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उत्तर प्रदेश: अपने दलित नेता की रिहाई के लिए गोलबंद हुए ग्रामीण, बड़े आंदोलन की तैयारी

“कार्यकर्ताओं से नंबर लेकर थानेदार ने धरना स्थल से ही अर्जुनलाल के मोबाइल पर कॉल लगाया और उन्हें सबके सामने ही जातिसूचक गालियाँ देने लगा और बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। अर्जुनलाल सहित आठ लोग अभी भी जेल में बंद हैं जिनकी अविलंब रिहाई के लिए लगातार क्षेत्र में आंदोलन चल रहा है।”
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हरगांव का धरना स्थल

क्या सचमुच उत्तर प्रदेश अब "पुलिस स्टेट" बनता जा रहा है, जिस तरह से हर रोज पुलिस द्वारा जारी उत्पीड़न, हिंसक रवैये, मनमाने तरीके से गिरफ्तारियां... फ़र्ज़ी मुकदमें लाद देने जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं, वह तो यही बताती हैं कि प्रदेश अब पब्लिक स्टेट नहीं पुलिस स्टेट बन चुका है। जब चाहे, जिसे चाहे पुलिस गिरफ्तार कर जेल में डाल दे, ऐसी धाराओं में केस दर्ज कर दे जो जुर्म उसने किया ही नहीं और कहीं आप  सड़क पर संघर्ष करने वाली ताकत हैं, पुलिस से टकराने और उसके कृत्यों पर सवाल उठाने की हिम्मत रखते हैं अन्याय और भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ़ आवाज़ उठाने का साहस करते हैं तब तो आप की केवल एक ही जगह तय कर दी जायेगी और वह है जेल ।

मुकदमों का क्या है, वो तो पुलिस के हाथ में हैं। आँख मूंदकर जिस मर्जी धाराओं में केस बना देते हैं। और यही सब हुआ सीतापुर जिले के हर गाँव ब्लॉक के रिक्खीपुरवा गाँव के वामपंथी नेता (भाकपा माले) और जिला पंचायत सदस्य अर्जुनलाल और उनके साथ आंदोलनरत साथियों के साथ। उन्हें अन्याय और दमन के खिलाफ़ आवाज़ उठाना इतना भारी पड़ा कि आज कई दिनों से जेल में बंद हैं और उधर उनके समर्थक उनकी रिहाई के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं l

दलित नेता आर्जुनलाल

सीतापुर जिले का हरगाँव ब्लॉक पिछले कई दिनों से आंदोलन का केंद्र बना हुआ है l क्यों वहां के ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं, अर्जुनलाल और अन्य लोगों की गिरफ्तारियां आख़िर क्यों हुई आदि इन सवालों के जवाब के लिए जब यह रिपोर्टर 9 सितंबर के आंदोलन के कवरेज के लिए हरगाँव स्थित धरना स्थल पहुँची, तो हाथों में लाल झंडा थामे ग्रामीणों का काफिला बढ़ता चला आ रहा था l अपने जुझारू नेता और अन्य ग्रामीणों की अविलंब रिहाई की माँग करते ये ग्रामीण सुबह से ही धरना स्थल पर जुटना शुरू हो गए थे जिसकी अगुवाई भाकपा माले राज्य सचिव सुधाकर यादव, ऐपवा की राज्य अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी, खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा के राज्य सचिव राजेश साहनी और सीतापुर जिले की ऐपवा सचिव सरोजनी कर रही थीं जो कि अर्जुनलाल की पत्नी भी हैं.

सभा को संबोधित करते माले नेता राजेश साहनी 

क्या है पूरा मामला....

सरोजनी जी से जब हमने पूरी घटना के बारे में पूछा तो उन्होंने  कहा कि उनके पति और अन्य ग्रामीणों पर फर्जी मुकदमों की  कार्रवाई  केवल इसलिए हुई है क्योंकि अर्जुनलाल दलित हैं और लाल झंडे तले लंबे समय से गरीब, दलित जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं, अन्याय और पुलिस दमन के खिलाफ़ आवाज़ उठाते हैं इसलिए उनपर फर्जी मुकदमें लादकर जेल भेज दिया गया। दलित होने की वजह से उनपर ऐसी कार्रवाई हुई, आख़िर वह ऐसा क्यों बोल रही हैं, तो इस पर वह कहती हैं, “हाँ, यह सच है क्योंकि हरगाँव के थाने के जिस थानेदार ने फर्जी केस दायर किया है वह ब्राह्मण है और जब उनके पति की गिरफ्तारी हो रही थी तो थानेदार द्वारा यह कहना कि  ‘उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी ने मुझे तुम जैसे दलित नेताओं को खत्म करने, मिटा देने के लिये ही भेजा है’ आख़िर यह क्या दर्शाता है?” सरोजनी का आरोप है कि हरगाँव थाने के थानेदार ने जातिगत आधार पर विद्वेषपूर्ण कार्रवाई की है।

सरोजिनी पूरे मामले को तफ़्सील से बताती हैं...  उनके मुताबिक सीतापुर जिले के रिक्खीपुरवा ग्राम पंचायत की पिपरागुरी की रहने वाली दलित जाति की विमला देवी ग्राम प्रधान हैं। मुख्यमंत्री गौशाला अभियान के तहत  विमला देवी ने अपने ग्राम पंचायत में गौशाला निर्माण करने की योजना बनाई,  इसके लिए उन्होंने पड़ोसी गाँव  बक्सोहिया के ठाकुरों द्वारा अवैध क़ब्ज़ेवाली ग्रामसभा की ज़मीन को मुक्त करवाकर गौशाला निर्माण का काम शुरू करवाया, जिसका गांव के दबंग जाति के लोगों द्वारा विरोध किया गया। भारी विरोध के बावजूद गौशाला बनी और उसमें आवारा जानवरों जैसे साँड़ों, गायों, को पकड़कर लाया जाने लगा जिससे खड़ी फसलों का नुकसान भी बंद हुआ। सरोजनी देवी के मुताबिक  रिक्खीपुरवा और बक्सोहिया पड़ोसी गांव हैं और बक्सोहिया गाँव के दबंगों ने जिस ग्राम सभा की जमीन को अवैध रूप से कब्जाया हुआ था, वह रिक्खीपुरवा की थी।

सरोजनी बताती हैं कि 13 अगस्त की रात जब गौशाला का चौकीदार  खाना खाने  घर गया  हुआ था, उसी समय अपना बदला लेने के लिए बक्सोहिया गांव के दबंग ठाकुरों ने  गौशाला का गेट खोल वहाँ बंद गायों और सांडों को गौशाला से भगा दिया। पर उनकी यह करतूत उन्हीं पर भारी पड़ी क्योंकि गौशाला के आस-पास उन्हीं के खेत थे तो जानवर  उन्हीं के खेतों को चर गए। जब अपना ही दाव उल्टा पड़ गया तो इससे गुस्साए ठाकुरों ने विमला देवी और उनके साथ गए दलित ग्रामीणों पर उस समय हमला बोल दिया। जब घटना की जानकारी लेने के लिए वह अगली सुबह गौशाला गए हुए थे, तो दबंग पहले से ही वहाँ लाठी डंडे लिए हुए थे। किसी तरह विमला देवी और ग्रामीण वहाँ से जान बचाकर भागे।

पीड़ितों पर ही कर दी गई FIR

अगले  दिन यानी 14 अगस्त को गांव के लोग इकट्ठा होकर जब थाने एफआईआर कराने गये तो पता लगा वहां पहले ही बक्सोहिया गांव के ठाकुरों द्वारा ग्राम प्रधान विमला देवी व अन्य लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज़ हो चुकी है। पुलिस ने उल्टा इन्हीं लोगों पर लाठीचार्ज कर दिया। कुछ लोगों को मार-पीट कर भगा दिया और कुछ लोगों को वहीं थाने में बैठा लिया। हरगाँव पुलिस की इस अन्यायपूर्ण  रवैये की जानकारी जब भाकपा माले नेता जिला पंचायत सदस्य अर्जुन लाल को लगी तो वे उन पीड़ित दलित ग्रामीणों के साथ तुरंत ही  हरगांव थाने इन लोगों की जमानत के लिए जा पहुंचें,  जिन पर दबंगों ने हमला किया था। 

आक्रोश भरे स्वर में सरोजनी कहती हैं, थानेदार तो मानो इसी इंतज़ार में था कि कब अर्जुनलाल आये और उनको फर्जी मुकदमें में फंसा दे। जैसे ही उनके पति पीड़ित ग्रामीणों के साथ थाने पहुँचे, उनकी बात सुने बगैर  थानेदार ने अर्जुनलाल के साथ मार पिटाई शुरू कर दी और घसीट कर थाने के अंदर ले गया। उसके बाद उन्होंने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया और दंगा करवाने के फर्जी आरोप में अर्जुन लाल समेत 23 लोगों पर मुकदमा दर्ज कर 9 लोगों को हिरासत में ले लिया।”

सभा को संबोधित करती  ऐपवा नेत्री सरोजनी

वे आगे बताती हैं, “अभी भी अर्जुनलाल सहित आठ लोग अभी भी जेल में बंद हैं जिनकी अविलंब रिहाई के लिए लगातार क्षेत्र में आंदोलन चल रहा है।”

सरोजनी कहती हैं,आंदोलन अब थमने वाला नहीं, तब भी नहीं जब सब निर्दोष लोग जेल से छूट जायेंगे क्योंकि यह लड़ाई केवल आंदोलनकर्ताओं को जेल से छुड़ाने भर की लडाई नहीं, एक ऐसे भ्रष्ट, दमनकारी और शोषक तंत्र के खिलाफ़ लड़ाई है, जहाँ आज भी दलितों का दमन खुलेआम जारी हैं, जहां अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठाने वालों को ही जेल में डाल दिया जाता है। पुलिस बेइंतहा अपनी मनमानी पर उतर आई है और उनपर जोई लगाम नहीं। सरकार भी मौन बनी हुई है।”

जब थाना इंचार्ज ने तिरंगा छीन कर कहे अभद्र शब्द

सरोजनी ने बताया कि अर्जुनलाल और अन्य ग्रामीणों के समर्थन में जब वे महिलाओं के साथ 15 अगस्त को हाथ में तिरंगा लेकर थाने गईं तो वहाँ मौजूद थाना इंचार्ज ने उनके हाथ से राष्ट्रीय झंडा छीन लिया और कहा कि तुम इस झंडे को पकड़ने के लायक नहीं हो। तुम्हारे हाथ में तिरंगा शोभा नहीं देता और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने लगा।”

सरोजनी फिर बताती हैं कि, “अब आप समझ जाईये कि उसने ऐसा क्यों कहा, क्योंकि मैं एक दलित हूँ और आज भी जिस तरह से प्रदेश में दलितों के खिलाफ घटनाएं हो रही हैं, यह उसी का एक उदाहरण हैं।” 

वे कहती हैं कि आख़िर हमारे हाथ से तिरंगा क्यों छीना गया और क्यों कहा गया कि मैं उस तिरंगे को पकड़ने के लायक नहीं। वो भी उस दिन जब पूरा देश आज़ादी का 75 वाँ अमृत महोत्सव मना रहा था और देश के प्रधानमंत्री लाल किले के प्राचीर से समता, भाईचारे और एक नये भारत निर्माण का संदेश दे रहे थे।

थानेदार पर बदले की कार्रवाई का आरोप

आख़िर अर्जुन लाल हरगाँव के थानेदार के आँख के कांटे क्यों बने हुए हैं, इस पर धरने में आये भाकपा माले जिला कमेटी सदस्य संत राम कहते हैं, “अर्जुन लाल लगातार जन मुद्दों को उठाते रहे हैं हैं चाहे राशन का सवाल हो या पेंशन का, चाहे किसान समान निधि का सवाल हो या प्रधानमन्त्री आवास या मनरेगा में मजदूरी का या फिर अन्य सरकारी योजनाओं में हो रही देरी, घोटालों का सवाल, सब मुद्दों पर वे सक्रियता से संघर्ष करते रहे हैं इसलिए क्षेत्र के बेहद लोकप्रिय नेता में उनकी गिनती होती है।”

संतराम बताते हैं कि, “विभिन्न जनमुद्दों को लेकर साथी और जिला पंचायत सदस्य अर्जुनलाल ने 20 जुलाई, 2022 को हरगांव ब्लॉक पर धरना देने आने की अपील की।  धरने में करीब चार सौ लोग पहुँचे l शाम को जब धरना खत्म हुआ तो सभी लोग चले गये बस कुछ कार्यकर्ता बचे थे जो सामान समेट रहे थे, इतने में थानेदार आए और कार्यकर्ताओं से धरने के बारे में पूछताछ करने लगे और कार्यकर्ताओं को मां-बहन की गालियां देते हुए पूछा कि नेता कौन है और उसका मोबाइल नंबर दो। कार्यकर्ताओं से नंबर लेकर थानेदार ने धरना स्थल से ही अर्जुनलाल के मोबाइल पर काल लगाया और उन्हें सबके सामने ही जातिसूचक गालियाँ देने लगे और बेहद आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया।”

इस घटना के बाद अर्जुनलाल ने थानेदार के ख़िलाफ़ एससी/ एसटी एक्ट समेत, डराने-धमकाने, जान से मारने जैसी तमाम संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज़ करवा दी। लेकिन थानेदार के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोई कार्रवाई  न होते देख  क्षेत्र की जनता के साथ धरने पर बैठ गए और थानेदार को बर्खास्त करने की मांग करने लगे। स बताते हैं कि, “धरने के बाद से ही थानेदार अर्जुनलाल से बदला लेने के मौका तलाश रहा था और जब  ग्राम प्रधान विमला देवी समेत गांव के ही दलित जाति के लोगों की ज़मानत के लिये जब जिला अर्जुनलाल थाने पहुंचे तो थानेदार को मौका मिल गया। उन्होंने फर्जी केस लगाकर उनको जेल भेज दिया। जबकि घटना के वक्त वे किसी अन्य गांव में थे।”

पुलिस दे रही गुंडा एक्ट लगाने की धमकी....

प्रदर्शन में आये ग्रामीणों ने बताया कि थानेदार की ज्यादती यहीं खत्म नहीं होती। गिरफ्तारी के बाद से ही वे लोग अविलंब रिहाई की माँग को लेकर आंदोलरत हैं तो उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन किया जा रहा है। उन्हें डराया धमकाया जा रहा है कि अगर धरना प्रदर्शन किया तो गुंडा एक्ट लागाकर सबको जेल में भर दिया जायेगा। 

प्रदर्शन में आये कन्हैया लाल बताते हैं कि उनके हर प्रदर्शन को पुलिस द्वारा कुचलने की कोशिश हो रही है। गाँवों में गाड़ियों की आवाजाहियों पर रोक लगा दी जा रही है। 26 अगस्त की भी जनसभा को पुलिस प्रशासन ने पूरी तरह रोकने की कोशिश की तो अब 9 सितंबर के प्रदर्शन को भी बाधित करने की पूरी कोशिश हुई। बावजूद इसके हर प्रदर्शन में ग्रामीण बढ़ चढ़ कर भागीदारी कर रहे हैं क्योंकि हम जानते हैं कि अब यह वक्त डरकर चुप बैठने का नहीं है बल्कि इस दमनकारी व्यवस्था के खिलाफ़ आवाज़ उठाने का है।

बहरहाल ग्रामीणों के आक्रोश और आंदोलनों को देखते हुए थानेदार पर जाँच बैठा दी गई है। बीते 8 सितंबर को जेल में बंद लोगों की जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी जो नहीं हो पाई अब सबको नई तारीख का इंतज़ार है । प्रदर्शनकर्ताओं ने साफ संकेत दिया कि यदि उनके जुझारू नेता और अन्य निर्दोष लोगों को जल्द रिहाई नहीं मिलती  है तो उनका आंदोलन एक बड़ा रूप लेगा और यह आंदोलन ब्लॉक और जिले से निकलकर एक बड़े जनसैलाब के साथ राजधानी लखनऊ कूच करेगा।

 (लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं, व्यक्त विचार निजी हैं)

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