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किसानों के साझे संघर्ष के आगे एक बार फिर झुकी खट्टर सरकार, मानी सारी मांगें!

हरियाणा निवास पर किसानों के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बीच करीब आधे घंटे तक बैठक हुई। जिसमें सरकार ने किसानों की सारी मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया।
 किसानों के साझे संघर्ष के आगे एक बार फिर झुकी खट्टर सरकार, मानी सारी मांगें!
फोटो साभार:गांव-सवेरा

एक बार फिर किसानों की जीत हुई है और सरकार को झुकना पड़ा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जो हाल के कुछ सालों मे ऐसा दिखाने का प्रयास करती है जैसे उसका फैसला अटल है उसे बदला नहीं जा सकता है लेकिन देश का किसान बार बार उसके इस गुरूर को टक्कर दे रहा है।

हरियाणा के किसानों के साझा संघर्ष के आगे एक बार फिर सरकार झुकी और उनकी सारी मांगें मानीं। आपको बता दें कि प्रदेश भर के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर हजारों की संख्या में 12 सितंबर को पंचकूला में प्रदर्शन किया। ये किसान मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने जा रहे थे। इस आंदोलन का नेतृत्व करने वालों में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शन पाल और सुरेश कैथ शामिल थे। शहर के विभिन्न हिस्सों से होते हुए किसान चंडीगढ़-पंचकूला बार्डर पर स्थित हाउसिंग बोर्ड चौक पर पहुंचेजहां पर पुलिस ने इन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। जिसके बाद किसानों ने वहीं सड़क पर धरना दे दिया।

इसके बाद सरकार को एक बार फिर दिल्ली बॉर्डर की याद आई और उसने किसान प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए बुलाया। किसान और मुख्यमंत्री खट्टर के बीच सकारात्मक माहौल में बातचीत हुई। हरियाणा निवास पर किसानों के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बीच करीब आधे घंटे तक बैठक हुई। जिसमें सरकार ने किसानों की सारी मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया जिसके बाद किसान नेताओं ने ये जानकारी आंदोलन कर रहे किसानों को दी उसके बाद मंगलवार का ये आंदोलन जीत के साथ वापस लिया गया।

किसान संगठनों ने स्पष्ट कहा है कि अगर सरकार ने उनकी मांगें पूरी नहीं कीं या कोई धोखा किया तो वो फिर से एकसाथ होकर आंदोलन करेंगे।

क्या थीं किसानों की मांगें

- देह शामलातजुमला मुस्तकापट्टे वाली और अन्य इसी प्रकार की सभी जमीनों को किसानों को पक्के तौर पर मालिकाना हक देने के लिए नया कानून बनाया जाए

- धान के पौधे विकसित न होने की वजह से नुकसान का पूरे हरियाणा में उचित मुआवजा दिया जाए

- 2022 में जलभराव से खराब हुई फसलों की स्पेशल गिरदावरी करवाकर उचित मुआवजा दिया जाए

- पिछले साल का फसल का मुआवजा जल्द से जल्द किसानों के खातों में भुगतान किया जाए

- लंपी संक्रमण से मरे पशुओं के लिए किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए

- नारायणगढ़ शुगर मिल के करीब 60 करोड़ बकाया राशि का भुगतान किया जाए

- मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्टर्ड फसल की प्रति एकड़ लिमिट 25 से बढ़ाकर 35 क्विंटल की जाए

- 20 सितंबर से धान की खरीद पूरे हरियाणा में शुरू की जाए। मोटे धान पर 20 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई गई है उसे खत्म किया जाए

क्या हुई वार्ता

किसान नेता सुरेश कैथ ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि विधानसभा सत्र में हरियाणा सरकार शामलात जमीनों सहित अन्य सभी प्रकार के विवादित जमीन जिसपर किसान का कब्जा है उनके मालिकाना हक देने के लिए विधेयक पेश करेगी। तब तक सरकार फिलहाल शामलात देह जमीनों को लेकर कोई कार्रवाई नहीं करेगी। अभी जिसके कब्जे मे जो जमीन है वो उसकी ही रहेगी । इसके साथ ही सरकार 18 अगस्त को जारी नोटिस पर कार्रवाई रोकने के लिए सहमत हो गई है जिसके तहत किसानों को जमीन को खाली करने के लिए कहा गया था ।

कैथ ने आगे कहा कि सरकार से खराब फसलों की गिरदावरी और गन्ना बकाया भुगतान को लेकर भी सकारात्मक बात हुई। उन्होंने बताया कि वर्तमान सत्र में चीनी बिक्री से होने वाली आय से सबसे पहले किसानों के बकाया भुगतान जाएगा। यहाँ तक मिल के बिजली बिल भी इसके बाद ही भरे जाएंगे। 

कैथ ने कहा लंपी संक्रमण से मरे पशुओं को लेकर भी चर्चा हुई और सरकार ने आश्वस्त किया कि प्रदेशभर मे पशुओं को टीके लगवाए जाएंगे।  

इससे पहले भी पंजाब और हरियाणा के किसानों ने ही देशव्यापी किसान आंदोलन की अगुवाई की थी। इस समय भी इन दोनों राज्यों के किसानों ने केन्द्र और राज्य सरकारों के खिलाफ लगातार मोर्चा खोला हुआ है। हरियाणा के तरह ही पंजाब के किसान भी आम आदमी पार्टी की राज्य सरकार और सीएम भगवंत मान के किसान विरोधी फैसलों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। इसमें ये मुख्यत किसानों के सिंचाई के पानी को निजी या एनजीओ के हाथों में देने का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है सरकार किसानों के हिस्से का पानी एनजीओ को देने जा रही है और ये WHO के एक योजना के तहत किया जा रहा है। इसके आलावा लगातार उद्योग द्वारा नदी का पानी गंदा किया जा रहा हैं लेकिन सरकार इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है। इसके साथ ही अन्य किसानी से जुड़े सवाल को लेकर किसान आम आदमी पार्टी सरकार के मंत्री और विधायकों के घरों का लगातार घेराव और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

 

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