जामिया में दर-दर भटक रहे हैं पीएचडी में चयनित छात्र !
आप पी एच डी प्रवेश परीक्षा के लिये कड़ी मेहनत करें। परीक्षा में पास हो जाएं। फिर आपको साक्षात्कार के लिए बुलाया जाए। आप साक्षात्कार की तैयारी करें। अच्छी परफॉर्मेंस दें। फिर एक दिन उसका परिणाम विश्विद्यालय की वेबसाइट पर जारी हो। आप उस फेहरिस्त में अपना नाम देख कर कितना खुश होंगे। बहुत ज़्यादा! कारण भी साफ है। उच्च शिक्षा अर्जित करने का सपना। सपने को साकार करने की पीछे की गई मेहनत के बाद जो सफ़लता हाथ लगती है, उस पर खुश होना स्वभाविक है। लेकिन उस क्षण को याद करें जब आप औपचारिक रूप से प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अपने संबंधित विभाग जाएं और वहां आप से कहा जाए कि " बेटा जाओ, हमारे यहां आपके विषय का एक्सपर्ट नहीं है। हम आपका प्रवेश सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं। अगले वर्ष फिर कोशिश करें।"
क्या यह ख़्याली बातें हैं ? नहीं। बल्कि देश की राजधानी दिल्ली में मौजूद विश्वप्रसिद्ध जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पी एच डी प्रवेश प्रकिया में ऐसा वास्तव में हुआ है। ज्ञात रहे कि हाल ही में अभी National Assessment and Accreditation Council "NAAC" ने जामिया को A++ रैंक दी थी। मुझे अब तक मिली सूचना के मुताबिक़ भूगोल, मास कम्युनिकेशन और गणित विभाग में पी. एच. डी में एडमिशन के लिये “चयनित” छात्र अब खुद अपने ही प्रवेश के लिये दर-दर भटक रहे हैं।
भूगोल विषय में चयनित एक छात्र ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा:
"11 तारीख को जामिया की वेबसाइट पर हमारा रिजल्ट घोषित किया गया था, उस लिस्ट में मेरा रोल नंबर शामिल था। जिस में कहा गया था कि आप ओरिजनल दस्तावेज़ के साथ 24 से 26 अगस्त के बीच में संबंधित डीन ऑफिस आकर अपनी एडमिशन प्रक्रिया पूरी करते हुए अपना ऑफर लेटर कलेक्ट कर लें। इस बीच दो मर्तबा तारीख बढ़ाई गई और अंततः 12 से 14 सितम्बर के बीच में मुझे दोबारा बुलाया गया। जब मैं दस्तावेज के साथ 12 तारीख को सुबह दस बजे डीन आफिस पहुँचा तो वहां मौजूद अधिकारियों ने सारे दस्तावेज चेक करते हुए एक अतिरिक्त डॉक्यूमेंट मांगा जो नटिस में संलग्न चेक लिस्ट में शामिल नहीं था।
उन्होंने कहा कि आप वो एक सर्टिफिकेट बनवा कर लाओ जिस से यह प्रमाणित हो सके कि आप कहीं दूसरी जगह जॉब या रेगुलर पढ़ाई तो नहीं कर रहे हैं। मैंने वो डॉक्यूमेंट भी तैयार करके ऑफिस में सबमिट किया।
वो आगे कहते हैं; " अचानक थोड़ी देर बाद वो कहने लगे कि मैं आपका एडमिशन नहीं ले सकता। मेरे यह सवाल पूछने पर कि क्यों आप एडमिशन नहीं ले सकते हैं? उन्होंने कहा कि आप के विषय से संबंधित हमारे पास विशेषज्ञ नहीं है। मैंने उनसे कहा कि आप विशेषज्ञ के मुताबिक़ मेरा विषय बदल दे। तो उन्होंने उत्तर दिया कि नहीं हम इस संबंध में कुछ नहीं कर सकते हैं। आप अपने विभाग में मिल लें।"
मैंने पूछा कि क्या तुम्हारे विभाग में सिर्फ तुम ही अकेले छात्र थे, जिसके साथ यह घटना घटी। कहा; " नहीं, हम कुल 20 लोगों का नाम लिस्ट में आया था। और मेरे अलावा 7 और ऐसे छात्र हैं जिनके साथ यह हुआ है। और उन्होंने फ़िलहाल एडमिशन से महरूम रखा है।"
यह तो सिर्फ महज़ एक विभाग के एक छात्र की कहानी है। ऐसे कई और विद्यार्थियों की यही चिंता है कि अब ऐसे नाज़ुक मोड़ पर क्या किया जाए? वजह यह भी है कि नेट की परीक्षा भी इसी महीने होने वाली है। और इन में से कई छात्र साथ ही साथ उसकी तैयारी भी कर रहे हैं।
एक छात्र ने बताया;"मैं, इंटरव्यू में सेलेक्ट होकर निश्चिंत हो गया था लेकिन अब समझ मे नहीं आ रहा क्या करूँ? पिछले तीन दिन से नेट की तैयारी भी छोड़ रखी है। अब मुझे इस हालत में लगता भी नहीं है कि मैं नेट की तैयारी कर पाऊंगा"।
पिछले तीन दिनों से यह छात्र इधर से उधर ऑफिसों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन संतुष्ट करने वाला कोई जवाब नहीं मिल पा रहा है। कभी अपने-अपने विभागों में, कभी कंट्रोलर ऑफ़ एग्जामिनेशन, कभी डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर, कभी पी एच डी कोर्डिनेटर के ऑफिस में जा रहे है और यहां तक की वीसी से भी संपर्क करने की कोशिश की गई है।
एक दूसरे विभाग के छात्र ने अपनी पहचान ज़ाहिर ना करने की शर्त पर हम से बात करते हुए कहा; "12 सितम्बर को सुबह जब मैं डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए डिपार्टमेंट गया तो शाम चार बजे तक कोई प्रक्रिया ही शुरु नहीं हुई। उसके बाद आकर अधिकारी कहते हैं कि आपका लिस्ट में नाम नहीं है। आपको एडमिशन नहीं मिल सकता। जबकि नोटिस में मेरा रोल नम्बर शामिल था। अगर इनको कोई और लिस्ट निकालनी ही थी तो उसी वक़्त वेबसाइट पर क्यों नहीं डाली। हमारे साथ धोखा हुआ है। हम सब दूर-दराज के इलाक़ों से कोई पढ़ाई और कोई जॉब छोड़ कर आये हैं। इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? "
दूसरी तरफ जामिया में मौजूद छात्र संगठनों ने भी प्रशासन के इस तरह के अन्यायपूर्ण फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की है। कहा है कि अगर जामिया एडमिशन से महरूम इन छात्रों की समस्या का हल नहीं करता है तो कैम्पस में आंदोलन किया जाएगा।हम ने इस विषय पर जामिया का मत जानने के लिए "कंट्रोलर ऑफ़ एक्जामिनेशन " के कार्यालय पर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन बार-बार कोशिश करने के बावजूद बात नहीं हो पाई।
छात्र संगठन एस आई ओ के नेशनल सेक्रेटरी फवाज़ शाहीन ने हम से बात करते हुए कहा;"यह दुर्भाग्यपूर्ण और शॉकिंग है। यह सिर्फ छात्रों की परेशानी नहीं है बल्कि कंट्रोलर ऑफ एक्जामिनेशन की स्वायत्तता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देता है। खुद जामिया प्रशासन को ही इस का संज्ञान ले कर मामले को हल करना चाहिए।
(दिल्ली बेस्ड स्वतंत्र लेखक और अनुवादक हैं।)
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