'देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियां 60 साल लंबी यात्रा का परिणाम'
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने राज्यसभा में बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-नीत केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में देश की अब तक की उपलब्धियां किसी एक सरकार के कार्यकाल में नहीं हासिल हुई, बल्कि यह 60 साल लंबी यात्रा का परिणाम है।
‘भारत की गौरवशाली अंतरिक्ष यात्रा चंद्रयान-3’ की सफल सॉफ्ट लैंडिंग विषय पर उच्च सदन में अल्पकालिक चर्चा में भाग लेते हुए रमेश ने कहा कि नेता सदन पीयूष गोयल के संबोधन से ऐसा प्रतीत हुआ कि देश की गौरवशाली अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत 2014 में हुई और इस यात्रा के सूत्रधार प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसी धारणा बनाई जा रही है कि चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 की सफलता एक व्यक्ति के कारण मिली है।
रमेश ने कहा कि देश की अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत 1960 के दशक में हो गई थी और फरवरी 1962 में ही अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय समिति का गठन किया गया था, जिसके सदस्यों में होमी जहांगीर भाभा और विक्रम साराभाई जैसे महान वैज्ञानिक शामिल थे।
Along with Chandrayaan III, let's not forget Chandrayan I, which was launched in 2008, and Chandrayan II in 2019. What does it mean? It means there is continuity in governance.
If a PM refuses to acknowledge continuity in governance, if the PM believes that the world started… pic.twitter.com/y1ByhMzr2o
— Congress (@INCIndia) September 20, 2023
उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना 15 अगस्त 1969 में ही हुई थी और साराभाई के असामयिक निधन के बाद इसकी जिम्मेदारी सतीश धवन को दी गई थी, जो उस समय अमेरिका में काम कर रहे थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अनुरोध पर भारत वापस आए थे।
उन्होंने देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम का विस्तार से जिक्र किया और कहा कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम ‘‘बाहुबल वाले राष्ट्रवाद का प्रतीक’’ नहीं है, बल्कि इसका मकसद विकास को बढ़ावा देना रहा है। उन्होंने कहा कि यह सैन्य क्षेत्र का हिस्सा नहीं होकर असैनिक उद्देश्यों के लिए रहा है तथा इसका उपयोग दूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग), ग्रामीण विकास, संचार, मौसम भविष्यवाणी जैसे क्षेत्रों के लिए होता रहा है।
रमेश ने कहा कि देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को हमेशा ही विकास संबंधी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए औजार के तौर पर देखा गया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि चंद्रयान-3 की सफलता से विज्ञान के प्रति एक नयी उत्सुकता पैदा हुई है, लेकिन जब पाठ्यपुस्तकों से डार्विन के सिद्धांत को हटाया जा रहा है और न्यूटन एवं आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिकों के सिद्धांतों को खारिज किया जा रहा है तो इस नयी उत्सुकता से क्या फायदा होगा।
रमेश ने कहा कि चंद्रयान के बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 2003 में घोषणा की थी और चंद्रयान-1 वर्ष 2008 में तथा दूसरा मिशन 2019 में रवाना किया गया था। उन्होंने कहा कि यह एक सतत प्रक्रिया रही है और विभिन्न सरकारों और प्रधानमंत्रियों ने इसमें योगदान किया है।
उन्होंने कहा कि आदित्य एल-1 भी एक बड़ी कामयाबी है और इसकी शुरुआत 2006 में की गई थी जिसे पूरा करने में 17 साल लग गए।
रमेश ने कहा कि अंतरिक्ष कार्यक्रम में मुख्य योगदान प्रतिष्ठित संस्थानों का नहीं, बल्कि छोटे शहरों के राजकीय संस्थानों का रहा है और सरकार को ऐसे संस्थानों को बढ़ावा देने की जरूरत है, जिसमें राजनीति हस्तक्षेप नहीं हो।
भारत ने 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के ‘विक्रम लैंडर’ की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इतिहास रच दिया था। भारत चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला चौथा देश और इसके दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना।
(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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