आदिवासियों पर बनी फ़िल्में उनके प्रति समाज और सरकार की सोच को कितना बदल पाएगी?
बेहद घने जंगलों के बीच से सरसराती हवा और कलकल बहती नदी, ख़ामोशी का माहौल भी जैसे लफ़्ज़ अदा किए बिना ही एक दूसरे से संवाद कायम करता है। और इन सबके बीच खड़े होकर द एलिफेंट व्हिस्परर्स के बोम्मन कहते हैं, "मैं कट्टूनायकन (Kattunayakan) हूं, कट्टूनायकन का मतलब होता है जंगल का राजा।''
उपरोक्त संवाद के बाद डॉक्यूमेंट्री में जो तस्वीरें तैरने लगती हैं वे होती हैं, हरे जंगल, नदी में गिरे पत्ते, नदी का पानी इतना साफ की पत्ते पर पड़ी लकीरे भी दिखती हैं, बोम्मन कहते हैं, ''ये मेरा घर है, यहां जंगली जानवर आज़ादी से घूमते हैं, साथ ही ये वे ज़मीन है जहां मेरे पूर्वज पीढ़ियों से रहते आए हैं''।
इंसान, जंगल और उसमें बसर करने वाली ज़िंदगी कैसे एक दूसरे का सम्मान करती है और कैसे नेचर और इंसान बिना किसी खींचतान के एक दूसरे को समझते हैं, इन्हीं सब चीजों को दर्शाती है 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' की कहानी।
बोम्मन कहते हैं, ''मैं कट्टूनायकन हूं जिसका मतलब होता है जगंल का राजा।'' दरअसल कट्टूनायकन ट्राइब तमिलनाडु में रहती है। डॉक्यूमेंट्री में मुदुमलाई टाइगर रिज़र्व में इनकी ज़िंदगी से जुड़े बहुत से पहलू दिखाए गए हैं। मसलन, वे कैसे रहते हैं, उनके संस्कार कैसे हैं और उनका और प्रकृति के बीच कैसा रिश्ता है।
ये तो बात हुई 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' की जिसे इस साल ऑस्कर में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री कैटेगरी में अवार्ड मिला है। वहीं बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग के लिए ऑस्कर जीतने वाली दूसरी फ़िल्म RRR के कुछ संवादों पर ग़ौर करते हैं।
फिल्म आरआरआर में वेंकट अवधानी और एडवर्ड एक दूसरे से कुछ इस तरह संवाद करते हैं जिसका कुछ अंश नीचे दिया गया है :
वेंकट अवधानी (Venkat Avadhani) - हाल ही में जब स्कॉट (Scott) साहब आदिलाबाद आए, तो एक छोटी बच्ची को ले आए, उसी के बारे में बात करने के लिए नवाब साहब ने मुझे यहां भेजा है। आप उसे उसके घर भेज देते तो अच्छा होता, हमारे पुलिस डिपार्टमेंट और नवाब साहब का भी यही मानना है।
एडवर्ड ( Edward) - ऐसा क्यों?
वेंटक अवधानी (Venkat Avadhani) - वे दरअसल गोंडों की बच्ची है।
एडवर्ड ( Edward)- तो, क्या उनके सिर पर सींग होते हैं?
वेंटक अवधानी (Venkat Avadhani) - न, न, भोले लोग हैं, हर जुल्म सह लेते हैं, पर उनकी एक ख़ास बात है, वे भेड़ की तरह झुंड में रहना पसंद करते है, और अगर उनका एक भी मेमना खो जाए तो पागल हो जाते हैं, इसीलिए उनका एक गड़ेरिया होता है, जो दिल-ओ-जान से उनकी हिफ़ाज़त करता है।
एडवर्ड ( Edward)- तो क्या ये गड़ेरिया हम पर तीर चलाएगा?
वेंटक अवधानी (Venkat Avadhani) - मुझे ग़लत न समझें, मैं सिर्फ़ उनके बारे में बताने की कोशिश कर रहा हूं, ये आदमी किसी भी हद तक जा सकता है और कुछ भी कर सकता है, इस लड़की की ख़ातिर वो हर जगह नदी, जंगल, बिहड़, हर जगह तलाश करके रहेगा, फिर चाहे वे मेमना शेर के मुंह में ही क्यों न हो, ज़रूरत पड़ी तो वे इस शेर का जबड़ा तोड़कर भी उस मेमने को बचा कर रहेगा, सुनने में आया है कि अब ये शिकार करने दिल्ली पहुंच चुका है'।
लंबे इंतज़ार के बाद इस साल ऑस्कर जीतने वाली इन दोनों फ़िल्मों में जो बातें कॉमन हैं वो ये है कि दोनों ही फ़िल्म साउथ की हैं। और दोनों ही फ़िल्में आदिवासियों से जुड़ी हैं। (हालांकि RRR अंग्रेजों के वक़्त की कहानी बयां करती है लेकिन वे भी गोंड जनजाति से जुड़ी है, गोंड आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाले कोमाराम भीम के अलावा अल्लूरी सीताराम के संघर्ष से प्रेरणा लेकर फिल्म को बनाया गया है।)
'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' जहां तमिलनाडु की कट्टूनायकन जनजाति से जुड़ी है वहीं फ़िल्म RRR में आदिलाबाद की गोंड जनजाति का ज़िक्र किया गया है।
जैसे ही ऑस्कर अवार्ड का ऐलान हुआ इन दोनों फ़िल्मों से जुड़े हर एक पहलू पर चर्चा शुरू हो गई, सोशल मीडिया से लेकर तमाम पुराने ट्वीट और मीडिया रिपोर्ट एक बार फिर से वायरल होने लगे।
इसे भी पढ़ें: ऑस्कर अवॉर्ड : 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' ने दिलाया भारत की महिलाओं को सम्मान
जल-जंगल और ज़मीन पर चर्चा होगी?
और इसके साथ ही आदिवासियों के जल-जंगल और ज़मीन से रिश्ते और उनके हक की भी बात होने लगी। कवि, लेखक और स्वतंत्र पत्रकार जसिंता केरकेट्टा ( Jacinta Kerketta ) ने ट्वीट कर कहा,
''आदिवासी इलाकों में खनन के कारण लगातार हाथियों और आदिवासियों का सामंजस्य बिगड़ रहा है। जंगल और वन्य जीवों के साथ उनके सामंजस्य की कहानी ने देश को ऑस्कर दिलाया है, पर जश्न मनाते लोग उनके जल-जंगल-ज़मीन के संघर्ष के साथ भी खड़े हो सके तभी सच्चे अर्थ में ऐसे जीवन का सम्मान हो सकेगा''।
आदिवासी इलाकों में खनन के कारण लगातार हाथियों और आदिवासियों का सामंजस्य बिगड़ रहा है. जंगल और वन्य जीवों के साथ उनके सामंजस्य की कहानी ने देश को ऑस्कर दिलाया है. पर जश्न मनाते लोग उनके जल-जंगल-ज़मीन के संघर्ष के साथ भी खड़े हो सकें तभी सच्चे अर्थ में ऐसे जीवन का सम्मान हो सकेगा. pic.twitter.com/Lewpk1KaUN
— Jacinta Kerketta (@JacintaKerkett2) March 13, 2023
वहीं 'ट्राइबल आर्मी' नाम के एक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, ''देश के सबसे पुराने बाशिंदे आदिवासियों के जीवन और संघर्ष की वास्तविक कहानियों पर आ रही फिल्में और डॉक्यूमेंट्री भारतीय सिनेमा को मज़बूती प्रदान करने के साथ विश्व स्तर पर एक नई पहचान दिला रही है। RRR, Jai Bhim, Skater Girl, 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' ने इस प्रमाण को साबित भी किया है''।
देश के सबसे पुराने बाशिंदे आदिवासियों के जीवन और संघर्ष की वास्तविक कहानियों पर आ रही फिल्में और डॉक्यूमेंट्रीयां भारतीय सिनेमा को मजबूती प्रदान करने के साथ विश्व स्तर पर एक नई पहचान दिला रही है। RRR, Jai Bhim, Skater Girl, द एलीफेंट व्हिस्परर्स ने इस प्रमाण को साबित भी किया है। pic.twitter.com/rYVF9L8qab
— Tribal Army (@TribalArmy) March 13, 2023
वहीं दिलीप मंडल ने तो इस बहाने ट्विटर पर एक लंबी बहस छेड़ दी। उन्होंने ऑस्कर में फिल्म के मुख्य किरदारों की मौजूदगी न होने पर सवाल खड़े किए लेकिन साथ ही फ़िल्म को बधाई देते हुए लिखा, "बोम्मन, बेल्ली अम्मू और रघु के साथ ही पूरी कट्टूनायकन ट्राइब 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' के सुपर स्ट्रार हैं, जिन्होंने लीड रोल अदा किए, बधाई''
Bommon, Bellie, Ammu & Raghu, along with the rest of the Kattunayakan Tribe are the super stars of #ElephantWhisperers #Oscar they played the lead roles. Congratulations 👏🏽 https://t.co/3A2HQF3Dcu
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) March 13, 2023
सोशल मीडिया पर दोनों ही फ़िल्मों की जमकर तारीफ़ के साथ ही बधाइयों का तांता लगा था लेकिन इन सबके बीच आदिवासियों से जुड़े जल-जंगल और ज़मीन के मुद्दे भी उठाए गए। और ये भी पूछा गया कि ''जब आदिवासी अपने संवैधानिक अधिकारों जल, जंगल और ज़मीन से जुड़े मुद्दों पर आंदोलन करते हैं, आवाज़ उठाते हैं तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता है, उन्हें नक्सली तक क्यों बोल दिया जाता है''?
इसे भी पढ़ें: हाथी हमारे बच्चों की तरह हैं: 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' की मुख्य किरदार निभाने वाली बेल्ली
''अब आदिवासियों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता''
इन सवालों के जवाब तलाश करने की कोशिश के दौरान हमने आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले हिमांशु कुमार से बात की और उनसे पूछा कि आदिवासियों से जुड़ी कहानियों को इतने बड़े मंच पर सराहा जा रहा है तो क्या इससे आदिवासियों को भी फायदा होगा?
हिमांशु कुमार ने जवाब में कहा, वैसे तो मैं फ़िल्में नहीं देखता लेकिन आदिवासियों से जुड़ी फ़िल्मों को अगर सम्मान मिला है तो ये बहुत ही ख़ुशी की बात है।
वो आगे कहते हैं, पहला सवाल ये है कि आदिवासियों से जुड़ी कहानी दिखाई क्यों जा रही है और उसे इतना महत्व क्यों दिया जा रहा है? दुनियाभर की भविष्य की जो इकोनॉमिक फोर्सेस हैं उन्हें नेचुरल रिसोर्सेज की ज़रूरत होगी और नेचुरल रिसोर्सेज इन आदिवासी इलाकों में हैं। आदिवासी कम्युनिटी अब संगठित हो रही है, अपने संवैधानिक अधिकारों को पहचान रही है, संविधान भी उन्हें समर्थन दे रहा है, आने वाले वक़्त में आदिवासियों के साथ बातचीत करके ही दुनिया की इकोनॉमी सर्वाइव कर पाएगी।"
जब उनसे पूछा कि जब आदिवासी अपने अधिकारों की बात करते हैं तो उन्हें परेशान किया जाता है। तो हिमांशु कुमार ने अपने जवाब में कहा, आदिवासियों के पास रिसोर्सेज हैं उन्हें ज़बरदस्ती छीना जाता है, हड़पा जाता है और ये गैर आदिवासी राजनेता, गैर आदिवासी कॉर्पोरेट, और जिनका इकोनॉमिक पावर पर क़ब्जा है वे करते हैं क्योंकि वे इन सबका फायदा उठाना चाहते हैं। लेकिन जिस तरह से आदिवासी युवा, आदिवासी कम्युनिटी अपने अधिकारों को धीरे-धीरे पहचान रही है, जागरुकता आ रही है, संगठित हो रहे हैं उससे अब आदिवासियों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। वे पहचान रहे हैं कि भविष्य में हमें आदिवासियों के साथ बातचीत करनी होगी, तब वे अब उन्हें तवज्जो देना भी शुरू कर रहे हैं।
इसमें कोई शक नहीं कि देश के लिए बहुत बड़े गौरव की बात है कि इतने बड़े मंच पर भारत की फ़िल्मों को सराहा गया है लेकिन जिनसे जुड़ी ये कहानियां है. हो सकता है अब उनके बारे में भी उस अंदाज़ में बातचीत होगी जिसकी उन्हें ज़रूरत है।
अवार्ड ने नज़रिया बदल दिया
इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है इस अवार्ड ने कैसे लोगों के नज़रिए को बदल दिया है। बात करें RRR की तो जिस वक़्त फिल्म का ट्रेलर जारी हुआ था तभी फ़िल्म विवादों में घिर गई थी। कुछ मीडिया रिपोर्ट पर नज़र डालें तो दिखता है कि उस वक़्त तेलंगाना के बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय ने फ़िल्म में आदिवासी नेता कोमराम भीम पर आधारित एक सीन पर आपत्ति जताई थी, ये आपत्ति वेशभूषा को लेकर उठाई गई थी। लेकिन जैसे ही फ़िल्म को ऑस्कर मिला बंदी संजय के सुर भी बदल गए उन्होंने ट्वीट कर फ़िल्म की पूरी टीम को बधाई दी।
Congratulations and best wishes to team @RRRMovie for clinching the best original song #NaatuNaatu at #Oscars . This moment is historic for Indian cinema and particularly for Telugu people. Proud of @Rahulsipligunj for his performance today which truly deserved standing ovation pic.twitter.com/4ICLiSMLNT
— Bandi Sanjay Kumar (@bandisanjay_bjp) March 13, 2023
क्या वाकई एक पुरस्कार नज़रिया बदलने की क़ुव्वत रखता है?
बहरहाल बात द एलिफेंट व्हिस्परर्स की हो या फिर आदिवासियों से जुड़ी फ़िल्म कंतारा या किसी और फिल्म की इन फ़िल्मों में आदिवासी समुदाय का जिस तरह से नेचर के साथ संबंध दिखाया गया है, वह बेशक एक समझ पैदा करता है। लेकिन क्या फ़िल्मों के माध्यम से जो संदेश देने की कोशिश की जा रही है क्या वे महज़ बधाइयों तक ही सिमट जाएगी या फिर बात उससे आगे बढ़ेगी और आदिवासियों को उनका हक दिलाने तक पहुंचेगी?
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।