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जी-20 के विरोध में संगोष्ठी और विरोध मार्च

"वास्तव में जी-20 जैसे फोरम का गठन बहुराष्ट्रीय निगमों और कॉरपोरेट के मुनाफ़े और लूट को बढ़ाने के लिए किया गया है। इन मंचों का उपयोग साम्राज्यवादी मु़ल्क़ अपने वर्चस्व को बढ़ाने और दुनिया के बाज़ारों तथा कच्चे माल के स्रोतों पर क़ब्ज़ा करने के लिए करते हैं।"
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जी-20 क्या है, क्यों है, और इससे आम लोगों को क्या फायदा या नुक़सान है, इसके प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए दिल्ली के कुछ जनसंगठन ; जिसमें समाजवादी लोकमंच,सोशलिस्ट अड्डा जैसे संगठन शामिल थे, ने मिलकर मथुरा में एक संगोष्ठी और विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया।

इन संगठनों की ओर से जारी बयान के अनुसार इस संगोष्ठी और प्रदर्शन में छात्र, नौजवानों और बौद्धिक समुदाय ने शिरकत की।

गोष्ठी में बोलते हुए समाजवादी लोकमंच के धर्मेन्द्र आज़ाद ने बताया, कि 'जी-20 सम्मेलन के दौरान विभिन्न शहरों में आयोजित बैठकों की तैयारी के लिए लाखों लोगों के मकान-दुकान तोड़कर उन्हें बेघर-बेरोज़गार बना दिया गया। उनके राहत और पुनर्वास के लिए सरकार के पास कोई योजना नहीं है।’

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक तथा जनाधिकार संघर्ष दल के अश्विनी कुमार 'सुकरात’ ने कहा, कि 'दुनिया भर के पूँजीपति एक तरफ़ तो अपना माल बेचकर मुनाफ़ा बटोरना चाहते हैं, मगर दूसरी तरफ़ एक बड़ी आबादी की जेब से वे पहले ही पैसे निकाल चुके हैं, इसी संकट का हल करने के लिए दुनिया की एक फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले कॉरपोरेट जी-20 जैसे समूहों के ज़रिए लूट के नये तरीके ढूँढते हैं।’

दिल्ली से आए न्यूज़ सोशलिस्ट इनेशेटिव के स्वदेश सिन्हा ने कहा कि, 'आज दुनिया भर की जनता में जी-20 के देशों के ख़िलाफ़ व्यापक आक्रोश है। यूरोप, अमेरिका तथा फ्रांस जहाँ भी इसके सम्मेलन हुए, वहाँ पर जनता ने इसके ख़िलाफ़ व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। वास्तव में इसका गठन बहुराष्ट्रीय निगमों और कॉरपोरेट के मुनाफ़े और लूट को बढ़ाने के लिए किया गया है, इन मंचों का उपयोग साम्राज्यवादी मु़ल्क़ अपने वर्चस्व को बढ़ाने और दुनिया के बाज़ारों तथा कच्चे माल के स्रोतों पर क़ब्ज़ा करने के लिए करते हैं। जब बातचीत और दबाव से काम नहीं बनता,तो हमले पर उतारू हो जाते हैं। इसी सब सच्चाई को छिपाने के लिए दिल्ली में सम्मेलन के दौरान सभी तरह के विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगा दी गई।'

सामाजिक कार्यकर्ता उदय कुमार ने कहा कि 'एक तरफ़ मोदी सरकार जी-20 आयोजन पर जनता के अरबों रुपए बहाकर इसे जनता के लिए सौगात बताते हुए 2024 के चुनाव से पहले अपना विज्ञापन कर रही है और दूसरी तरफ़ चीन और रूस के राष्ट्रपतियों के इसमें शामिल न होने पर इस बैठक का कोई ठोस नतीज़ा नहीं निकलने वाला है।'

इसके अलावा गोष्ठी में ढेरों छात्र-छात्राओं ने अपनी बातें रखीं तथा बहस को एक दिशा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके बाद इन सभी संगठनों ने पुलिस प्रशासन द्वारा अनुमति न दिए जाने के बावज़ूद बीएसए इंजीनियरिंग कॉलेज रोड,मथुरा में नुक्कड़ सभा और पैदल मार्च के माध्यम से विरोध प्रदर्शन किया।

हाथों में 'जी-20 डाउन-डाउन’ 'पेटेंट कानूनों को रद्द करो’ आदि लिखी तख़्तियाँ लिए हुए प्रदर्शनकारियों ने अपने नारों के ज़रिए इस सम्मेलन को आम जनता के टैक्स के पैसों की बर्बादी और बहुराष्ट्रीय कॉर्पोरेट्स द्वारा दुनिया के विभिन्न बाज़ारों पर क़ब्ज़े की योजना बनाने का आयोजन बताया।

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे सौरभ इंसान ने कहा कि, 'दुनिया भर में जहाँ भी जी-20 का आयोजन होता है,वहाँ इसे विरोध का सामना करना पड़ता है। इंग्लैंड,कनाडा और जर्मनी में तो इसका विरोध बहुत बड़े पैमाने पर हो चुका है, इसलिए जागरूक नागरिकों को इस आयोजन के दोनों पक्षों को समझने की कोशिश करनी चाहिए, न कि सरकारी दावों को सच मानकर रह जाना चाहिए।’

इसके अलावा इस विरोध मार्च में सम्मेलन के विरोध में व्यापक पर्चा वितरण भी किया गया। प्रदर्शनकारियों में रवीन्द्र सिंह,पवन सत्यार्थी,योगेश इंसान,आरती करदम और शिल्पी आदि ने भी विशेष सहयोग दिया।

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