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दिल्ली से लेकर एमपी तक बेरोजगारों पर लाठी बरसा रही सरकार !

रोजगार देने के बजाय नौजवानों पर लाठियां भाज रही है मोदी सरकार।
दिल्ली से लेकर एमपी तक बेरोजगारों पर लाठी बरसा रही सरकार !

मोदी सरकार के पिछले सात सालों का लेखा-जोखा देखें तो देश के आम लोगों के अनुभव पीड़ादायक ही रहे हैं। यूं तो कई मायनों में ये सात साल दर्दनाक रहे लेकिन मोदी राज में बढ़ी बेरोज़गारी और महंगाई - ये दो ऐसी बाते हैं, जिनपर खुद मोदी समर्थक भी दबी जुबान में अपनी सहमति दर्ज कराते हैं।

ये मोदी दौर ही है जिसमें देश रिकॉर्ड बेरोज़गारी दर का गवाह बना। इसकी बानगी अब सड़को पर भी दिख रही है। देश का नौजवान दिल्ली से लेकर देश के बाक़ी राज्यों में नौकरी के लिए सड़को पर है और हर दूसरे दिन कही न कही पुलिसया लाठी की मार सह रहा है।

बुधवार को मध्य प्रदेश(एमपी) राजधानी भोपाल में रोजगार की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे बेरोजगार युवाओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। जबकि उसी दौरन एमपी में ही सरकारी शिक्षक पदों के लिए तीन साल पहले चयनित हो चुके लोगों ने उन्हें औपचारिक नियुक्ति पत्र दिए जाने की मांग को लेकर एमपी की सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। वहां भी पुलिस बल प्रयोग किया गया।

एसएससी जीडी परीक्षा में उत्तीर्ण उम्मीदवारों ने मंगलवार को नियुक्ति पत्र जारी करने की मांग करते हुए जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने उन पर कथित तौर पर लाठीजार्च किया और कई लोगों को हिरासत में ले लिया गया था ।

विरोध प्रदर्शन का जो वाकया मध्यप्रदेश के भोपाल में हुआ उस पर प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारी बेरोजगार युवाओं पर उस वक्त लाठीचार्ज शुरू किया जब इन प्रदर्शनकारियों ने खाली पड़े शासकीय पदों को भरने और उन्हें नौकरी देने की अपनी मांगों के समर्थन में शहर के नीलम पार्क से मुख्यमंत्री आवास तक पैदल मार्च शुरू किया।

उन्होंने कहा कि लाठीचार्ज के बाद पुलिस ने नारेबाजी कर रहे इन युवकों को गिरफ्तार भी कर लिया। इस बीच, प्रदर्शन कर रहे युवकों पर पुलिस लाठीचार्ज के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गये।

ये प्रदर्शनकारी प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से भोपाल में ‘मूवमेंट अगेंस्ट अनइंप्लॉयमेंट’ के झंडे तले एकत्र हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश सरकार ने पिछले कई सालों से खाली पड़े पदों पर भर्ती नहीं निकाली है, जिससे बेरोजगार युवा अब रोजगार पात्रता की आयु पार कर रहे हैं। एक प्रदर्शनकारी ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने हमें शहर से काफी दूर छोड़ दिया।

जहांगीराबाद पुलिस थाना प्रभारी वीरेन्द्र चौहान ने ‘भाषा’ को बताया कि इन बेरोजगार युवाओं का प्रदर्शन शहर के टी टी नगर पुलिस थाना इलाके स्थित रोशनपुरा में होना तय था, लेकिन ये लोग जहांगीराबाद पुलिस थाना इलाके नीलम पार्क में जमा हो गये और उसके बाद वहां से रोशनपुरा जाने के लिए राजभवन की ओर दौड़ लगाने लगे और उन्होंने रास्ता जाम कर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘राजभवन बहुत महत्वपूर्ण स्थान है, इसलिए पुलिस ने उन्हें पुलिस मुख्यालय के पास रोकने की कोशिश की। लेकिन जब वे नहीं माने तो पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों पर न्यूनतम बल का प्रयोग किया।’’

चौहान ने बताया कि इस घटना में चार पुलिसकर्मियों को चोटें भी आईं हैं। पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में पुलिस ने अज्ञात 100 से 150 लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 341, 149 एवं 353 के तहत मामला दर्ज किया है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इस लाठीचार्ज का वीडियो साझा करते हुए कहा कि यह पुलिस की बर्बरता है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘रोजगार व भर्ती की माँग को लेकर भोपाल में प्रदर्शन कर रहे प्रदेश भर के युवाओं पर पुलिस का बर्बरता पूर्ण लाठीचार्ज। रोजगार माँग रहे युवाओं को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा गया। बेहद निंदनीय व शर्मनाक। एक लाख रोजगार प्रति वर्ष का वर्षों से दावा करने वाली शिवराज सरकार की यह है हकीकत।’’

मध्यप्रदेश : चयनित शिक्षकों ने नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर भाजपा कार्यालय पर किया प्रदर्शन

सरकारी शिक्षक पदों के लिए तीन साल पहले चयनित हो चुके लोगों ने उन्हें औपचारिक नियुक्ति पत्र दिए जाने की मांग को लेकर बुधवार को यहां मध्य प्रदेश की सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया।

महिलाओं सहित सैकड़ों प्रदर्शनकारी अपने हाथों में राखियों से सुसज्जित थाली लेकर प्रदेश भाजपा कार्यालय के बाहर इकट्ठा हुए और धरने पर बैठ गये।

प्रदर्शनकारियों के मुताबिक वर्ष 2018 में 22,000 शिक्षकों का चयन किया गया था लेकिन उन्हें राज्य सरकार द्वारा अब तक नियुक्ति पत्र नहीं दिए गए।

एक प्रदर्शनकारी महिला ने कहा, ‘‘हम चयनित शिक्षक हैं, लेकिन पिछले तीन साल से नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं । हम सभी ने शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर ली है। हम नियुक्ति पत्र के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं । यह सरकार पिछले डेढ़ साल से दस्तावेजों का सत्यापन कर रही है।’’

एक अन्य प्रदर्शनकारी महिला ने कहा कि अधिकारी हमें सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं लेकिन कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘हमने आज अनशन किया है। हम चाहते हैं कि मामा जी (मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, जिन्हें मामा जी के नाम से जाना जाता है) आयें और हमसे राखी बंधवाने के बाद हमें नियुक्ति पत्र दें।’’

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछेक महिलाएं बेहोश हो गईं थीं।

मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। उन्होंने कहा, ‘‘आरक्षण से जुड़ा एक मामला उच्च न्यायालय में लंबित है। इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग भी पक्षकार है। हम अदालत के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं। अदालत के निर्देश मिलते ही विभाग नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर देगा।’’ इस बीच, भाजपा के प्रदेश सचिव रजनीश अग्रवाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि कानूनी समस्याओं के कारण नियुक्ति की प्रक्रिया में देरी हो रही है। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें देरी हो रही है क्योंकि पिछली कांग्रेस नीत सरकार ने इस मुद्दे पर कदम नहीं उठाया था। भाजपा सरकार तब आई जब कोरोना वायरस महामारी थी और कानूनी जटिलता भी नियुक्ति के रास्ते में आ गई।’’ अग्रवाल ने कहा कि विभागीय मंत्री के आश्वासन के अनुसार जल्द ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

इसी बीच, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि चयनित शिक्षकों के साथ न्याय होना चाहिए।

कमलनाथ ने ट्वीट किया, ‘‘शिवराज जी, रक्षा बंधन के पावन पर्व के अवसर पर यह हजारों चयनित शिक्षक बहने आपको राखी बांधकर उपहार में अपना नियुक्ति पत्र माँग रही हैं। इनकी आँखें से आँसू बह रहे हैं। ये अपना घर बार छोड़कर भाजपा कार्यालय के सामने सड़कों पर बैठी हैं। इन बहनों के साथ न्याय कीजिये।’’

प्रियंका का सरकार पर निशाना: युवाओं पर लाठियां भांजने से नहीं, रोजगार देने से भारत मजबूत बनेगा

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने पिछले दिनों हुए एसएससी-जीडी परीक्षा के अभ्यर्थियों के प्रदर्शन का हवाला देते हुए बृहस्पतिवार को सरकार पर निशाना साधा और कहा कि युवाओं को लाठियां मारने से नहीं, उन्हें रोजगार देने से भारत मजबूत बनेगा।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘छात्र-छात्राएं परीक्षा पास कर चुके हैं। पद खाली पड़े हैं। लेकिन रोजगार मांगने पर एसएससी-जीडी के अभ्यर्थी छात्र-छात्राओं को लाठियां मिल रही हैं। युवाओं को लाठियां मारने से नहीं, उन्हें रोजगार देने से भारत मजबूत बनेगा।’’

खबरों के मुताबिक, एसएससी जीडी परीक्षा में उत्तीर्ण उम्मीदवारों ने मंगलवार को नियुक्ति पत्र जारी करने की मांग करते हुए जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने उन पर कथित तौर पर लाठीजार्च किया और कई लोगों को हिरासत में ले लिया।

रोजगार की मांग कर रहे अभियर्थियों द्वारा सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन युवा हल्ला बोल के बैनर तले आयोजित किया गया था।

जिसमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, असम सहित कई अन्य राज्यों के विद्यार्थी विरोध दर्ज कराने के लिए पहुंचे थे।

उनका कहना है कि 3 साल से सरकार ने जीडी भर्ती की प्रक्रिया को रोक रखा है। इससे पहले जुलाई महीने में भी सरकार के खिलाफ इस संदर्भ में विरोध प्रदर्शन किया गया था।

देशभर में बरोजगारी अपने चरम पे

देश में अगर बेरोज़गारी को देखे तो पुरे देश हाहाकार मचा हुआ है। रोज़गार मिलने की जगह लोगो का रोजगार छिना है। इसी दौर में हज़ारों-लाखों लोगों ने अपने रोज़गार को छिनते देखा। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार फरवरी 2019 में देश मे बेरोज़गारी दर 7.2 फीसदी रही। CMIE ने जनवरी 2019 में एक आंकड़ा जारी किया जिसके अनुसार नोटबंदी और जीएसटी के चलते 2018 में 110 लाख लोगों की नौकरियां चली गईं। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की बेरोजगारी दर 2017-18 में 45 वर्ष के उच्‍चतम स्‍तर पर पहुंच गई थी। CMIE के अनुसार 2020-21 में salaried jobs में 98 लाख की गिरावट हुई। 2019-20 में 8 करोड़ 59 लाख salaried jobs से ये आंकड़ा घटकर मार्च 2021 में 7.62 करोड़ आ गया।CMIE की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर में अप्रैल-मई के महीने में 2.27 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए। बेरोजगारी दर 12% पहुँच गयी।

20 जून के Indian Express की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल मई के 42.29 लाख की तुलना में इस साल मई में मात्र 8 लाख लोगों ने मनरेगा के तहत काम किया अर्थात 83% की अकल्पनीय गिरावट हुई।

मोदी सरकार की मार सरकारी सेक्टर पर भी पड़ी है। और वहां रोज़गार के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। हमारे देश मे एसएससी, आईबीपीएस(बैंक), और आरआरबी(रेलवे) ये मुख्यतौर पर विशेष रिक्रूटमेंट बोर्ड्स हैं जिनका काम विभिन्न सरकारी विभागों में अलग-अलग पदों के लिए उम्मीदवारों का चयन करना हैं। एक नज़र डालते हैं आंकड़ो पर :

एसएससी सीजीएल की साल 2013 में कुल 16114 वेकैंसी थी जो साल 2020 में गिरकर 7035 हो गयी। यानी साल 2020 की तुलना साल 2013 से करें तो लगभग 56 फीसदी की गिरावट देखने को मिली हैं।

इसके अलावा बैंकिंग क्षेत्र की बात करें, तो साल 2013 में आईबीपीएस (PO) की 21680 वेकैंसी थीं जो साल 2020 में महज़ 1167 रह गयी। यहां 2020 की तुलना 2013 से करें तो करीब 95 फीसदी की भारी गिरावट देखने को मिलती है। ये बैंकिंग क्षेत्र में रोज़गार का सूरत-ऐ-हाल बयां करता है।

वही सिविल सेवा परीक्षा यानी यूपीएससी की बात करें तो साल 2013 में इसकी 1000 वेकैंसी थीं तथा साल 2020 में ये संख्या 796 थी।

बेरोज़गारी का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मार्च 2019 में रेलवे ग्रुप डी और NTPC को रजिस्ट्रेशन चालू किया गया जिसके बाद बेहद चौंका देने वाले आंकड़े सामने आए। इन दोनों परीक्षाओं के लिए 2.4 करोड़ से भी अधिक आवेदन प्राप्त किये गए जो भारत मे बेरोज़गारी के हालात को बखूबी बयां करता है। इसके अलावा रेलवे के खजाने में फीस के रूप में करोड़ों रुपए आये। आवेदन शुल्क के नाम पर छात्रों से 500 रुपये लिए गए जिसमें से 400 रुपये पहले चरण की परीक्षा के बाद वापस लौटाने का वायदा किया गया। लेकिन साल 2019 की ये परीक्षा अबतक चल ही रही है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

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