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मूसेवाला के बग़ैर सूना रहेगा पंजाब का मूसा गांव

11 जून को सिद्धू मूसेवाला की उम्र 29 साल हो गई होती। 28 साल 352 दिन की ज़िंदगी जीने वाले इस लड़के में ऐसा क्या था कि 5 साल के बच्चे से लेकर 90 साल के बुज़ुर्गों तक हर कोई इसकी मौत पर मातम मना रहा था।
Sidhu Moose Wala

कहते हैं कि इश्क़ का आख़िरी पड़ाव जुनून होता है। इस जुनून को देखना हो तो पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के चाहने वालों को देखिये। 29 मई को एक भयानक गोलीबारी का शिकार हुए सिद्धू की मौत हो गई। पंजाब के मानसा ज़िले के मूसा गाँव के क़रीब जवाहरके गाँव में 28 साल के इस गायक ने जान गंवा दी। और उसके बाद जो दुख और पीड़ा देश और दुनिया में संगीत और सिद्धू को चाहने वालों की तरफ़ से देखी गई वह हैरान करने वाली भी है और सुकूनदेह भी। सुकून ऐसा, मानो हर रोने वाला दूसरे रोने वाले से कह रहा हो कि आप अकेले नहीं हैं साथी, सिद्धू का ग़म मनाने में मैं भी आपके साथ हूँ।

सिद्धू पंजाबी हिप हॉप की दुनिया के सरताज थे, और उनको यह शोहरत महज़ 4-5 साल के करीयर में हासिल हो गई थी। 28 साल का लड़का शुभदीप सिंह सिद्धू जो पूरे आत्मविश्वास से कहता था, "जदों टैलंट च बीट नईं हुंदा फ़ेर इल्ज़ाम लगदे ने मितरो...' यानी 'जब टैलंट का मुक़ाबला नहीं कर पाते तो इल्ज़ाम लगाते हैं लोग...'

सिद्धू की मौत 29 मई को हुई, 8 जून को पंजाब के मानसा ज़िले में उनके नाम की अंतिम अरदास की गई। जिसमें लाखों की भीड़ जमा थी, जो सिद्धू को चाहने वालों की थी उन्हें प्यार करने वालों की थी। 5 साल के बच्चे से लेकर 90 साल की बुज़ुर्ग महिला तक सिद्धू के लिए मत्था टेक रही थीं और रो रही थीं कह रही थीं, मेरा बेटा चला गया। सवाल है कि क्या उस महिला ने सिद्धू के गाने सुने होंगे? सिद्धू ने न कभी भजन गाए न अरदास, अगर कुछ गाया तो अपने 'हेटर्स' को जवाब देने के लिए या ख़ुद की बढ़ाई करने के लिए। फिर ऐसा क्या था सिद्धू में कि लोग इस 'उग्र' गायक की मौत पर इतने दुखी हैं?

11 जून को सिद्धू मूसेवाला की उम्र 29 साल हो गई होती। 28 साल 352 दिन की ज़िंदगी जीने वाले इस लड़के में ऐसा क्या था कि 5 साल के बच्चे से लेकर 90 साला बुज़ुर्गों तक हर कोई इसकी मौत पर मातमी बन गया?

मशहूर पंजाबी कोमेडियन गुरप्रीत सिंह 'गुग्गी' ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "मुझे नहीं लगता कि बुज़ुर्गों में 10 प्रतिशत ने भी सिद्धू का एक भी गाना सुना होगा। मगर वह सिद्धू को याद कर के रोते हैं तो इसलिए क्योंकि वह गाँव का बच्चा था। ऐसे समय में जब पंजाब के लड़के गाँव छोड़ कर विदेशों में जा कर रह रहे हैं, तब सिद्धू शोहरत पाने के बाद विदेश छोड़कर वापस गाँव में रहने आया अपने माँ बाप के साथ रहा। अपनी हवेली बनाई तो उसमें मिट्टी ख़ुद लगाई, मज़दूरों के साथ ईंट सीमेंट लगाया। गाँव में खेती की।"

सिद्धू ने लुधियाना से ग्रेजुएशन करने के बाद कनाडा जाकर नौकरी की थी और वहीं उनका पहला गाना 'सो हाई' रिलीज़ हुआ था जो बहुत मकबूल भी हुआ। जो शोहरत सिद्धू को उस गाने के बाद मिली उसके बाद ज़्यादातर बल्कि कहें हर पंजाबी गायक ने अपना एक घर विदेश में या देश के किसी बड़े शहर में बना लिया है। मगर सिद्धू मूसेवाला मूसा का ही तो था, सो मूसा वापस आया और यहीं रहा। किसान का बेटा किसानी न करता तो क्या करता, सो किसानी की और गाने लिखे और गाये। उन्होंने कहा भी कि वह 'टिब्बेयां दा पुत्त', टिब्बेयां यानी बंजर ज़मीन, और शहर के लड़के उसके फ़ैन हैं।

विवादों में भी रहे

सिद्धू मूसेवाला ने एक गाना गाया, नाम था 'संजू', बोल थे 'जट्ट उत्ते केस जेड़ा संजय दत्त ते' यानी जट्ट पे वही केस लगा है जो संजय दत्त पर था। केस क्या था? आर्म्स एक्ट का, कोविड लॉकडाउन के वक़्त एक वायरल वीडियो में सिद्धू को एके47 चलाते हुए देखा गया था। सिद्धू के गीतों पर लगातार यह इल्ज़ाम भी लगे कि उनमें गन कल्चर को प्रमोट किया जाता था।

आंकड़े क्या कहते हैं?

भले ही पंजाब बंदूकों और हिंसा के मामले में बदनाम रहा हो, मगर आंकड़े कुछ और ही बयान करते हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2016-2020 तक पंजाब में बदूक हिंसा के क़रीब 1200 मामले सामने आए थे, वहीं अकेले उत्तर प्रदेश के ज़िला गाज़ियाबाद में यह मामले 6200 के क़रीब थे। वहीं प्रति लाख व्यक्तियों पर पंजाब में 1.4 बंदूक हिंसा की घटनाएँ होती हैं, मगर यूपी के शाहजहांपुर में 14, मध्य प्रदेश के इंदौर में 13 और उत्तराखंड राज्य में 8 घटनाएँ होती हैं।

सिद्धू मूसेवाला को याद करते हुए 8 जून को पिता बलकोर सिंह और माँ चरन कौर ने कहा कि 29 मई को उनका सब कुछ छिन गया। सिद्धू ने अपने गाँव मूसा की बाहरी सड़क पर एक हवेली बनाई है, जिसमें वह अपनी हत्या से महज़ 25 दिन पहले शिफ़्ट हुए थे। सिद्धू अपने ज़्यादातर शूटिंग में अपनी माँ या अपने पिता को लेकर जाते थे। सिद्धू के पिता ने बताया कि कैसे सिद्धू ने बचपन से ही साइकल में स्कूल जाना शुरू कर दिया था और पूरी ज़िंदगी कोई नाजायज़ ज़िद या ख़र्चे की बात उन्होंने नहीं की।

सिद्धू की मौत का मतलब यह शायद नहीं है कि ऐसे गायक पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री को और नहीं मिलेंगे, बल्कि इसका मतलब यह है कि ऐसा बेटा मूसा गाँव और पंजाब की धरती को शायद दूसरा न मिले।

सिद्धू के पिता ने जनता से एक वादा भी किया था कि "मैं पूरी कोशिश करूंगा कि सिद्धू को आप सब के बीच ज़िंदा रख सकूँ।" यही वादा सिद्धू के चाहने वालों को भी करना चाहिए, कि वह एक दूसरे के बीच सिद्धू को ज़िंदा रखें।

(व्यक्त विचार निजी हैं।)

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