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राजस्थान: नहीं थम रही यौन हिंसा, लॉकडाउन में फंसी महिला के साथ गैंगरेप

लॉकडाउन के चलते महीने भर से सवाई माधोपुर में फंसी महिला जब जयपुर अपने घर जाने को पैदल निकली तो एक स्कूल में तीन लोगों ने उसके साथ गैंगरेप किया। पुलिस ने इस मामले में तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया है।
राजस्थान

देशभर में लॉकडाउन लागू है, चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है बावजूद इसके महिलाओं के साथ हो रही यौन हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। ताजा मामला राजस्थान के सवाई माधोपुर से सामने आया है। यहां बटोदा थाना इलाके में लॉकडाउन में फंसी एक महिला के साथ स्कूल में कथित तौर पर दुष्कर्म का मामला सामने आया है। फिलहाल इस संबंध में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने कोर्ट में पेश कर दिया है।

क्या है पूरा मामला?

मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार 40 वर्षीय पीड़ित महिला ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा है कि वह पिछले एक महीने से लॉकडाउन के कारण सवाई माधोपुर में फंसी थी, इसलिए अब उसने पैदल ही जयपुर स्थित अपने घर पहुंचने का फैसला किया। लेकिन जब वह बटोदा के एक स्कूल में रात को आराम के लिए रुकी तो वहां कुछ लोगों ने उसके साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना गुरुवार रात 23 अप्रैल की है। पीड़ित महिला ने थाने में इसकी शिकायत अगले दिन शुक्रवार सुबह 24 अप्रैल को दर्ज करवाई है। महिला ने सवाई माधोपुर पुलिस को दिए अपने बयान में कहा कि वह दौसा जेल में अपने बेटे से मिलने गई थी, जो 2015 में जयपुर में गैंगरेप और पॉक्सो मामले में आरोपी है।

इस संबंध में इलाके के डीएसपी पार्थ शर्मा ने कहा कि तीनों आरोपियों की पहचान कर ली गई और उन्हें फौरन गिरफ्तार भी कर लिया गया। बाद में उन्हें कोर्ट में पेश कर कर दिया गया है। महिला की शिकायत पर उसकी मेडिकल जांच की गई और बयान दर्ज किया गया है।

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपियों की पहचान ऋषिकेश मीणा, लखन रेगर और कमल खरवाल के रूप में हुई है। इस मामले में एक हेड कॉन्स्टेबल लाल चंद को भी सस्पेंड कर दिया गया है। जिला कलेक्टर ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

स्थानीय पत्रकार अनिल जैन ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में बताया, “ कुछ पुलिसवालों की जानकारी के मुताबिक महिला अपने घर पहुंचने की कोशिश में बटोडा के गांव पहुंच गई। जहां स्थानीय प्रशासन द्वारा महिला के खाने-पीने और एक सरकारी स्कूल में रुकने का इंतजाम किया गया। हालांकि पुलिस ने ग्रामीणों से कहा था कि महिला को सुरक्षा के लिहाज से अकेला न छोड़े लेकिन महिला के कोरोना से संक्रमित होने के संदेह पर ग्रामीणों ने महिला को रात में अकेला छोड़ दिया, जिसके बाद रात के समय गांव के ही तीन लोगों ने महिला के साथ बलात्कार किया। महिला को क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है और उनकी कोरोना जांच की गई है। फिलहाल रिपोर्ट नहीं आई है।”

राजस्थान के एक गैर-सरकारी महिला संगठन से जुड़ी मनिषा कुक्कड़ बताती हैं, “ये हैरानी की बात है कि आखिर प्रशासन ने क्या सोचकर एक महिला को खाली स्कूल में अकेले छोड़ दिया। जगह-जगह पुलिस रात-दिन लगी हुई है लेकिन बावजूद इसके जब से लॉकडाउन हुआ है महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में इज़ाफा ही देखने को मिला है। क्या पुलिस और प्रशासन सिर्फ कोरोना की बीमारी से लड़ेगे, उससे बड़ी जो सालों से हमारे समाज में पितृसत्ता की है उसका क्या होगा?”

राजस्थान में कार्यरत समाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव कहती हैं, “अगर साल 2018 की एनसीआरबी की रिपोर्ट देखें तो राजस्थान में यौन हिंसा के साढ़े चार हजार मामले दर्ज किए गए थे। ये तो सिर्फ वो संख्या है जो पुलिस तक मामले पहुंचते हैं लेकिन अनगिनत ऐसे मामले भी हैं जो रिपोर्ट ही नहीं होते। बढ़ते यौन अपराधों को दोखते हुए हमने कई संगठनों के साथ मिलकर प्रदेश को यौन हिंसा मुक्त बनाने के कई कार्यक्रम किए। इसमें महिला और छात्र संगठनों के जिरए लोगों को जागरूक करने के लिए कई अभियान भी चलाए जा रहे हैं लेकिन ये सब सरकार, पुलिस और प्रशासन के बीना कतई संभव नहीं है। हमें ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे, इसे सामान्य अपराध मानकर सिर्फ सजा देकर छोड़ देने से कुछ नहीं होगा।"

इस मामले पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी संज्ञान लेते हुए राजस्थान पुलिस के महानिदेशक भूपेंद्र सिंह यादव से पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

गौरतलब है कि देश-विदश में लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में लगातार इज़ाफा देखने को मिला है। संयुक्त राष्ट्रसंघ प्रमुख ने भी लॉकडाउन के दौरान महिलाओं की रक्षा करने की सरकारों से अपील की है। इससे पहले देश में राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी लॉकडाउन में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में बढ़ोत्तरी पर चिंता व्यक्त की थी।

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