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राजस्थान राइफल संघ के कोच पर यौन शोषण के आरोप, खेलों में महिला सुरक्षा पर उठे सवाल!

महिला खिलाड़ियों का आरोप है कि कोच अपनी रसूख़ का डर दिखाकर खिलाड़ियों को बदनाम करने की धमकी भी देता था।
/Rajasthan-Rifle-Association

राष्ट्रीय कुश्ती संघ के बृजभूषण शरण सिंह और हरियाणा के मंत्री संदीप सिंह के ख़िलाफ़ यौन शोषण की शिकायत के बाद अब जयपुर से राजस्थान राइफल एसोसिएशन (आरआरए) के कोच पर यौन शोषण के आरोप की ख़बर है। महिला खिलाड़ियों का गंभीर आरोप है कि "कोच ने अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए लड़कियों पर अकेले में मिलने का दबाव बनाया, उनके साथ गलत व्यवहार किया। इतना ही नहीं कोच ने ओलिंपिक खिलाने, नेशनल मेडल दिलवाने और सरकारी नौकरी दिलवाने का झांसा देकर भी यौन शोषण किया।"

फिलहाल महिला निशानेबाज़ खिलाड़ियों की ये शिकायत आरआरए के एक पदाधिकारी द्वारा पुलिस तक पहुंच गई हैं, जिसमें राजस्थान राइफल के कोच पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इस संबंध में पुलिस ने आरोपी कोच के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 354 (छेड़छाड़), 506 (आपराधिक धमकी), 504 (जानबूझकर अपमान), 509 (यौन उत्पीड़न) के तहत मामला दर्ज किया है। इसके अलावा यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण यानी पॉक्सो अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है, क्योंकि एक शिकायतकर्ता नाबालिग है।

"कई सालों से शोषण का सिलसिला है जारी"

पुलिस ने मीडिया को एफआईआर के संबंध में बताया कि कोच पर आरोप है कि उन्होंने दो खिलाड़ियों से दुष्कर्म किया और तीन अन्य का कई साल तक यौन शोषण किया। लड़कियों की शिकायत के मुताबिक "इटली में आयोजित ग्रीन कप टूर्नामेंट के दौरान कोच ने कथित तौर पर एक खिलाड़ी को अपने साथ कमरा साझा करने के लिए मजबूर किया था। और ये शोषण का सिलसिला बीते कई सालों से जारी है।"

पुलिस के अनुसार इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर दी गई है। अभी आरोपी कोच की गिरफ्तारी नहीं हुई है। महिला खिलाड़ियों ने कोच की शिकायत पहले राजस्थान राइफल संघ और भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ से की थी जिसके बाद आरआरए के संयुक्त सचिव महिपाल सिंह राठौड़ ने रविवार, 8 अक्टूबर को पीड़ितों की ओर से कोच के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज कराई।

महिला खिलाड़ियों ने कोच पर गंदे मैसेज करने के साथ ही जबरन शराब पिलाने और करियर खराब करने तक की धमकी देने का आरोप लगाया है। मीडिया खबरों की मानें तो खिलाड़ियों ने कोच की हरकतों से तंग आकर खेल छोड़ने और तनाव ग्रस्त होने तक की बात कही है। पीड़ित लड़कियों के मुताबिक कोच अपनी रसूख का डर दिखाकर खिलाड़ियों को बदनाम करने की धमकी भी देता था।

खेलों में यौन हिंसा के मामले और कार्रवाई

बता दें कि खेलों में यौन हिंसा के मामले ने इस साल मई महीने में तब तूल पकड़ा, जब देश के जाने-माने मेडल विनर खिलाड़ी जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए। उधर हरियाणा में मंत्री संदीप सिंह को लेकर भी प्रदर्शन तेज़ होने लगे। ये प्रदर्शन कई महीने चले लेकिन फिलहाल दोनों मामलों में कोई खास तरक्की नहीं हुई। हालांकि ये यौन हिंसा के मामले सिर्फ कुश्ती संघ और संदीप सिंह तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि दूसरे खेलों से भी ऐसे कई आरोप पहले भी सामने आ चुके हैं। लेकिन कार्रवाई को लेकर अक्सर आरोप लगते हैं कि इस ओर शासन और प्रशासन की रफ्तार धीमी ही नज़र आती है।

अगर बीते पांच सालों की ओर देखें तो खेलों में यौन शोषण के मामलों की तस्वीर और भयानक है। और आपको याद दिला दें कि ये तब है, जब बहुत से मामले रिपोर्ट ही नहीं होते। इस संबंध में सरकारी आंकड़ों को देखें तो, 28 जुलाई 2022 को राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा द्वारा राज्यसभा में पूछे सवाल का जवाब सामने आता है, जिसमें खुद केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया है कि जनवरी 2017 से जुलाई 2022 के बीच भारतीय खेल प्रतिष्ठानों में यौन उत्पीड़न की 30 शिकायतें मिली थीं, जिनमें दो शिकायतें गुमनाम थीं। मंत्रालय ने यह स्पष्ट नहीं किया कि क्या कार्रवाई हुई, लेकिन उसने दावा किया कि सभी 30 मामलों में उचित क़दम उठाए गए।

फिलहाल मौजूदा मामलों में एक्शन का इंतज़ार सभी को है लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत के अधिकांश खेल संघों की कमान या तो राजनेताओं के पास है, या ताक़तवर नौकरशाहों के पास या फिर अमीर कारोबारी पुरुषों के हाथों में है। खेल मंत्रालय में भी इन्हीं लोगों की धाक है, ऐसे में महिला खिलाड़ियों की सुरक्षा और उनकी सुनवाई की क्या स्थिति होगी ये देखने वाली बात होगी।

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