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“ग़रीबों का ख़ून मीठा लगता है इन्हें”, यूपी भाजपा सह-प्रभारी पर ज़मीन हड़पने का आरोप!

“सुनील ओझा ने हमारी साढ़े दस बिस्वा की ज़मीन दबंगई से कब्ज़ाई है। वो हमें जोतने-बोने नहीं दे रहे हैं। आख़िर हम अपनी ज़मीन कैसे छोड़ दें?”
sunil ojha

उत्तर प्रदेश भाजपा के सह प्रभारी सुनील ओझा और उनके गड़ौली आश्रम पर गंभीर आरोप हैं की उन्होंने गांव वालों सहित किसानों की ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा किया है। जिन लोगों की ज़मीनों को कथित तौर पर हथियाने का आरोप है उनके पक्ष को समझते हुए पेश है एक ग्राउंड रिपोर्ट।

मिर्ज़ापुर जिले के मझवां प्रखंड के गड़ौली गांव के रामबलि सिंह सिर्फ तीन बीघा ज़मीन के मालिक हैं। खेती के अलावा इनके पास आय का कोई दूसरा साधन नहीं है। पति-पत्नी, चार बच्चे और तीन बहुओं की आजीविका इसी ज़मीन से चलती है। वह गरीब ज़रुर हैं, लेकिन मेहनत से पीछे नहीं हटते हैं। वो हमें अपने सरसों के खेत में काम करते मिले, उनके चेहरे पर निराशा तो नहीं थी, लेकिन एक ग़म ज़रूर था जिसे जानने की हमनें कोशिश की।

रामबलि हंसते-मुस्कुराते हुए बात करते हैं और कहते हैं, "हमें योगी सरकार से कोई रंज नहीं है, लेकिन भाजपा के सह प्रभारी सुनील भाई ओझा और उनके लग्घुओं-बज्झुओं से हमारी ढेरों शिकायतें हैं। इनके इशारे पर हमारी और हमारे जैसे डेढ़ दर्जन लोगों की ज़मीने जबरन घेर ली गई हैं। वो इतने लोभी हैं कि दलितों की ज़मीन लूटते हुए भी उन्हें शर्म नहीं आती। गड़ौली के लोग असहाय हैं। कोई उपाय नहीं सूझ रहा है। सरकार हमारी सुनती नहीं और वो इतने दबंग हैं कि हम चाहकर भी उनका मुकाबला नहीं कर सकते। सत्ता के मद में इतने चूर हैं कि वो किसानों को ज़मीन का वाजिब दाम देने के लिए भी तैयार नहीं हैं। शायद गरीबों का खून मीठा लगता है इनको।"

गड़ौली आश्रम के मुखिया भाजापा नेता सुनील भाई ओझा

रामबलि सिंह के चेहरे पर मेहनत का पसीना झलकता है और वह आत्मविश्वास से लबरेज़ दिखते हैं, लेकिन गड़ौली धाम का ज़िक्र आते ही उनका चेहरा उदास हो जाता हैं। वह कहते हैं, "हम शिकायत करते-करते हार गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक हमारी गुहार नहीं पहुंच पा रही है। हम न्याय की उम्मीद छोड़ चुके हैं। दो बरस से हमारी ज़मीन सुनील भाई ओझा के कब्ज़े में है। हमारी ज़मीन पर उन्होंने गिट्टी, बालू और ईंट-बजरी डाल रखी है, जिसे वो हटाने के लिए तैयार नहीं है। हमारी ज़मीन अब ऐसी हो गई है कि वो जोतने-बोने लायक नहीं रह गई है।"

गुजरात के मूल निवासी सुनील भाई ओझा यूपी में भाजपा के सह प्रभारी हैं। मिर्ज़ापुर के मझवा प्रखंड के गड़ौली गांव में उनकी संस्था काम करती है, जिसका नाम है-ओएस बालमुकुंद फाउंडेशन। संस्था की देख-रेख दीपक दीक्षित और संध्या दुबे करती हैं। कहा जाता है कि कागज़ पर सुनील भाई ओझा के नाम कुछ भी नहीं है, लेकिन सर्वे-सर्वा वहीं हैं। परिसर को नाम दिया गया है-गड़ौली धाम। यह स्थान काफी मनोरम और गंगा नदी के किनारे है। 12 फरवरी 2022 को यहां बालेश्वर महादेव शिवलिंग स्थापित किया गया था। उस वक़्त किसानों को भरोसा दिलाया गया था कि गड़ौली धाम परिसर में वेद विद्यालय, आयुर्विज्ञान केंद्र, ऑडिटोरियम और गौ मंदिर बनाए जाएंगे। युवाओं को रोज़गार और नौकरियां मिलेंगी।

भाजपा नेता सुनील भाई ओझा पर गंभीर आरोप है कि उन्होंने गड़ौली ग्राम सभा की 38 बिस्वा 3 धुर ज़मीन (जीएस) को घेरकर अवैध तरीके से अपनी ज़मीन में मिला लिया। ग्राम प्रधान मनीषा कन्नौजिया (पत्नी सुरेश कन्नौजिया) की गुहार भी काम नहीं आई। लोगों का कहना है कि उन्होंने जीएस की ज़मीन से कब्ज़ा छोड़ने का निवेदन किया तो उन्हें फटकार सुननी पड़ी। बाद में गड़ौली के कमहरिया निवासी मृत्युंजय सिंह ने कथित तौर पर अवैध तरीके से कब्ज़ाई गई ज़मीन को बचाने की मुहिम छेड़ी। मृत्युंजय कहते हैं, "भाजपा नेता सुनील भाई ओझा ने अपने पद और रुतबे का धौंस दिखाते हुए गड़ौली गांव के करीब डेढ़ दर्जन गरीब किसानों की ज़मीने भी हथिया ली हैं। इसी बीच उन्होंने गड़ौली ग्राम सभा की ज़मीन पर पक्की गोशाला और भोजनालय का निर्माण भी करा लिया। ग्राम समाज की ज़मीन को बचाने के लिए हमने सबसे पहले थाना दिवस में अर्ज़ी दी। फिर तहसीलदार, एसडीएम, डीएम, कमिश्नर के यहां शिकायत दर्ज कराई। शिकायत-दर-शिकायत के बावजूद पुलिस और अफसर चुप्पी साधे रहे।"

मृत्युंजय सिंह बताते हैं, "मिर्ज़ापुर के अफसरों की देहरी पर मत्था टेकने के बावजूद जब न्याय नहीं मिला तो हमने इलाहाबाद कोर्ट संख्या-58 में 03 दिसंबर 2022 को एक जनहित याचिका संख्या-2279 दाखिल की। इस याचिका में हमने ओएस बालमुकुंद ट्रस्ट की ट्रस्टी संध्या दुबे, मिर्ज़ापुर के डीएम, एसडीएम, तहसीलदार और लेखपाल को प्रतिवादी बनाया। माननीय न्यामूर्ति विकास ने 12 दिसंबर 2022 को गड़ौली में ग्राम सभा की 0.4810 हेक्टेयर (38 बिस्वा 3 धुर) ज़मीन (गाटा संख्या-2623) के बाबत दो हफ्ते के अंदर संबंधित पक्ष को जवाबदेही दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही यह भी कहा कि जवाबदेही दाखिल होने के एक हफ्ते के अंदर मैं खुद अपनी आपत्ति दायर करूं। कोर्ट के आदेश की मियाद बीत चुकी है और उन्होंने अभी तक काउंटर एफिडेविट दाखिल नहीं किया है। फिलहाल मामले की सुनवाई 13 मार्च 2023 को होनी है।"

गड़ौली प्रकरण में हाईकोर्ट का आदेश 

इलाहाबाद कोर्ट की सख्ती का नतीजा यह रहा कि मिर्ज़ापुर प्रशासन ने भाजपा नेता सुनील भाई ओझा के गड़ौली धाम की कथित कारगुजारियों की एक विस्तृत रिपोर्ट शासन को भेजी। मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा तो उन्होंने अफसरों को आड़े हाथ लिया। सरकार का हुक्म मिलते ही 05 मार्च 2023 को प्रशासनिक अमला बुलडोज़र लेकर गढ़ौली धाम पहुंचा और ग्राम समाज की ज़मीन पर अवैध तरीके से खड़ी की गई पक्की गोशाला और भोजनालय को ढहाना शुरू कर दिया और कथित तौर पर भाजपा नेता द्वारा कब्ज़ाई गई ज़मीन को अवैध कब्ज़े से मुक्त कराने के लिए देर रात तक बुलडोज़र चलते रहे। कई घंटे तक चली इस कार्रवाई में ग्राम समाज की ज़मीन पर बनी गोशाला, कुछ कमरे, टिन शेड आदि को तोड़ दिए गए। ध्वस्तीकरण अभियान का नेतृत्व खुद मिर्ज़ापुर के एसडीएम (सदर) चंद्रभानु सिंह कर रहे थे। गोशाला में करीब डेढ़ दर्जन गायें थीं। आश्रम की रखवाली के लिए वहां छह सुरक्षाकर्मी भी तैनात थे।

गड़ौली आश्रम की गायें

भाजपा के उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी सुनील भाई ओझा द्वारा कथित तौर पर कब्ज़ाई गई ज़मीन पर बुलडोज़र चलने के बाद उन किसानों में भी भरोसा जगने लगा है, जिनका आरोप है की उनकी भी ज़मीने उन्होंने दबंगई से हथिया ली है। गड़ौली कमहरिया पुरवा के किसान रामबलि ने हमसे बात करते हुए कहा, "सुनील ओझा ने हमारी साढ़े दस बिस्वा की ज़मीन दबंगई से कब्ज़ाई है। वो हमें जोतने-बोने नहीं दे रहे हैं। आख़िर हम अपनी ज़मीन कैसे छोड़ दें? ओएस बालमुकुंद ट्रस्ट से जुड़े दीपक दीक्षित व संध्या दुबे हमें धमकी दे रहे हैं। वो हमें अपनी ही ज़मीन पर 'हल' चलाने नहीं दे रहे हैं।"

गड़ौली कमहरिया पुरवा के मुनेश्वरी शरण मिश्र, सौरभ और शिवम की शिकायत भी रामबलि सिंह से मिलती-जुलती है। आरोप है कि इनकी आठ बिस्वा ज़मीन पर सुनील ओझा के गड़ौली आश्रम का अवैध कब्ज़ा है। गोशाला पर बुलडोज़र चलने के बाद तीनों भाई अब मुखर होकर आवाज़ उठा रहे हैं। आरोप है कि अफियाबीर पुरवा निवासी टी.राम यादव, ढुनमुन यादव, मंशाराम यादव, जगत नारायण यादव (पुत्र-स्व.झगड़ू यादव) की करीब साढ़े नौ बिस्वा ज़मीन पर गड़ौली आश्रम का अवैध कब्ज़ा है। टी.राम कहते हैं, "आख़िर हम किसके यहां गुहार लगाएं? सिर्फ बाबा (योगीजी) पर आस टिकी है। शायद हमारी बात उन तक पहुंच जाए और हम अपनी ज़मीनों में हल चलाने की हिम्मत जुटा सकें।"

गड़ौली में ग्राम सभा की इसी ज़मीन पर पक्की गोशाला बनाने का आरोप

गड़ौली के पूर्व प्रधान विनोद कुमार पुत्र शोभनाथ दलित समुदाय से आते हैं। प्रशासन की अनुमति के बगैर इनकी ज़मीन खरीदी तक नहीं जा सकती। इनका आरोप है कि भाजपा नेता के नुमाइंदों ने इनकी (विनोद) की छह बिस्वा ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया है। विनोद कहते हैं, "हम अपनी ज़मीन बचाने के लिए लड़ेंगे। सुनील ओझा ने हमारी उस ज़मीन पर गऊ की मूर्ति खड़ी कर दी है, जिसमें हमारे महुआ के पेड़ हैं।"

ये भी आरोप हैं कि स्व.सुखदेव सिंह के पुत्र राम बहादुर और नारायण प्रसाद की पांच बिस्वा ज़मीन जबरन गड़ौली धाम में मिला ली गई है। इसके अलावा आरोपों के इसी क्रम में स्व. इलाका सिंह के पुत्र कैलाश नाथ सिंह, सतीश सिंह, आदित्य नारायण, खुशिहाल सिंह और वीरेंद्र सिंह की दस बिस्वा ज़मीन पर गड़ौली आश्रम का कब्ज़ा है। प्यारेलाल मिश्र पुत्र स्व. राम अधार मिश्र का भी आरोप है कि उनकी दस बिस्वा ज़मीन जबरन घेरी गई है।

गड़ौली में करीब डेढ़ बीघा ज़मीन राम जानकी मंदिर के नाम से है, जिसकी देखरेख व सुरक्षा का जिम्मा शिवपूजन मिश्र और इनके भाई स्व.शिवजतन के पुत्रों को सौंपा गया था। आरोप है कि इस ज़मीन पर भी अब गड़ौली आश्रम का कब्ज़ा है। राम शिरोमणि मिश्र, त्रिभुवन मिश्र, सभाजीत उर्फ बुद्धु मिश्र बताते हैं, "गड़ौली आश्रम में नेताओं के दौरे के समय हेलीपैड बनवाने और सामूहिक शादी-विवाह के लिए हमारी ज़मीन ली गई थी और बाद में उस पर कब्ज़ा कर लिया गया।" इसी क्रम में जगदीश प्रसाद, शोभनाथ, निर्मला देवी आदि भी अपनी दस बिस्वा ज़मीन पर कब्ज़े की बात कर रहे हैं।

किसानों का कहना है कि सत्ता की धौंस के चलते पहले वो चुप थे लेकिन बुलडोज़र कांड के बाद वे भी अब अपनी आवाज़ उठाने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं। गड़ौली ग्राम सभा की ज़मीन बचाने की बात करने वाले मृत्युंजय सिंह हमसे कहते हैं, "भाजपा नेता सुनील भाई ओझा के भ्रष्टाचार का कोई ओर-छोर नहीं है। आश्रम की काफी ज़मीने इन्होंने ओएस बालमुकुंद ट्रस्ट की प्रतिनिधि संध्या दुबे और दीपक दीक्षित के नाम से खरीदी है, लेकिन उसमें भी लफड़ा है। सुनील ओझा ने अपनी संस्था के लिए काफी ज़मीन बनारस के एक कारोबारी आलोक पारिख से खरीदी थी। पारिख ने गड़ौली और आसपास के किसानों से सिर्फ 27,000 रुपये प्रति बिस्वा की दर से ज़मीन का बैनामा कराया, जिसे 50 हज़ार रुपये प्रति बिस्वा की दर से गड़ौली आश्रम को बेच दिया। बताया जा रहा है कि ज़मीन का भाव बढ़ाने के लिए कछवां बाज़ार से मड़ौली धाम और कछवा बाज़ार से कटका पड़ाव तक करीब आठ कि.मी. सड़क को फोर-लेन पास कराया गया है।"

वह आगे कहते हैं, "करीब एक महीने पहले गड़ौली आश्रम की ओर जाने वाली सड़क के बीच से 20 फीट दक्षिण और 20 फीट उत्तर की ज़मीनों की नापी कराई गई थी। हमने यह नहीं मालूम कि सड़क के लिए कितना पैसा मंजूर हुआ है। हमें सिर्फ इतना पता है कि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पास जब लोक निर्माण विभाग का प्रभार था, उसी समय फोर-लेन सड़क को मंजूरी मिली थी। भाजपा नेता सुनील ओझा के बुलाने पर केशव प्रसाद मौर्य समेत दर्जनों मंत्री-नेता कई मर्तबा गड़ौली धाम आ चुके हैं। 8 मार्च 2023 को यहां होली मिलन समारोह आयोजित किया गया, जिसमें भाजपा के काशी जोन के मंत्री आशीष सिंह बघेल समेत कई भाजपा नेता शामिल हुए थे।"

गड़ौली आस्रम में समर्थकों के साथ होली खेलते सुनील ओझा

गांव और किसानों की ज़मीन पर कब्ज़ा किए जाने के इन आरोपों के बाबत हमने भाजपा नेता सुनील भाई ओझा से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन मोबाइल ‘स्विच्ड आफ’ मिला।

कौन हैं सुनील भाई ओझा?

'नवभारत टाइम्स' के पत्रकार मनीष श्रीवास्तव ने गड़ौली धाम को लेकर उपजे विवाद पर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है, जिसमें कहा गया है, "मिर्ज़ापुर में गंगा नदी के किनारे गड़ौली गांव में बना गड़ौली धाम इस वजह से चर्चा में है, क्योंकि भाजपा कार्यकर्ताओं को इस आश्रम में जाने पर रोक लगा दी गई है। आश्रम को चलाने वाले ओएस बालमुकुंद फाउंडेशन के सर्वेसर्वा हैं-सुनील भाई ओझा, जो भाजपा के प्रदेश सह-प्रभारी भी हैं। सुनील ओझा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी रहे हैं और वाराणसी में उनके संसदीय क्षेत्र की भी ज़िम्मेदारी संभालते हैं।

सुनील ओझा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत गुजरात के भावनगर से की थी। वह दो बार भाजपा के टिकट पर भावनगर से विधायक चुने गए। साल 2007 में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे और चुनाव हार गए। इसके बाद उनके और मोदी के बीच दूरियां बढ़ गईं। उस वक़्त गुजरात के सीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी ने अवैध निर्माण के ख़िलाफ़ बड़ा अभियान चलाया था और इस अभियान को लेकर ही सुनील भाई ओझा मोदी से नाराज़ हो गए थे।"

'नवभारत टाइम्स' आगे लिखता है, "भाजपा छोड़ने के बाद सुनील ओझा ने महागुजरात जनता पार्टी नाम से अलग पार्टी भी बना ली थी। हालांकि साल 2011 में वह एक बार फिर मोदी के करीब आ गए। तब उन्हें गुजरात भाजपा का प्रवक्ता बना दिया गया। साल 2014 में नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा से चुनाव लड़ने का फैसला किया तो सुनील ओझा, अरुण सिंह और सुनील देवधर को चुनावी कमान संभालने के लिए भेजा गया। चुनाव के बाद सुनील देवधर और अरुण सिंह ने दूसरी जिम्मेदारियां संभाल लीं, लेकिन सुनील ओझा बनारस में ही रह गए। जब अमित शाह को यूपी भाजपा का प्रभारी बनाया गया तो सुनील भाई ओझा को सहप्रभारी बना दिया गया। तभी से ओझा इस क्षेत्र की ज़िम्मेदारी संभाल रहे हैं। साल 2019 में उन्हें गोरक्ष प्रांत की भी ज़िम्मेदारी दी गई थी। कहते हैं कि भाजपा के छह क्षेत्रों में महत्वपूर्ण माने जाने वाले पूरे काशी क्षेत्र में (जिसमें 14 लोकसभा सीटें और 12 प्रशासनिक जिले आते हैं) उनका काफी दबदबा है।"

नया पावर सेंटर गड़ौली धाम

'नवभारत टाइम्स' के मुताबिक, "ओएस बालमुकुंद फाउंडेशन पहली बार कोविड की दूसरी लहर के वक़्त तब चर्चा में आया था, जब उसके कार्यकर्ताओं ने लोगों को घर-घर खाना पहुंचाना शुरू किया था। इसके बाद सुनील ओझा ने मिर्ज़ापुर में गंगा नदी के किनारे 20 बीघा ज़मीन खरीदी और उस पर आश्रम का निर्माण शुरू किया। आश्रम में बालेश्वर महादेव का भव्य मंदिर है और यहां गौरी शंकर की 108 फुट की प्रतिमा लगाने की तैयारी की जा रही है। आश्रम से जुड़े लोग बताते हैं कि बीती 12 फरवरी को ही आश्रम ने अपना स्थापना दिवस मनाया था, जिसका समारोह पांच दिन तक चला था। इसमें सामूहिक रुद्राभिषेक के साथ ही खेल महोत्सव और 1008 सामूहिक विवाह का आयोजन भी हुआ था। यह आयोजन भी सरकारी विभागों ने अपने पैसे से ही करवाया था।"

गड़ौली आश्रम में स्थापित प्रतिमा

गड़ौली आश्रम के नुमाइंदे 'हर घर गाय' अभियान चला रहे हैं। इस आश्रम की चर्चा उसके आयोजनों के साथ यहां आने वाले 'वीआईपी' को लेकर भी खूब होती है। काशी क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले मंत्रियों के अलावा भाजपा के कई बड़े पदाधिकारी इन आयोजनों में पहुंचते रहे हैं। हाल ही में इस आश्रम में सरकार के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के अलावा केंद्र व राज्य सरकार के कई मंत्री और राष्ट्रीय पदाधिकारी भी पहुंचे थे। इसके बाद से ही इस गड़ौली आश्रम के नया पावर सेंटर बनने को लेकर चर्चा शुरू हो गई। बड़े नेताओं के बाद विधायक, सांसद, मेयर के टिकट के दावेदारों से लेकर काशी क्षेत्र में भाजपा संगठन में जगह पाने की इच्छा रखने वाले भी यहां चक्कर लगाने लगे।"

'नवभारत टाइम्स' के मुताबिक, "गड़ौली आश्रम के पावर सेंटर बनने की चर्चा भाजपा आलाकमान तक भी पहुंच गई, इसके बाद कार्यकर्ताओं को यहां न जाने की हिदायत दे दी गई। यह भी कहा गया कि वह आश्रम के लिए कोई सहयोग न दें। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश के बाद काशी के क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश श्रीवास्तव ने सभी जिलाध्यक्षों, क्षेत्रीय पदाधिकारियों को आदेश दिया है कि कोई भी पदाधिकारी गढ़ौली धाम नहीं जाएगा और न ही किसी तरह का वित्तीय सहयोग देगा। उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री भी मिर्ज़ापुर स्थित गढ़ौली धाम आश्रम नहीं जाएंगे। पार्टी सांसदों से भी दूरी बनाए रखने के लिए कहा गया है।"

गढ़ौली धाम में बीते दिनों कन्याओं के सामूहिक विवाह कार्यक्रम में बालमुकुंद फाउंडेशन के मुखिया सुनील भाई ओझा की ओर से सूबे के मंत्रियों, विधायकों, पार्टी के पदाधिकारियों को न्योता भेजा गया। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने जब इस आयोजन को लेकर काशी क्षेत्र के नेताओं से फीडबैक लिया तो ज़मीन हथियाने के खेल का पर्दाफाश हुआ। बाद में स्पष्ट संदेश दिया गया कि इस आयोजन से पार्टी और सरकार का कोई सरोकार नहीं है। साफ़ है कि, इसमें सरकार के मंत्रियों, विधायकों और पार्टी के पदाधिकारियों के जाने से गलत संदेश जा रहा है।

"गर्दिश में सुनील ओझा के सितारे"

ख़बर है कि भाजपा संगठन की ओर से मंत्रियों को भी आश्रम में नहीं जाने का फरमान सुना दिया गया है। इसके बाद से काशी क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों ने गढ़ौली धाम आश्रम से दूरी बना ली है। काशी क्षेत्र के कुछ भाजपा पदाधिकारी इस पर नज़र भी बनाए हुए हैं कि पार्टी के फरमान के बाद भी कौन-कौन वहां जा रहा है?

लखनऊ के एक चर्चित पोर्टल 'न्यूज़ट्रैक' ने भी गड़ौली आश्रम के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है।

पोर्टल लिखता है, "भाजपा में कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफी करीबी माने जाने वाले वरिष्ठ नेता सुनील भाई ओझा के सितारे इन दिनों गर्दिश में डूबते दिखाई दे रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश श्रीवास्तव को इस सिलसिले में सख्त निर्देश दिया है कि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता गड़ौली धाम न जाएं। अब यहां तक कहा जाने लगा है कि सुनील भाई ओझा को जल्द ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। काशी क्षेत्र में लोकसभा और निकाय चुनाव में टिकट के दावेदार गड़ौली धाम आश्रम में आर्थिक सहयोग के ज़रिए अपनी सियासी राह आसान करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्हें लगता है कि इस मदद के ज़रिए वे आगे चलकर भाजपा का टिकट पाने में कामयाब हो सकते हैं। आश्रम के निर्माण में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की ओर से आर्थिक मदद दिए जाने की शिकायत भाजपा के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच गई है।"

गड़ौली आश्रम में समर्थकों के साथ भाजपा नेता सुनील ओझा

"काशी क्षेत्र में सुनील भाई ओझा का काफी दबदबा माना जाता रहा है, मगर गड़ौली आश्रम को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद उनके सितारे गर्दिश में दिख रहे हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि शीर्ष नेतृत्व की ओर से उठाए गए कदम से साफ संकेत हैं कि आने वाले दिनों में सुनील ओझा के ख़िलाफ़ और भी बड़ा कदम उठाया जा सकता है। भाजपा के पदाधिकारी इस मुद्दे पर खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं है।"

‘न्यूज़ट्रैक’ के मुताबिक, "सुनील भाई ओझा ने यह बात स्वीकार की है कि वह गड़ौली धाम आश्रम फाउंडेशन के मुखिया हैं। उनका कहना है कि आश्रम का पूरा निर्माण बैंक चेक के ज़रिए किया जा रहा है और किसी से भी आर्थिक सहयोग नहीं मांगा गया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की ओर से इस तरह का आदेश क्यों दिया गया है, इसे आदेश देने वाला ही बता सकता है।"

भाजपा के वरिष्ठ नेता इंजीनियर हेमंत राज मीडिया से बातचीत करते हुए कहते हैं, "कुछ न कुछ गलती और कमियां तो हुई हैं, जिसके चलते सुनील भाई ओझा के गड़ौली आश्रम पर सवाल उठ रहे हैं। सारी बात शीर्ष नेतृत्व के संज्ञान में है। काशी क्षेत्र में दो बड़े नाम हैं-सुनील भाई ओझा और महेश चंद्र श्रीवास्तव, जिनके सामने लोग नतमस्त होते हैं। संभव है कि आश्रम के नाम पर चंदा वसूला गया हो। पार्टी हाईकमान इस मामले में ठोस निर्णय लेगा। भाजपा कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए हमें जो कहना था हमने कह दिया। हमारी बातों से पार्टी के कुछ लोग हमसे नाराज़ हो सकते हैं और हमारे ऊपर भविष्य में हमला हो सकता है। ऐसे में शीर्ष नेतृत्व को हमारी सुरक्षा का ध्यान रखना चहिए।"

बनारस के वरिष्ठ पत्रकार विनय मौर्य कहते हैं, "सत्ता की हनक दिखाकर भाजपा नेता सुनील ओझा ने अपने गड़ौली आश्रम के लिए बड़ी संख्या में किसानों की ज़मीन लूटी है, जो चिंता का विषय है। इस बात की जांच-पड़ताल होनी चाहिए कि भाजपा के किन नेताओं और प्रशासनिक अफसरों ने ग्राम समाज और गरीब किसानों की ज़मीन लूटने में आश्रम के लोगों की मदद की? दिल्ली में बैठा वो कौन शख्स है जो बनारस के भाजपा नेताओं को लूट-खसोट करने का मौका दे रहा है, जबकि पीएम व गृहमंत्री इसके सख्त विरोधी हैं? यह सिर्फ एक व्यक्ति का खेल नहीं है। ऐसी कौन सी वजह थी जिसके चलते गंगा एक्सप्रेस वे का नक्शा बदला गया और उसे गड़ौली आश्रम की ओर क्यों ले जाया गया? बनारस शहर में एक चर्चित रेस्टोरेंट चलाने वाले पत्रकार ने गड़ौली गांव में करोड़ों की ज़मीन आख़िर कैसे खरीद ली? आख़िर वह कौन सी वजह है कि गड़ौली धाम में मीडिया को जाने से रोका जा रहा है?”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक अजय राय ने गड़ौली आश्रम को लेकर उपजे विवाद पर त्वरित टिप्पणी करते हुए कहा, "यह बात साफ हो चुकी है कि गड़ौली आश्रम के लोगों ने ग्राम सभा की ज़मीन अवैध तरीके से कब्ज़ा रखी थी, जिसे प्रशासन ने बुलडोज़र लगाकर ढहा दिया है। यह कोई छोटा मामला नहीं है। गड़ौली के तमाम गरीब किसानों की ज़मीनों पर कब्ज़े हुए हैं और वो न्याय पाने के लिए छटपटा रहे हैं। समूचे मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए और जो लोग दोषी हैं उनके ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।"

(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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