का ऑर्डर देना पड़ा। हाईकोर्ट से गिरफ्तारी के आदेश हुए, तो डेढ़ महीने बाद 25 जून, 2001 को अजय मिश्रा ने एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट में सरेंडर कर दिया। मगर 25 जून, 2001 को सरेंडर करते ही एक डॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर टेनी को बीमार बताकर अस्पताल भेज दिया गया। फिर अगले ही दिन यानी 26 जून को टेनी को सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई।
ये लोग लगातार ज़मानत पर बने रहे, इसी बीच मामले में पुलिस की तरफ से चार्जशीट दाखिल हुई, तो लखीमपुर कोर्ट में ट्रायल शुरु हो गया। 29 अप्रैल 2004 को अजय मिश्र टेनी समेत सभी आरोपियों को निचली अदालत से ज़मानत मिल गई।
इसके बाद 19 जून 2004 को इस मामले में सरकार की ओर अपील दायर की गई और सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में शुरू हो गई। सुनवाई के दौरान अजय मिश्र लगातार अपने वकील बदलते गए, जिसके कारण सुनवाई भी टलती रही। 19 जून 2004 को ही सरकार की ओर से अपील के अलावा प्रभात गुप्ता के पिता संतोष गुप्ता की रिविज़नल अपील को बेटे राजीव गुप्ता ने दाखिल किया था।
आपको बता दें कि साल 2004 से लेकर अबतक इस मामले में तीन बार सुनवाई हुई और हर बार फैसला रिज़र्व रख लिया गया। पहली सुनवाई 12 मार्च 2018 को पूरी हुई, जब जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और दिनेश कुमार सिंह ने फैसला रिज़र्व रखा।
दूसरी बार सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 10 नवंबर 2022 को पूरी हुई, तब जस्टिस रमेश सिन्हा और रेनू अग्रवाल ने फैसला रिज़र्व रखा।
इसके बाद तीसरी और आख़िरी सुनवाई 21 फरवरी 2023 को पूरी हुई, इसमें जस्टिस अट्टू रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा।
कौन थे प्रभात गुप्ता? जिनकी हत्या हुई थी
प्रभात गुप्ता की फेसबुक प्रोफाइल से पता चलता है कि साल 1994 में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में एलएलबी की पढ़ाई शुरू की थी। तेज़-तर्रार और बेबाक राय रखने वाली छवि के कारण वो धीरे-धीरे छात्रों में अपनी जगह बनाते गए और धीरे-धीरे इसी विश्वविद्यालय से छात्र नेता बनकर उभरने लगे थे। बाद में उनकी करीबियां समाजवादी पार्टी के साथ भी हुईं, जिसके बाद उन्हें सपा नेता भी कहा जाने लगा था।
बात करें आरोपी अजय मिश्र टेनी की तो वह अक्टूबर 2021 में एक बार फिर चर्चा में आए थे, जब लखीमपुर में किसानों का आंदोलन चल रहा था। ख़बर आईं कि लखीमपुर के तिकुनिया गांव में अचानक प्रदर्शनकारी किसानों की भीड़ पर थार जीप चढ़ गई, थार के नीचे आने से एक पत्रकार और 4 किसान मारे गए। इसके बाद किसान उग्र हो गए और गाड़ियों के काफिले में सवार लोगों पर हमला कर दिया। दावा किया गया कि इस हमले में 3 लोगों की जान और गई। किसानों और पत्रकार को कुचलने का आरोप केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा टेनी पर लगा था। इसी बीच एक वीडियो वायरल हो गया जिसमें दावा किया गया कि मंत्री अजय मिश्रा टेनी किसनों को धमका रहे हैं। इधर वीडियो वायरल हुआ उधर देशभर में टेनी का विरोध शुरू हो गया। खूब बवाल हुआ, जिसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांग ली, तब जाकर अजय मिश्र के बेटे आशीष मिश्र को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद विपक्ष ने आंदोलन किए, किसान नेताओं ने भी रैलियां की और अजय मिश्र टेनी को मंत्री पद से बर्खास्त करने की मांग उठने लगी। लेकिन भाजपा ने टेनी का इस्तीफा नहीं लिया। फिलहाल आपको बता दे कि मंत्री का बेटा आशीष मिश्र ज़मानत पर बाहर है, लेकिन आरोप मुक्त नहीं है। और अजय मिश्र केंद्र सरकार में गृह राज्य मंत्री हैं।
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