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राजस्थान: सरकार के लिखित आश्वासन के बाद सफ़ाई कर्मचारियों की हड़ताल ख़त्म

दो दौर की बातचीत में वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता देने के साथ ही फ़िलहाल 13 हज़ार 184 पदों पर संशोधित भर्ती की विज्ञप्ति जारी करने पर सहमति बनी है।
Safai Karmchari

राजधानी जयपुर में सफाई कर्मचारी बीते कई महीनों से भर्ती का नया शेड्यूल जारी करने और उसमें वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता देने को लेकर संघर्षरत हैं। इसी कड़ी में कल, मंगलवार 6 जून को सभी सफाई कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए, जिसे बाद में सरकार की ओर से दो दौर की बातचीत और लिखित आश्वासन के बाद देर शाम खत्म करने का ऐलान कर दिया गया। इस समझौते के तहत नई संशोधित भर्ती विज्ञप्ति 9 जून तक जारी करने की डेडलाइन भी दी गई है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक हड़ताल के दौरान संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई कर्मचारी संघ ने स्टाफिंग पेर्टन के आधार पर 30 हजार पदों पर भर्ती की मांग की थी। लेकिन वार्ता में फिलहाल 13 हजार 184 पदों पर ही भर्ती की विज्ञप्ति जारी करने पर सहमति बनी। शेष पदों पर भर्ती के लिए प्रस्ताव तैयार करके फाइनेंस डिपार्टमेंट में देने की बात कही गई। इसके अलावा इसी माह जून से नई भर्तियों की आवेदन प्रक्रिया शुरू करने के साथ ही इसमें वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता देने की बात भी कही गई है।

दो महीने में ये दूसरी बार हड़ताल

संगठन के अध्यक्ष नन्दकिशोर डंडोरिया ने न्यूज़क्लिक को बताया कि भर्ती प्रक्रिया को लेकर दो महीन में ये दूसरी बार है जब कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया था। इससे पहले 25 अप्रैल को भी प्रदेशभर के सफाई कर्मचारियों ने भर्ती प्रक्रिया में वाल्मिकी समाज के लोगों को प्राथमिकता देने की मांग रखते हुए हड़ताल की थी। जिसके बाद सरकार ने भर्ती ही स्थगित कर यूनियन के लोगों को बातचीत के लिए बुलाया था। जिसमें 28 अप्रैल को शासन सचिव एवं डीएलबी डायरेक्टर और संयुक्त वाल्मीकि सफाई श्रमिक संघ के पदाधिकारियों के बीच समझौता हुआ। इस समझौते में सरकार ने सभी मांगे मान ली थीं लेकिन इसके बावजूद महीने भर से ज्यादा समय बीतने के बाद भी अभी तक संशोधित विज्ञप्ति जारी नहीं की गई। जिसके चलते मजबूरन एक बार फिर कर्मचारियों को हड़ताल पर जाना पड़ा।

नन्दकिशोर डंडोरिया कहते हैं, "मंगलवार को शासन-प्रशासन की ओर से हमारे साथ दो बार बातचीत हुई। जिसमें पहली वार्ता डीएलबी मुख्यालय में बेनतीज़ा रही लेकिन इसके बाद नगर निगम हैरिटेज मुख्यालय हुई दूसरी वार्ता सफल रही और इसमें हमारी मांगों पर सहमति बनने के बाद हमने शाम में हड़ताल खत्म करने का एलान किया। इस बैठक में डीएलबी अधिकारियों के अलावा कैबिनेट मंत्री महेश जोशी, मेयर मुनेश गुर्जर भी मौजूद रही।"

क्या हैं सफाई कर्मचारियों की मांगे?

* सफाई कर्मचारियों की भर्ती के पदों की संख्या 13,184 से बढ़ाकर 30 हजार की जाए।

* भर्ती की संशोधित विज्ञप्ति में वाल्मीकि समाज के लोगों को प्राथमिकता दी जाए।

* साल 2018 से पहले जिन्होंने सफाई का काम निकायों में कॉन्ट्रैक्ट या संविदा पर किया है उनको भी प्राथमिकता दी जाए।

नन्दकिशोर डंडोरिया बताते हैं कि हमारी मुख्य मांग जो नई भर्तियों में वाल्मीकि समाज के लोगों को प्राथमिकता देने की थी, उसे मान लिया गया है। इसके अलावा सरकार ने 30 हजार भर्तियों की मांग को भी चरणबद्ध तरीके से पूरा करने की बात कही है। जिसमें तत्काल प्रभाव से 13,184 भर्तियां की जाएंगी, फिर करीब 14 हजार और बाकी की भर्तियों को वित्त विभाग के लिए भेजा जाएगा। इन सभी बातों पर समझौता बनने के बाद संशोधित विज्ञप्ति को इस सप्ताह के अंत तक जारी करने की बात का लिखित आश्वासन भी मिला, जिसके बाद संघ ने हड़ताल को खत्म करने की घोषणा की।

इस हड़ताल में भाग ले रहे कई सफाई कर्मचारियों ने बताया कि वाल्मीकि समाज इस काम में दशकों से लगा है इसलिए भर्ती में समाज को प्राथमिकता देने की मांग भी कर रहा है। अगर समाज से योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलते, फिर दूसरे समाज या वर्ग के लोगों को भर्ती में शामिल किया जाए। क्योंकि इस समाज के लोग ज्यादा पढ़े-लिखे या कुशल नहीं हैं, जो अन्य कामों की ओर जाएं। सरकार को उनकी दिक्कतें भी समझनी चाहिए, जो लोग सालों से सिर्फ इसी भरोसे घर चला रहे हैं।

बता दें कि चुनावी समर के बीच राजस्थान की गहलोत सरकार ने हाल ही में प्रदेश की 176 नगरीय निकायों (नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद) में 13 हजार 184 सफाई कर्मचारियों के पदों पर भर्ती निकाली थी। इसके लिए 15 मई से 16 जून 2023 तक ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। आवेदन मिलने के बाद इनकी स्क्रूटनी करके इंटरव्यू लिया जाना था। यह डायरेक्ट साक्षात्कार के आधार पर होने वाली भर्ती थी। लेकिन इसके आवेदन शुरू होने से पहले ही इसका विरोध शुरू हो गया। वाल्मीकि समाज ने भर्ती में प्राथमिकता सहित कई अन्य मांगें रखी। इसे लेकर कई जगह प्रदर्शन और कार्य बहिष्कार भी हुए और आखिरकार भारी विरोध के बाद सरकार को भर्ती स्थगित करनी पड़ी। और एक बार फिर सरकार ने इन लोगों को आश्वासन दिया है, जिस पर अमल सरकार की मजबूरी भी है।

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