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यूपी : सरकारी स्‍कूलों में शिक्षकों के खाली पड़े हैं 85,152 पद

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने विधानसभा को बताया कि कोई नई भर्ती अभियान नहीं चलाया जाएगा जबकि लाखों बी-एड स्नातक नौकरियों का इंतजार कर रहे हैं।
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प्रतीकात्मक तस्वीर।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के तहत चलने वाले (प्राथमिक और उच्च-प्राथमिक) कक्षा 1 से 8 तक के सरकारी स्कूलों में हेडमास्टर और सहायक शिक्षकों के 85,152 से अधिक पद खाली पड़े हैं। लेकिन बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने मंगलवार को कहा कि शिक्षा के खाली पड़े पदों या शिक्षण नौकरियों के लिए कोई नई भर्ती नहीं होगी।

याद दिला दें कि लाखों बैचलर ऑफ एजुकेशन(बी.एड) ग्रेजुएट नई भर्ती की मांग को लेकर पिछले कई सालों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

संदीप सिंह ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अनिल परधान और अभय सिंह द्वारा पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि राज्य के बुनियादी शिक्षा के क्षेत्र में वर्तमान में कुल 6,28,915 शिक्षक हैं जिसमें अंशकालिक अनुदेशक, शिक्षा मित्र और सहायक शिक्षक भी शामिल हैं।

मंत्री ने विधानसभा को बताया कि परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 10,506,379 छात्र नामांकित थे, जिसमें छात्र-शिक्षक अनुपात 31:1 है, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक 31 छात्रों पर एक शिक्षक। प्राथमिक विद्यालयों में 30 छात्रों पर एक शिक्षक तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 35 छात्रों पर एक शिक्षक का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि इसके अनुसार प्राथमिक विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षक हैं।

मंत्री ने आगे कहा कि शिक्षा मित्रों सहित प्राथमिक विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात 21:1 है, जो मानक आवश्यकताओं को पूरा करता है।

उन्होंने सदन को यह भी बताया कि सत्तारूढ़ सरकार ने 2017 से 1,26,371 नए शिक्षकों की भर्ती की है।

विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्तर पर 1.26 लाख से अधिक शिक्षण रिक्तियों की मौजूदगी को स्वीकार किया था।

फिर भी, सरकार ने शिक्षण पदों के लिए कोई नई भर्ती अभियान नहीं चलाने के अपने फैसले की पुष्टि की है।

टूटते सपने

राज्य सरकार के अनुसार, बेसिक शिक्षा परिषद के दायरे में आने वाले परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों और सहायक अध्यापकों के 4,17,886 स्वीकृत पदों की तुलना में 85,152 पद रिक्त पड़े हैं।

उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए स्वीकृत 1,62,198 पदों में से प्रधानाध्यापकों और सहायक अध्यापकों के 41,338 पद खाली पड़े हैं।

प्राथमिक, माध्यमिक के साथ-साथ उच्च शिक्षा में शिक्षकों की कमी ने शिक्षा क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, लगभग 5,000-7,000 ऐसे सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूल हैं जो या तो शिक्षकों की अनुपस्थिति के कारण बंद पड़े हैं या उनमें केवल एक ही शिक्षक हैं।

लाखों बीएड आवेदक, जिन्होंने केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) और उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) दोनों को सफलतापूर्वक पास किया है, शिक्षक रिक्तियों के भरने का इंतज़ार कर रहे हैं।

2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए, आवेदक कुछ उम्मीद जताए हुए थे कि सरकार शिक्षक रिक्तियों का विज्ञापन करेगी। हालांकि, बेसिक शिक्षा मंत्री द्वारा यह कहने के बाद कि नई भर्ती की कोई योजना नहीं है, उन्हें निराशा हुई है।

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने आखिरी बार 2018 में जूनियर शिक्षकों की भर्ती के लिए एक विज्ञापन प्रकाशित किया था। तब से, कोई विज्ञापन या भर्ती नहीं की गई है। सबसे अहम सवाल यह उठता है कि हर साल बीटीसी और बीएड कार्यक्रम लेने वाले छात्रों का क्या होगा?

मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बीएड छात्र संघर्ष मोर्चा (बीसीएसएम) के अध्यक्ष राहुल विद्यार्थी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि यह स्पष्ट है कि सरकार का भर्ती करने का कोई इरादा नहीं है। इसलिए यह कहा जा रहा है कि यूपी में शिक्षकों और छात्रों का अनुपात ठीक है।

“मूल रूप से, शिक्षा मंत्री ने छात्र-शिक्षक अनुपात में हेरफेर किया है। जब सरकार मानती है कि राज्य में 85,152 से अधिक प्राथमिक शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं, तो रिक्त पदों को भरने के लिए शिक्षकों की भर्ती करनी चाहिए। लेकिन वे पांच साल से शिक्षकों और छात्रों के अनुपात का खेल खेल रहे हैं, जिससे लाखों उम्मीदवारों का करियर बर्बाद हो गया है।''

विद्यार्थी ने कहा कि सरकार शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों को भी सरकारी शिक्षकों में गिन रही है, लेकिन जब वेतन और अन्य सरकारी सुविधाओं की बात आती है, तो वे इन पैरा-शिक्षकों को समान वेतन नहीं देते हैं।

“इस तरह वे राज्य के युवाओं को बेवकूफ बना रहे हैं। हालांकि, जब सरकार और सुप्रीम कोर्ट शिक्षा मित्रों को स्थायी शिक्षक नहीं मानते हैं तो उन्हें या तो शिक्षकों की भर्ती करनी चाहिए या पैरा शिक्षकों को समान दर्जा देना चाहिए।"

इस बीच, नई भर्ती की मांग को लेकर सैकड़ों आवेदक पिछले कई महीनों से लखनऊ के इको गार्डन में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

प्रदर्शनकारी आवेदक रवि ने कहा कि, "पिछले पांच वर्षों में शिक्षक भर्ती नहीं हुई है। योग्य उम्मीदवारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जब हम विरोध करते हैं तो हमें गिरफ्तार कर लिया जाता है। अगर सरकार के पास भर्ती की कोई योजना नहीं है तो उन्हें सभी पाठ्यक्रमों को बंद कर देना चाहिए।" रवि ने न्यूज़क्लिक को बताया कि 15,000 से अधिक आवेदकों को पड़ोसी राज्य बिहार में सरकारी शिक्षकों के रूप में चुना गया था क्योंकि उनके अपने राज्य, यूपी में कोई रिक्ति नहीं थी।

मूल अंग्रेजी लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

UP: 85,152 Primary Teacher, Headmaster Posts Vacant in Govt Schools, but no Plan for New Recruits

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