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यूपी: अयोध्या में चरमराई क़ानून व्यवस्था, कहीं मासूम से बलात्कार तो कहीं युवक की पीट-पीट कर हत्या

कुछ दिनों में यूपी की सत्ता पर बीजेपी की योगी सरकार दूसरी बार काबिज़ होगी। ऐसे में बीते कार्यकाल में 'बेहतर कानून व्यवस्था' के नाम पर सबसे ज्यादा नाकामी का आरोप झेल चुकी बीजेपी के लिए इसे लेकर एक बार फिर चुनौती होगी।
ayodhya

राम नगरी अयोध्या जो अक्सर मंदिर-मस्जिद को लेकर चर्चा में रहती थी, इस बार बलात्कार और हत्या को लेकर सुर्खियों में है। यहां होली से महज़ दो दिन पहले सात साल की एक बच्ची के साथ रेप का मामला सामने आया तो वहीं होलिका दहन के दिन गोसाईगंज इलाके में एक युवक की डंडे से पीटकर हत्या कर दी गई। इससे पहले इसी गांव में एक नौटंकी कार्यक्रम के दौरान बमबाजी में चार लोग घायल हो गए थे। जिसमें तीन की हालत गंभीर थी और एक की इलाज के दौरान मौत हो गई। ये महज़ कुछ घटनाएं नहीं प्रदेश के रामराज्य की सच्चाई है।

बता दें कि कुछ दिनों में यूपी की सत्ता पर बीजेपी की योगी सरकार दूसरी बार काबिज़ होगी। हालांकि बीते समय में समाजवादी पार्टी को कानून व्यवस्था के नाम पर घेरने वाली बीजेपी, अपने पहले कार्यकाल में आने के बाद खुद जिस मुद्दे पर सबसे ज़्यादा नाकाम रहने का आरोप झेलती रही, वो भी कानून व्यवस्था ही है। बच्चियों और महिलाओं के शोषण-उत्पीड़न से लेकर दलितों पर अत्याचार के मामलों में हर जगह उत्तर प्रदेश शीर्ष की सूची में ही शामिल रहा है।

सीएम योगी 2017 में सत्ता हासिल करने के बाद से ही ज़ीरो टॉलरेंस, न्यूनतम अपराध और बेहतर कानून व्यवस्था का दावा करते रहें। 2022 के चुनाव प्रचार में भी सीएम योगी के साथ-साथ पीएम नरेंद्र मोदी अपनी रैलियों में महिला सुरक्षा के कसीदे पढ़ते नज़र आए लेकिन जमीनी हकीकत की बात करें तो आज भी महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश टॉप पर है।

आंकड़ें क्या कहते हैं?

राष्ट्रीय महिला आयोग के मुताबिक साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से रिपोर्ट हुए, जो कुल शिकायतों का आधा से ज्यादा का आंकड़ा है। आयोग की हालिया जारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। जिसमें सबसे अधिक 15,828 शिकायत यूपी से थीं।

सरकारी एजेंसी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों की बात करें तो, महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा क्राइम के मामले में यहां भी उत्तर प्रदेश टॉप पर है। तो वहीं बलात्कार के मामले में भी दूसरे स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार यहां साल 2020 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के 49,385 मामले दर्ज कराये गये थे। जबकि देश भर में बलात्कार के कुल 28046 मामलों में से अकेले उत्तर प्रदेश में कुल 2,769 मामले दर्ज हुए थे। बीते कुछ महीनों में यहां साढ़े 3 साल की मासूम बच्ची से लेकर 30 साल की महिला तक से रेप की खबरें सुर्खियां बटोर चुकी हैं।

योगी सरकार का जहां तक गुंडों को सही जगह पहुंचाने का दावा था तो उसकी भी सच्चाई जान ही लीजिए। एनसीआरबी 2020 के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश हत्या के मामले में भी नंबर एक पर है। रिपोर्ट की माने तो साल 2020 में देश में कुल 29,193 हत्याएं हुईँ, जिसमें से अकेले उत्तर प्रदेश में 3,779 मामले दर्ज हुए। 2019 की तुलना में ये आंकड़ा ज्यादा है। ऐसे में सीएम योगी का दावा कहां टिकता है? ये तो वो और उनकी टीम ही बता सकती है।

अपराध कम होने का दावा

आए दिन अखबार के पन्ने पलटें तो पिछले एक हफ़्ते में ही महिलाओं के साथ रेप और हत्या जैसी क़रीब एक दर्जन घटनाएं सामने आ चुकी हैं। यह स्थिति तब है जबकि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध पर लगाम लगाने की यूपी सरकार तमाम कोशिशें कर रही है और अपराध कम होने का दावा भी कर रही है।

यूपी में पिछले साल 17 अक्तूबर को राज्य सरकार ने महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के मक़सद से मिशन शक्ति अभियान की शुरुआत की थी। शारदीय नवरात्रि से लेकर बासंतिक नवरात्रि तक महिला सुरक्षा को लेकर जागरूकता के साथ-साथ महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराध को रोकने के लिए भी तमाम क़दम उठाने का लक्ष्य रखा गया था। अब इस अभियान के साल भर से ज्यादा समय होने के बाद भले ही सरकार इसकी सफलता का दावा कर रही हो लेकिन ज़मीनी सच्चाई इससे अलग है।

प्रदेश में आज भी महिलाओं के साथ न सिर्फ़ रेप और हत्या की घटनाएं लगातार हो रही हैं बल्कि ज़्यादातर मामलों में यह बात भी सामने आई है कि शुरुआती दौर में पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज करने में हीला-हवाली की। अपराध भी जघन्य तरीक़े से हो रहे हैं। यानी अपराधियों में कोई ख़ौफ़ हो, यह भी नहीं दिख रहा है।

अभियान कई, लेकिन सफल एक भी नहीं

गौरतलब है कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए यूपी सरकार और पुलिस इससे पहले भी कई अभियान चला चुकी है लेकिन महिला सुरक्षा को लेकर सरकार अक्सर विपक्ष के निशाने पर रहती है। पिछले दिनों सरकार ने 'ऑपरेशन दुराचारी' नामक अभियान चलाने की भी बात कही थी जिसके तहत महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म या अन्य अपराध करने वालों के पोस्टर चौराहों पर लगाने की बात कही गई थी।

यही नहीं, यूपी में बीजेपी सरकार ने सत्ता में आते ही महिला सुरक्षा को लेकर एंटी रोमियो स्क्वाड्स का गठन किया था लेकिन न तो अपराधों में कमी आई और न ही एंटी रोमियो स्क्वाड्स की सक्रियता कभी ज़मीन पर दिखी, बल्कि यह एंटी रोमियो स्क्वाड अपनी विवादास्पद कार्रवाइयों को लेकर ही ज़्यादा चर्चा में रहा। पिछले साल हाथरस, बलरामपुर, आज़मगढ़ जैसी कई जगहों पर लगातार बलात्कार और हत्या की कई घटनाएं सामने आई थीं। जाहिर है यूपी सरकार ने तमाम अभियान तो चलाए, लेकिन यह अपराधियों में भय पैदा करने में बहुत सफल नहीं हुए।

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